जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने बैंक से लोन लेने के दौरान भुगतान की सुरक्षा को लेकर लोन एग्रीमेंट के अलावा अन्य दस्तावेजों पर अलग-अलग स्टांप ड्यूटी की मांग करने पर राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता से स्टांप ड्यूटी वसूलने पर रोक लगा दी है. जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस शुभा मेहता की खंडपीठ ने यह आदेश टेब इंडिया ग्रेनाइट्स प्रा. लि. की याचिका पर दिए.
याचिका में अधिवक्ता मोहित खंडेलवाल ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता फर्म ने वर्ष 2014 में पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और आईडीबीआई बैंक से साझा रूप में लोन प्राप्त किया था. इस दौरान याचिकाकर्ता ने स्टांप ड्यूटी का भुगतान कर दिया था. वहीं, वर्ष 2019 में मुद्रांक विभाग की ओर से याचिकाकर्ता को नोटिस जारी कर लोन एग्रीमेंट पर अतिरिक्त स्टांप ड्यूटी मांगी गई. इस पर याचिकाकर्ता ने एमनेस्टी योजना के तहत 25 लाख रुपए की अतिरिक्त स्टांप ड्यूटी का भुगतान कर दिया.
याचिका में कहा गया कि मुद्रांक विभाग ने वर्ष 2021 में याचिकाकर्ता को वापस नोटिस जारी कर लोन के दौरान एग्रीमेंट के अलावा निष्पादित अन्य दस्तावेजों पर भी अलग-अलग स्टांप ड्यूटी जमा कराने को कहा. याचिका में कहा गया कि लोन एग्रीमेंट के साथ बंधक पत्र और गारंटी डीड आदि दस्तावेज भी निष्पादित किए जाते हैं. नियमानुसार मुख्य दस्तावेज पर लोन राशि के अनुपात में संपूर्ण स्टांप ड्यूटी अदा की जाती है और अन्य संबंधित दस्तावेजों पर प्रति दस्तावेज दौ सौ रुपए की स्टांप ड्यूटी ही देने का प्रावधान है. विभाग हर दस्तावेज पर संपूर्ण स्टांप ड्यूटी अलग-अलग मांग रहा है. जिसके कारण स्टांप ड्यूटी कई गुणा बढ़ जाती है. इस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने राज्य सरकार से जवाब तलब करते हुए याचिकाकर्ता से की जा रही वसूली पर रोक लगा दी है.