ETV Bharat / state

Rajasthan: सत्ता, सियासत और परिवारवाद! भाजपा ने दो तो कांग्रेस ने 3 सीटों पर उतारा वंशवादी फेस

राजस्थान विधानसभा उपचुनाव में भाजपा-कांग्रेस का परिवारवाद पर दांव. भाजपा ने 2 तो कांग्रेस ने 3 को दिया टिकट.

RAJASTHAN BY ELECTION 2024
उपचुनाव में प्रभावी परिवारवाद (ETV BHARAT JAIPUR)
author img

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 3 hours ago

Updated : 2 hours ago

जयपुर : चुनाव विधानसभा का हो या फिर लोकसभा का, परिवारवाद हमेशा से ही मुद्दा रहा है. खासकर भाजपा इस मुद्दे को उठाते रही है और निशाने पर कांग्रेस रही है, लेकिन अब राजस्थान के मौजूदा विधानसभा उपचुनाव में दोनों ही पार्टियों में परिवारवाद का समान प्रभाव देखने को मिल रहा है. राज्य की सात सीटों पर उपचुनाव होने जा रहा है. सात में से दो पर भाजपा ने तो तीन पर कांग्रेस ने वंशवादी फेस पर दांव खेला है. वहीं, स्थानीय पार्टी के लिहाज से एक सीट पर चुनाव लड़ रही राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने भी अपने ही परिवार के सदस्य को टिकट दिया है.

परिवारवाद में घिरी कांग्रेस ने तो पहले ही साफ कर दिया था कि जो जिताऊ कैंडिडेट होगा पार्टी उसी को मैदान में उतारेगी फिर चाहे वो परिवार का सदस्य ही क्यों न हो. वहीं, भाजपा जो अब तक परिवारवाद की मुखालफत करती रही उसने भी अपने बचाव में रास्ता निकालते हुए कहा कि सर्वे में जो जिताऊ उम्मीदवार पाया गया, पार्टी ने उसे मैदान में उतारा है.

भाजपा-कांग्रेस का परिवारवाद पर दांव (ETV BHARAT JAIPUR)

इसे भी पढे़ं - दौसा से चुनावी मैदान में भाजपा के बागी, निर्दलीय भरा नामांकन, जगमोहन को बताया बाहरी

कांग्रेस ने तीन को दिया टिकट : कांग्रेस ने सात में से तीन सीटों पर परिवारवाद को बढ़ावा दिया है. झुंझुनू सीट से एक बार फिर कांग्रेस ने ओला परिवार पर भरोसा जताया है. विधायक से सांसद बने बृजेंद्र ओला के बेटे अमित ओला को पार्टी ने मैदान में उतारा है. इसी तरह से रामगढ़ सीट पर विधायक रहे दिवंगत जुबेर खान के बेटे आर्यन जुबेर खान को टिकट दिया है. इसके अलावा खींवसर सीट से 2018 में कांग्रेस के प्रत्याशी रहे सवाई सिंह की पत्नी रतन चौधरी पर भरोसा जताया है.

इसमें खास बात यह है कि सवाई सिंह पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे. हालांकि, जैसे ही पत्नी रतन चौधरी को कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार घोषित किया, उसके साथ ही सवाई सिंह ने भाजपा का साथ छोड़ एक बार फिर कांग्रेस में शामिल हो गए. इधर, प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने पहले ही यह साफ कर दिया था कि पार्टी केवल जिताऊ चेहरों को ही मैदान में उतारेगी. साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि कांग्रेस परिवारवाद की राजनीति नहीं करती है, लेकिन अगर किसी का बेटा योग्य है तो उसे टिकट दिया जाएगा.

RAJASTHAN BY ELECTION 2024
उपचुनाव में भाजपा-कांग्रेस का परिवारवाद पर दांव (ETV BHARAT JAIPUR)

भाजपा ने दो को दिया टिकट : परिवारवाद की मुखालफत करने वाली भाजपा ने भी इस बार दो सीटों पर परिवारवाद का कार्ड खेला है. दौसा सीट पर कैबिनेट मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा को चुनाव मैदान में उतारा है तो वहीं, सलूंबर से विधायक रहे दिवंगत अमृतलाल मीणा की पत्नी शांता मीणा पर पार्टी ने दांव खेला है. भाजपा सलूंबर में सहानुभूति कार्ड के जरिए जीत की उम्मीद लगाए हुए हैं. यही वजह है कि पार्टी ने परिवार से बाहर जाकर टिकट नहीं दिया. हालांकि, इसको लेकर विरोध भी हुआ था, लेकिन पार्टी ने बगावत करने वाले नेताओं को मना लिया. दौसा विधानसभा सीट पर ब्राह्मण का टिकट काटकर मीणा को टिकट देने की नाराजगी भी बनी हुई है.

