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जेल से चल सकती है 'सरकार', चुनाव लड़ सकते हैं नेता जी, मगर वोट नहीं दे सकते कैदी, जानें क्या है कारण - lok sabha election 2024

Lok Sabha Election 2024 लोकसभा चुनाव सिर पर हैं. राज्य की सभी जेलों में लगभग 6,779 कैदी बंद हैं. ऐसे में ये सभी कैदी 19 अप्रैल को होने वाले लोकसभा चुनाव में अपने मतदान का प्रयोग नहीं कर पाएंगे. दरअसल जेल में बंद कैदी चुनाव लड़ सकते हैं और सरकार चला सकते हैं, लेकिन उन्हें अपने मताधिकार का प्रयोग करने का अधिकार नहीं है.

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जेल से सरकार और चुनाव लड़ सकते हैं कैदी
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Apr 12, 2024, 10:53 PM IST

Updated : Apr 15, 2024, 11:14 AM IST

जेल से चल सकती है 'सरकार

हल्द्वानी: सरकार समान अधिकार की बात तो करती है, लेकिन देश में अलग-अलग कानून के चलते कई बार लोगों को अपना अधिकार नहीं मिल पाता है. बात लोकतंत्र के सबसे बड़े पर्व चुनाव की करें, तो जेल में बंद कैदियों को मतदान करने का अधिकार नहीं है. कानूनी जानकारों की मानें तो बंदी जेल में रहते हुए चुनाव तो लड़ सकता है,लेकिन अपना मताधिकार का प्रयोग नहीं कर सकता है.

कई ऐसे अपराधी हैं, जो जेल में रहते हुए चुनाव लड़कर चुनाव जीत और हार चुके हैं. कई बार देखा गया है कि जेल में बंद कैदी अपने मताधिकार के प्रयोग के लिए निर्वाचन आयोग से गुहार तो लगाता है, लेकिन कानूनी दांव पेंच के चलते अपना मताधिकार प्रयोग नहीं कर पता है. कानूनी जानकार बताते हैं कि जेलों में बंद लोग अपने मताधिकार का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं. वह न्यायालय में विचाराधीन हो या सजायाफ्त इसके लिए लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम,1951 की धारा 62 का हवाला दिया जाता है.

बात उत्तराखंड की करें तो राज्य की दस जेलों में कैदियों की रखने की क्षमता 3,461 से है, लेकिन इन जेलों में दोगुने 6,603 कैदी बंद हैं. प्रदेश में केवल दो जेलें ही ऐसी हैं, जिसमें निर्धारित स्वीकृत क्षमता से कम कैदी बंद हैं. इनमें संपूर्णानंद शिविर सितारगंज (खुली जेल) में 48 सजायाफ्ता कैदी बंद हैं. कारागार चमोली की क्षमता 169 कैदियों की हैं और यहां 128 कैदी ही बंद हैं. कुल मिलकर राज्य की सभी जेलों में लगभग 6779 कैदी और बंदी बंद हैं और ये सभी अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं कर पाएंगे.

साल 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान एक मामले में जेल में बंद एक व्यक्ति ने वोट का अधिकार की बात बोलकर मतदान करने की अनुमति मांगी थी. तत्कालीन मुख्य निर्वाचन अधिकारी राधा रतूड़ी ने आईजी जेल से रिपोर्ट तलब की थी. आईजी जेल ने एक्ट का हवाला देकर वोटिंग का अधिकार न होने की बात कही थी. राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए), गुंडा एक्ट तथा शांतिभंग की 107-116 व 151 की धाराओं में बंद कैदियों को ही वोट देने की व्यवस्था की जाती है.

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हल्द्वानी: सरकार समान अधिकार की बात तो करती है, लेकिन देश में अलग-अलग कानून के चलते कई बार लोगों को अपना अधिकार नहीं मिल पाता है. बात लोकतंत्र के सबसे बड़े पर्व चुनाव की करें, तो जेल में बंद कैदियों को मतदान करने का अधिकार नहीं है. कानूनी जानकारों की मानें तो बंदी जेल में रहते हुए चुनाव तो लड़ सकता है,लेकिन अपना मताधिकार का प्रयोग नहीं कर सकता है.

कई ऐसे अपराधी हैं, जो जेल में रहते हुए चुनाव लड़कर चुनाव जीत और हार चुके हैं. कई बार देखा गया है कि जेल में बंद कैदी अपने मताधिकार के प्रयोग के लिए निर्वाचन आयोग से गुहार तो लगाता है, लेकिन कानूनी दांव पेंच के चलते अपना मताधिकार प्रयोग नहीं कर पता है. कानूनी जानकार बताते हैं कि जेलों में बंद लोग अपने मताधिकार का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं. वह न्यायालय में विचाराधीन हो या सजायाफ्त इसके लिए लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम,1951 की धारा 62 का हवाला दिया जाता है.

बात उत्तराखंड की करें तो राज्य की दस जेलों में कैदियों की रखने की क्षमता 3,461 से है, लेकिन इन जेलों में दोगुने 6,603 कैदी बंद हैं. प्रदेश में केवल दो जेलें ही ऐसी हैं, जिसमें निर्धारित स्वीकृत क्षमता से कम कैदी बंद हैं. इनमें संपूर्णानंद शिविर सितारगंज (खुली जेल) में 48 सजायाफ्ता कैदी बंद हैं. कारागार चमोली की क्षमता 169 कैदियों की हैं और यहां 128 कैदी ही बंद हैं. कुल मिलकर राज्य की सभी जेलों में लगभग 6779 कैदी और बंदी बंद हैं और ये सभी अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं कर पाएंगे.

साल 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान एक मामले में जेल में बंद एक व्यक्ति ने वोट का अधिकार की बात बोलकर मतदान करने की अनुमति मांगी थी. तत्कालीन मुख्य निर्वाचन अधिकारी राधा रतूड़ी ने आईजी जेल से रिपोर्ट तलब की थी. आईजी जेल ने एक्ट का हवाला देकर वोटिंग का अधिकार न होने की बात कही थी. राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए), गुंडा एक्ट तथा शांतिभंग की 107-116 व 151 की धाराओं में बंद कैदियों को ही वोट देने की व्यवस्था की जाती है.

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Last Updated : Apr 15, 2024, 11:14 AM IST
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