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योगी सरकार का TB को जड़ से खत्म करने का प्लान, पुराने मरीजों की भी होगी स्क्रीनिंग - CM YOGI TB ERADICATION

CM YOGI TB ERADICATION : मरीजों के संपर्क में रहने वालों की होगी कान्टेक्ट ट्रेसिंग. आरटीपीएमयू टीम हर माह करेगी भ्रमण.

योगी सरकार ने बनाया टीबी को खत्म करने का प्लान.
योगी सरकार ने बनाया टीबी को खत्म करने का प्लान. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 24, 2024, 6:55 AM IST

लखनऊ : योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों के साथ पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है. यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने में होगी. वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं. वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम 3 हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिए गए हैं. इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है.

रणनीति को किया जा रहा और सुदृढ़ : चिकित्सा एवं स्वास्थ्य प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा है. ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है. इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित मॉनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिए गए हैं.

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है. ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है. इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है. तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है.

साल 2025 तक टीबी मुक्त बनेगा प्रदेश.
साल 2025 तक टीबी मुक्त बनेगा प्रदेश. (Photo Credit; ETV Bharat)

कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान : राज्य क्षय रोग अधिकारी डॉ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं. कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा.

इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिए गए हैं.

हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश : टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लॉकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिए गए हैं. उन टीबी इकाइयों की पहचान करने के भी निर्देश दिए गए हैं जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं. उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है. क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं.

यह भी पढ़ें : टीबी मरीजों के लिए खुशखबरी: अब 500 की जगह मिलेगा 1000 रुपए भत्ता, किस माह से मिलेगा जानिए

लखनऊ : योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों के साथ पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है. यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने में होगी. वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं. वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम 3 हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिए गए हैं. इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है.

रणनीति को किया जा रहा और सुदृढ़ : चिकित्सा एवं स्वास्थ्य प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा है. ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है. इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित मॉनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिए गए हैं.

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है. ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है. इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है. तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है.

साल 2025 तक टीबी मुक्त बनेगा प्रदेश.
साल 2025 तक टीबी मुक्त बनेगा प्रदेश. (Photo Credit; ETV Bharat)

कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान : राज्य क्षय रोग अधिकारी डॉ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं. कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा.

इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिए गए हैं.

हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश : टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लॉकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिए गए हैं. उन टीबी इकाइयों की पहचान करने के भी निर्देश दिए गए हैं जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं. उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है. क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं.

यह भी पढ़ें : टीबी मरीजों के लिए खुशखबरी: अब 500 की जगह मिलेगा 1000 रुपए भत्ता, किस माह से मिलेगा जानिए

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