इसे भी पढे़ं - कनिका बेनीवाल बोली- खींवसर में कोई चुनौती नहीं, हनुमान बेनीवाल ने कांग्रेस पर साधा निशाना

बताया जा रहा है कि दौसा के ब्राह्मण मतदाता इस टिकट वितरण को लेकर खुश नहीं हैं. भाजपा ने यहां परिवारवाद का कार्ड खेल है. इसको लेकर कांग्रेस भाजपा पर हमलावर है. इस बीच कांग्रेस के आरोपों पर पलटवार करते हुए चुनाव प्रबंधन संयोजक नारायण पंचारिया ने कहा कि कांग्रेस को कोई हक नहीं है कि वो भाजपा पर परिवारवाद का आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि जिस पार्टी ने हमेशा परिवारवाद की राजनीति की है, वो भाजपा को क्या बताएगी. उन्होंने कहा कि भाजपा हमेशा उसके कार्यकर्ताओं को टिकट देती आ रही है. साथ ही पार्टी केवल लोकप्रिय और जिताऊ उम्मीदवार पर ध्यान देती है.

RLP में परिवारवाद कोई नई बात नहीं : उधर, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने भी एक सीट पर अपना उम्मीदवार उतारा है. खींवसर सीट से आरएलपी ने हनुमान बेनीवाल की पत्नी कनिका बेनीवाल को मैदान उतारा है. हालांकि, आरएलपी के लिए परिवारवाद के आधार पर टिकट देना को नई बात नहीं है. इससे पहले भी 2018 में यही हुआ था. उस समय हनुमान बेनीवाल ने अपने भाई नारायण बेनीवाल को टिकट दिया था.

कहां किस पर दोबारा भरोसा : सात सीटों पर होने वाले उपचुनाव में अगर देखें तो सलूंबर सीट पर बाप ने अपने पूर्व प्रत्याशी जितेश कुमार पर भरोसा जताया है. जितेश 2023 के चुनाव में करीब 50000 वोट हासिल पाकर तीसरे स्थान पर रहे थे.वहीं, खींवसर सीट पर भाजपा ने अपने पूर्व प्रत्याशी देवतराम डांगा पर फिर से भरोसा जताया है. डांगा 2023 के चुनाव में आरएलपी के उम्मीदवार हनुमान बेनीवाल से 2000 वोटों के अंतर से हार गए थे.

जयपुर : चुनाव विधानसभा का हो या फिर लोकसभा का, परिवारवाद हमेशा से ही मुद्दा रहा है. खासकर भाजपा इस मुद्दे को उठाते रही है और निशाने पर कांग्रेस रही है, लेकिन अब राजस्थान के मौजूदा विधानसभा उपचुनाव में दोनों ही पार्टियों में परिवारवाद का समान प्रभाव देखने को मिल रहा है. राज्य की सात सीटों पर उपचुनाव होने जा रहा है. सात में से दो पर भाजपा ने तो तीन पर कांग्रेस ने वंशवादी फेस पर दांव खेला है. वहीं, स्थानीय पार्टी के लिहाज से एक सीट पर चुनाव लड़ रही राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने भी अपने ही परिवार के सदस्य को टिकट दिया है.

परिवारवाद में घिरी कांग्रेस ने तो पहले ही साफ कर दिया था कि जो जिताऊ कैंडिडेट होगा पार्टी उसी को मैदान में उतारेगी फिर चाहे वो परिवार का सदस्य ही क्यों न हो. वहीं, भाजपा जो अब तक परिवारवाद की मुखालफत करती रही उसने भी अपने बचाव में रास्ता निकालते हुए कहा कि सर्वे में जो जिताऊ उम्मीदवार पाया गया, पार्टी ने उसे मैदान में उतारा है.

भाजपा-कांग्रेस का परिवारवाद पर दांव (ETV BHARAT JAIPUR)

इसे भी पढे़ं - दौसा से चुनावी मैदान में भाजपा के बागी, निर्दलीय भरा नामांकन, जगमोहन को बताया बाहरी

कांग्रेस ने तीन को दिया टिकट : कांग्रेस ने सात में से तीन सीटों पर परिवारवाद को बढ़ावा दिया है. झुंझुनू सीट से एक बार फिर कांग्रेस ने ओला परिवार पर भरोसा जताया है. विधायक से सांसद बने बृजेंद्र ओला के बेटे अमित ओला को पार्टी ने मैदान में उतारा है. इसी तरह से रामगढ़ सीट पर विधायक रहे दिवंगत जुबेर खान के बेटे आर्यन जुबेर खान को टिकट दिया है. इसके अलावा खींवसर सीट से 2018 में कांग्रेस के प्रत्याशी रहे सवाई सिंह की पत्नी रतन चौधरी पर भरोसा जताया है.

