जयपुरः राजस्थान हाईकोर्ट ने आरसीए के पूर्व पदाधिकारियों के खिलाफ दर्ज मामले में महाधिवक्ता को 10 अक्टूबर को रिकॉर्ड सहित बताने को कहा है कि सरकारी संपत्ति को सोसायटी कैसे चलाती है?. इसके अलावा एसएमएस स्टेडियम का संचालन कौन कर रहा है और उसका मालिकाना हक किसके पास है?. अदालत ने सरकार को कहा कि कोर्ट जानना चाहती है कि आखिर सरकारी संपत्ति का संचालन इस तरह कैसे होता है?. जस्टिस समीर जैन ने यह आदेश आरसीए के तत्कालीन सचिव भवानी शंकर सामोता सहित अन्य की ओर से पेश आपराधिक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
याचिका में आरसीए की एडहॉक कमेटी की ओर से गत 8 अगस्त को ज्योति नगर थाने में दर्ज एफआईआर को चुनौती दी गई है. सुनवाई के दौरान अदालती आदेश की पालना में प्रमुख खेल सचिव नीरज के पवन अदालत में पेश हुए. वहीं, याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि मामले में दर्ज एफआईआर में कार्रवाई पर रोक लगाई जाए. इस पर अदालत ने कहा कि फिलहाल अदालत कोई रोक नहीं लगा रही है.
याचिकाकर्ता चाहे तो अग्रिम जमानत के लिए प्रार्थना पत्र पेश कर सकते हैं. इस दौरान महाधिवक्ता ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार व आरसीए के बीच स्टेडियम के संचालन के लिए पहले एमओयू हुआ था और इसकी अवधि समय-समय पर बढ़ती गई. फिलहाल राज्य सरकार का आरसीए के साथ कोई एमओयू नहीं है. स्टेडियम में बाकी खेल गतिविधियां चल रही हैं. गौरतलब कि एडहॉक कमेटी ने भवानी शंकर सामोता सहित अन्य के खिलाफ ज्योति नगर थाने में एफआईआर दर्ज करवाकर करोड़ों रुपए का फर्जीवाड़ा करने का आरोप लगाया है.