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नि:संतान तलाकशुदा भाई के निधन पर बहन ने मांगी अनुकंपा नौकरी, विभाग का इनकार, हाईकोर्ट ने मांगा जवाब - Rajasthan High Court

राजस्थान हाईकोर्ट ने तलाकशुदा भाई की मृत्यु के बाद उस पर आश्रित बहन को अनुकंपा सरकारी नौकरी नहीं देने के मामले में शिक्षा विभाग व कार्मिक को नोटिस जारी कर 25 जुलाई तक जवाब तलब किया है.

हाईकोर्ट ने मांगा जवाब
हाईकोर्ट ने मांगा जवाब (ETV Bharat GFX Team)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : May 29, 2024, 10:33 PM IST

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने आश्रित बहन को अनुकंपा सरकारी नौकरी नहीं देने के मामले में शिक्षा विभाग और कार्मिक विभाग से जवाब तलब किया है. वरिष्ठ न्यायाधीश डॉ. पीएस भाटी व न्यायाधीश मदनगोपाल व्यास की खंडपीठ ने एक रिट याचिका को स्वीकार करते हुए नि:संतान तलाकशुदा भाई की मृत्यु के बाद उस पर आश्रित बहन को अनुकंपा सरकारी नौकरी नहीं देने के मामले में नोटिस जारी कर शिक्षा विभाग व कार्मिक विभाग से जवाब तलब किया है. अगली सुनवाई 25 जुलाई को होगी. याचिकाकर्ता जालोर निवासी अंशु चौधरी की ओर से अधिवक्ता श्याम पालीवाल ने एक याचिका दायर कर कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता के भाई धर्मपाल चौधरी जालोर जिले की राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय मेडा उपरला में सीनियर टीचर के पद पर कार्यरत थे. वे विवाहित थे, लेकिन 5 मई 2010 को उनका तलाक हो गया था. इस संबंध में धौलपुर के जिला न्यायालय से डिक्री भी जारी हो गई थी. तलाक के बाद सात साल तक सेवा देने के बाद 6 सितंबर 2017 को याचिकाकर्ता के भाई का निधन हो गया. भाई के कोई संतान नहीं थी.

भाई पर ही आश्रित थी बहन : अधिवक्ता ने कहा कि याचिकाकर्ता बहन अपने मृतक भाई पर ही आश्रित थी. भाई के निधन पर उसने जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय माध्यमिक के समक्ष अनुकंपा नौकरी के लिए आवेदन किया, लेकिन विभाग ने यह कहते हुए आवेदन खारिज कर दिया, वह मृतक कर्मचारी पर आश्रित नहीं है. अधिवक्ता पालीवाल ने कोर्ट के यह भी ध्यान में लाया कि याचिकाकर्ता मृतक पर ही आश्रित थी और जीपीएफ में नॉमिनी के रूप में भी उसका ही नाम अंकित था, जिसकी प्रति भी कोर्ट के समक्ष पेश की. वर्ष 2022 में दुबारा अनुकंपा नौकरी के लिए आवेदन किया गया, तब 20 दिसंबर 2022 को शिक्षा विभाग के सहायक निदेशक ने आवेदन को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि याचिकाकर्ता तलाकशुदा थे, इसलिए उन्हें अविवाहित श्रेणी में कंसीडर नहीं किया जा सकता है. इसलिए याचिकाकर्ता अनुकंपा नियुक्ति की हकदार नहीं है.

इसे भी पढ़ें- चिकित्सा सचिव बताएं दस माह बीतने के बाद भी पैरवी के लिए क्यों नहीं आए वकील- हाईकोर्ट - Rajasthan High Court

25 जुलाई तक मांगा जवाब : अधिवक्ता ने कार्मिक विभाग की ओर से 28 अक्टूबर 2021 को जारी नोटिफिकेशन को भी चुनौती दी, जिसमें राजस्थान मृत कर्मचारियों के आश्रितों को अनुकंपात्मक नियुक्ति सर्विस रूल्स 1996 में “आश्रित” की परिभाषा को संशोधित किया गया था. संशोधन के अनुसार अविवाहित मृतक कर्मचारी के आश्रित को अनुकंपात्मक नौकरी के लिए योग्य माना गया, जबकि ऐसे मृत कर्मचारी जो तलाकशुदा हैं और जिनके बच्चे नहीं है, ऐसे मामले में आश्रित अनुकंपा नियुक्ति के लिए हकदार नहीं होंगे. अधिवक्ता ने इस नोटिफिकेशन को भेदभावपूर्ण बताया और कहा कि यह नोटिफिकेशन संविधान की धारा 14, 16 व 21 का स्पष्ट उल्लंघन है. कोर्ट से आग्रह किया कि नोटिफिकेशन को खारिज कर ऐसे तलाकशुदा कर्मचारी, जिनके बच्चे नहीं है, उनके आश्रितों को भी अनुकंपा नियुक्ति के दायरे में लाया जाए. खंडपीठ ने याचिका को विचारार्थ स्वीकार करते हुए शिक्षा विभाग व कार्मिक विभाग को नोटिस जारी कर 25 जुलाई तक जवाब तलब किया है.

