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इस किले में ताले में कैद हैं महादेव, 1 दिन की पैरोल पर बाहर आए भोलेनाथ - SOMESHWAR MANDIR GATE OPENS

रायसेन में भोलेनाथ का प्राचीन मंदिर है. जो साल में केवल एक दिन महाशिवरात्रि पर खुलता है. साल भर भगवान ताले में कैद रहते हैं.

SOMESHWAR MANDIR GATE OPENS
इस किले में वर्षों से ताले में कैद हैं महादेव (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 26, 2025, 2:06 PM IST

Updated : Feb 26, 2025, 2:33 PM IST

रायसेन: देशभर में बड़ी धूमधाम के साथ महाशिवरात्रि के त्योहार को मनाया जा रहा है. सुबह से ही मंदिरों में भक्तों का ताता लगा हुआ है. भक्त फूल, बेलपत्र लेकर भगवान शिव को जल चढ़कर पवित्र अभिषेक कर रहे हैं. देश के चुनिंदा मंदिरों में से एक रायसेन दुर्ग पर बने हुए सोमेश्वर धाम का द्वार भी खुल गया है. सोमेश्वर भगवान जो कि वर्ष में सिर्फ एक बार ही अपने भक्तों को दर्शन देते हैं. साल के अन्य दिनों यहां ताला लगा रहता है. मोटी मोटी सलाखों के पीछे साल भर सोमेश्वर महादेव कैद रहते हैं.

महाशिवरात्रि पर मंदिर में उमड़ी भक्तों की भीड़
कई बार शिव भक्तों ने इसे लेकर आंदोलन भी किया और अपनी नाराजगी भी व्यक्त की. पर शिव भक्तों के तमाम प्रयास के बाद भी सोमेश्वर धाम के ताले आज तक नहीं खुले हैं. हिंदू समुदाय के लोग भगवान शिव को आजाद करने की अपनी उम्मीद लिये हुए हैं. भक्तों को उम्मीद है कि भगवान शिव को जल्द ही इन सलाखों से आजादी मिलेगी और भगवान शिव हर दिन अपने भक्तों से खुल कर मिल सकेंगे. फिलहाल महाशिवरात्रि का महापर्व है और हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी महज चंद्र घंटे के लिए सोमेश्वर महादेव अपने भक्तों से मिलने के लिए आजाद हुए.

साल में महाशिवरात्री पर खुलता है मंदिर का ताला (ETV Bharat)

आखिर क्यों मंदिर में लगा रहता है ताला?
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से लगभग 45 किलोमीटर का सफर करके आप रायसेन दुर्ग पहाड़ी पर बसे हुए विश्व प्रसिद्ध सोमेश्वर धाम पहुंचेंगे. महाशिवरात्रि पर यहां वर्ष में एक बार लोगों को भगवान शिव के दर्शन होते हैं. साल के अन्य दिन लोग सलाखों के पीछे से ही महादेव के दर्शन करते हैं. जिसकी एक बड़ी वजह पुरातत्व विभाग के कड़े नियम बताए जा रहे हैं. आजादी के बाद सांप्रदायिक हिंसा न भड़क उठे इसको देखते हुए प्रशासन ने इस मंदिर पर ताला लगा दिया था.

RAISEN SOMESHWAR MANDIR HISTORY
रायसेन में दुर्ग पहाड़ी पर बना है मंदिर (ETV Bharat)

ताले खोलने हुआ आंदोलन
जिसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश चंद्र सेठी ने महाशिवरात्रि पर एक दिन के लिए शिव मंदिर का ताला खोलने का अनुरोध केंद्र सरकार से किया था. जिसके बाद से ही महज एक दिन के लिए महाशिवरात्रि पर इस मंदिर के ताले खोले जाते हैं. महादेव को सलाखों से आजाद करने के लिए शिव भक्तों ने कई बार आंदोलन किया. जहां तक की मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती भी भगवान शिव को आजाद करने के लिए धरने पर बैठ गईं थीं और अन्न जल भी त्याग दिया था. पर तमाम प्रयासों के बाद भी भगवान शिव को आजादी नहीं मिल पाई है.

MAHADEV IMPRISONED IN MANDIR
ताले में कैद हैं महादेव (ETV Bharat)

11वीं शताब्दी में हुआ था मंदिर का निर्माण
लेखक राजीव चौबे ने अपनी पुस्तक युग यूगीन में रायसेन जिले और दुर्ग के इतिहास को लिखा है. लेखक राजीव चौबे ने सोमेश्वर धाम को लेकर ईटीवी भारत से फोन पर बात की. वह बताते हैं कि, ''सोमेश्वर मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी के आसपास हुआ था. 1543 में शेरशाह सूरी ने इसके लिए पर कब्जा कर लिया था और मंदिर से शिवलिंग हटा दिया था. आजादी के बाद धार्मिक विवाद गहराया तो प्रशासन ने मंदिर पर ताला लगा दिया. साल 1974 में मंदिर खुलवाने के लिए बड़ा आंदोलन हुआ था.''

''तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश चंद्र सेठी ने मंदिर में शिवलिंग की पुनः स्थापना करवाई थी. महाशिवरात्रि के दिन सुबह 5:00 बजे मंदिर के पट खोले जाते हैं और सूर्यास्त के समय पुनः बंद कर दिए जाते हैं. सांप्रदायिक हिंसा न बढ़े इसलिए प्रशासन ने महाशिवरात्रि पर ही मंदिर के ताले खोलने के आदेश जारी किए थे. जिसे लोग एक दिन की पैरोल मानकर चल रहे हैं. बाकी समय मंदिर में शिवलिंग ताले में कैद रहता है.''