इसमें खास बात यह है कि सवाई सिंह पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे. हालांकि, जैसे ही पत्नी रतन चौधरी को कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार घोषित किया, उसके साथ ही सवाई सिंह ने भाजपा का साथ छोड़ एक बार फिर कांग्रेस में शामिल हो गए. इधर, प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने पहले ही यह साफ कर दिया था कि पार्टी केवल जिताऊ चेहरों को ही मैदान में उतारेगी. साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि कांग्रेस परिवारवाद की राजनीति नहीं करती है, लेकिन अगर किसी का बेटा योग्य है तो उसे टिकट दिया जाएगा.

RAJASTHAN BY ELECTION 2024
उपचुनाव में भाजपा-कांग्रेस का परिवारवाद पर दांव (ETV BHARAT JAIPUR)

भाजपा ने दो को दिया टिकट : परिवारवाद की मुखालफत करने वाली भाजपा ने भी इस बार दो सीटों पर परिवारवाद का कार्ड खेला है. दौसा सीट पर कैबिनेट मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा को चुनाव मैदान में उतारा है तो वहीं, सलूंबर से विधायक रहे दिवंगत अमृतलाल मीणा की पत्नी शांता मीणा पर पार्टी ने दांव खेला है. भाजपा सलूंबर में सहानुभूति कार्ड के जरिए जीत की उम्मीद लगाए हुए हैं. यही वजह है कि पार्टी ने परिवार से बाहर जाकर टिकट नहीं दिया. हालांकि, इसको लेकर विरोध भी हुआ था, लेकिन पार्टी ने बगावत करने वाले नेताओं को मना लिया. दौसा विधानसभा सीट पर ब्राह्मण का टिकट काटकर मीणा को टिकट देने की नाराजगी भी बनी हुई है.

इसे भी पढे़ं - कनिका बेनीवाल बोली- खींवसर में कोई चुनौती नहीं, हनुमान बेनीवाल ने कांग्रेस पर साधा निशाना

बताया जा रहा है कि दौसा के ब्राह्मण मतदाता इस टिकट वितरण को लेकर खुश नहीं हैं. भाजपा ने यहां परिवारवाद का कार्ड खेल है. इसको लेकर कांग्रेस भाजपा पर हमलावर है. इस बीच कांग्रेस के आरोपों पर पलटवार करते हुए चुनाव प्रबंधन संयोजक नारायण पंचारिया ने कहा कि कांग्रेस को कोई हक नहीं है कि वो भाजपा पर परिवारवाद का आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि जिस पार्टी ने हमेशा परिवारवाद की राजनीति की है, वो भाजपा को क्या बताएगी. उन्होंने कहा कि भाजपा हमेशा उसके कार्यकर्ताओं को टिकट देती आ रही है. साथ ही पार्टी केवल लोकप्रिय और जिताऊ उम्मीदवार पर ध्यान देती है.

RLP में परिवारवाद कोई नई बात नहीं : उधर, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने भी एक सीट पर अपना उम्मीदवार उतारा है. खींवसर सीट से आरएलपी ने हनुमान बेनीवाल की पत्नी कनिका बेनीवाल को मैदान उतारा है. हालांकि, आरएलपी के लिए परिवारवाद के आधार पर टिकट देना को नई बात नहीं है. इससे पहले भी 2018 में यही हुआ था. उस समय हनुमान बेनीवाल ने अपने भाई नारायण बेनीवाल को टिकट दिया था.

कहां किस पर दोबारा भरोसा : सात सीटों पर होने वाले उपचुनाव में अगर देखें तो सलूंबर सीट पर बाप ने अपने पूर्व प्रत्याशी जितेश कुमार पर भरोसा जताया है. जितेश 2023 के चुनाव में करीब 50000 वोट हासिल पाकर तीसरे स्थान पर रहे थे.वहीं, खींवसर सीट पर भाजपा ने अपने पूर्व प्रत्याशी देवतराम डांगा पर फिर से भरोसा जताया है. डांगा 2023 के चुनाव में आरएलपी के उम्मीदवार हनुमान बेनीवाल से 2000 वोटों के अंतर से हार गए थे.

Last Updated : 2 hours ago
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.