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने आश्रित बहन को अनुकंपा सरकारी नौकरी नहीं देने के मामले में शिक्षा विभाग और कार्मिक विभाग से जवाब तलब किया है. वरिष्ठ न्यायाधीश डॉ. पीएस भाटी व न्यायाधीश मदनगोपाल व्यास की खंडपीठ ने एक रिट याचिका को स्वीकार करते हुए नि:संतान तलाकशुदा भाई की मृत्यु के बाद उस पर आश्रित बहन को अनुकंपा सरकारी नौकरी नहीं देने के मामले में नोटिस जारी कर शिक्षा विभाग व कार्मिक विभाग से जवाब तलब किया है. अगली सुनवाई 25 जुलाई को होगी. याचिकाकर्ता जालोर निवासी अंशु चौधरी की ओर से अधिवक्ता श्याम पालीवाल ने एक याचिका दायर कर कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता के भाई धर्मपाल चौधरी जालोर जिले की राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय मेडा उपरला में सीनियर टीचर के पद पर कार्यरत थे. वे विवाहित थे, लेकिन 5 मई 2010 को उनका तलाक हो गया था. इस संबंध में धौलपुर के जिला न्यायालय से डिक्री भी जारी हो गई थी. तलाक के बाद सात साल तक सेवा देने के बाद 6 सितंबर 2017 को याचिकाकर्ता के भाई का निधन हो गया. भाई के कोई संतान नहीं थी.

भाई पर ही आश्रित थी बहन : अधिवक्ता ने कहा कि याचिकाकर्ता बहन अपने मृतक भाई पर ही आश्रित थी. भाई के निधन पर उसने जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय माध्यमिक के समक्ष अनुकंपा नौकरी के लिए आवेदन किया, लेकिन विभाग ने यह कहते हुए आवेदन खारिज कर दिया, वह मृतक कर्मचारी पर आश्रित नहीं है. अधिवक्ता पालीवाल ने कोर्ट के यह भी ध्यान में लाया कि याचिकाकर्ता मृतक पर ही आश्रित थी और जीपीएफ में नॉमिनी के रूप में भी उसका ही नाम अंकित था, जिसकी प्रति भी कोर्ट के समक्ष पेश की. वर्ष 2022 में दुबारा अनुकंपा नौकरी के लिए आवेदन किया गया, तब 20 दिसंबर 2022 को शिक्षा विभाग के सहायक निदेशक ने आवेदन को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि याचिकाकर्ता तलाकशुदा थे, इसलिए उन्हें अविवाहित श्रेणी में कंसीडर नहीं किया जा सकता है. इसलिए याचिकाकर्ता अनुकंपा नियुक्ति की हकदार नहीं है.

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25 जुलाई तक मांगा जवाब : अधिवक्ता ने कार्मिक विभाग की ओर से 28 अक्टूबर 2021 को जारी नोटिफिकेशन को भी चुनौती दी, जिसमें राजस्थान मृत कर्मचारियों के आश्रितों को अनुकंपात्मक नियुक्ति सर्विस रूल्स 1996 में “आश्रित” की परिभाषा को संशोधित किया गया था. संशोधन के अनुसार अविवाहित मृतक कर्मचारी के आश्रित को अनुकंपात्मक नौकरी के लिए योग्य माना गया, जबकि ऐसे मृत कर्मचारी जो तलाकशुदा हैं और जिनके बच्चे नहीं है, ऐसे मामले में आश्रित अनुकंपा नियुक्ति के लिए हकदार नहीं होंगे. अधिवक्ता ने इस नोटिफिकेशन को भेदभावपूर्ण बताया और कहा कि यह नोटिफिकेशन संविधान की धारा 14, 16 व 21 का स्पष्ट उल्लंघन है. कोर्ट से आग्रह किया कि नोटिफिकेशन को खारिज कर ऐसे तलाकशुदा कर्मचारी, जिनके बच्चे नहीं है, उनके आश्रितों को भी अनुकंपा नियुक्ति के दायरे में लाया जाए. खंडपीठ ने याचिका को विचारार्थ स्वीकार करते हुए शिक्षा विभाग व कार्मिक विभाग को नोटिस जारी कर 25 जुलाई तक जवाब तलब किया है.

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