जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने निजी फार्मेसी और नर्सिंग कॉलेजों से संबद्धता शुल्क पर जीएसटी वसूलने पर राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है. इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता कॉलेजों के खिलाफ मामले में दंडात्मक कार्रवाई करने पर रोक लगा दी है. जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस शुभा मेहता की खंडपीठ ने यह आदेश केजीएन कॉलेज ऑफ फार्मेसी और ख्वाजा गरीब नवाज कॉलेज ऑफ नर्सिंग की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिए.
अदालत ने आरयूएचएस से पूछा है कि जब शैक्षणिक संस्थाओं की सेवाओं को जीएसटी से बाहर रखा गया है तो उनसे जीएसटी क्यों वसूली जा रही है. याचिका में कहा गया कि राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय ने नर्सिंग एवं फार्मेसी कॉलेजों से वर्ष 2017-18 से 2023-24 तक के संबद्धता शुल्क पर 18 फीसदी जीएसटी की मांग की. जबकि 28 जून 2017 को जारी अधिसूचना के अनुसार शैक्षणिक संस्थानों की सेवाओं को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है.
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इसके बावजूद जीएसटी राशि का भुगतान नहीं करने पर शैक्षणिक वर्ष 2024-25 की संबद्धता का नवीनीकरण नहीं करने की चेतावनी दी गई है. याचिकाओं में कहा गया कि आरयूएचएस की यह चेतावनी संविधान व कानून के विपरीत है. ऐसे में उनसे वसूली जा रही जीएसटी की कार्रवाई को रद्द किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने आरयूएचएस को नोटिस जारी करते हुए याचिकाकर्ताओं के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने पर रोक लगा दी है.