रायसेन: देशभर में बड़ी धूमधाम के साथ महाशिवरात्रि के त्योहार को मनाया जा रहा है. सुबह से ही मंदिरों में भक्तों का ताता लगा हुआ है. भक्त फूल, बेलपत्र लेकर भगवान शिव को जल चढ़कर पवित्र अभिषेक कर रहे हैं. देश के चुनिंदा मंदिरों में से एक रायसेन दुर्ग पर बने हुए सोमेश्वर धाम का द्वार भी खुल गया है. सोमेश्वर भगवान जो कि वर्ष में सिर्फ एक बार ही अपने भक्तों को दर्शन देते हैं. साल के अन्य दिनों यहां ताला लगा रहता है. मोटी मोटी सलाखों के पीछे साल भर सोमेश्वर महादेव कैद रहते हैं.

महाशिवरात्रि पर मंदिर में उमड़ी भक्तों की भीड़
कई बार शिव भक्तों ने इसे लेकर आंदोलन भी किया और अपनी नाराजगी भी व्यक्त की. पर शिव भक्तों के तमाम प्रयास के बाद भी सोमेश्वर धाम के ताले आज तक नहीं खुले हैं. हिंदू समुदाय के लोग भगवान शिव को आजाद करने की अपनी उम्मीद लिये हुए हैं. भक्तों को उम्मीद है कि भगवान शिव को जल्द ही इन सलाखों से आजादी मिलेगी और भगवान शिव हर दिन अपने भक्तों से खुल कर मिल सकेंगे. फिलहाल महाशिवरात्रि का महापर्व है और हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी महज चंद्र घंटे के लिए सोमेश्वर महादेव अपने भक्तों से मिलने के लिए आजाद हुए.

साल में महाशिवरात्री पर खुलता है मंदिर का ताला (ETV Bharat)

आखिर क्यों मंदिर में लगा रहता है ताला?
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से लगभग 45 किलोमीटर का सफर करके आप रायसेन दुर्ग पहाड़ी पर बसे हुए विश्व प्रसिद्ध सोमेश्वर धाम पहुंचेंगे. महाशिवरात्रि पर यहां वर्ष में एक बार लोगों को भगवान शिव के दर्शन होते हैं. साल के अन्य दिन लोग सलाखों के पीछे से ही महादेव के दर्शन करते हैं. जिसकी एक बड़ी वजह पुरातत्व विभाग के कड़े नियम बताए जा रहे हैं. आजादी के बाद सांप्रदायिक हिंसा न भड़क उठे इसको देखते हुए प्रशासन ने इस मंदिर पर ताला लगा दिया था.

RAISEN SOMESHWAR MANDIR HISTORY
रायसेन में दुर्ग पहाड़ी पर बना है मंदिर (ETV Bharat)

ताले खोलने हुआ आंदोलन
जिसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश चंद्र सेठी ने महाशिवरात्रि पर एक दिन के लिए शिव मंदिर का ताला खोलने का अनुरोध केंद्र सरकार से किया था. जिसके बाद से ही महज एक दिन के लिए महाशिवरात्रि पर इस मंदिर के ताले खोले जाते हैं. महादेव को सलाखों से आजाद करने के लिए शिव भक्तों ने कई बार आंदोलन किया. जहां तक की मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती भी भगवान शिव को आजाद करने के लिए धरने पर बैठ गईं थीं और अन्न जल भी त्याग दिया था. पर तमाम प्रयासों के बाद भी भगवान शिव को आजादी नहीं मिल पाई है.

MAHADEV IMPRISONED IN MANDIR
ताले में कैद हैं महादेव (ETV Bharat)

11वीं शताब्दी में हुआ था मंदिर का निर्माण
लेखक राजीव चौबे ने अपनी पुस्तक युग यूगीन में रायसेन जिले और दुर्ग के इतिहास को लिखा है. लेखक राजीव चौबे ने सोमेश्वर धाम को लेकर ईटीवी भारत से फोन पर बात की. वह बताते हैं कि, ''सोमेश्वर मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी के आसपास हुआ था. 1543 में शेरशाह सूरी ने इसके लिए पर कब्जा कर लिया था और मंदिर से शिवलिंग हटा दिया था. आजादी के बाद धार्मिक विवाद गहराया तो प्रशासन ने मंदिर पर ताला लगा दिया. साल 1974 में मंदिर खुलवाने के लिए बड़ा आंदोलन हुआ था.''

''तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश चंद्र सेठी ने मंदिर में शिवलिंग की पुनः स्थापना करवाई थी. महाशिवरात्रि के दिन सुबह 5:00 बजे मंदिर के पट खोले जाते हैं और सूर्यास्त के समय पुनः बंद कर दिए जाते हैं. सांप्रदायिक हिंसा न बढ़े इसलिए प्रशासन ने महाशिवरात्रि पर ही मंदिर के ताले खोलने के आदेश जारी किए थे. जिसे लोग एक दिन की पैरोल मानकर चल रहे हैं. बाकी समय मंदिर में शिवलिंग ताले में कैद रहता है.''

Last Updated : Feb 26, 2025, 2:33 PM IST
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