पटना: राजधानी पटना में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत शहर को सुंदर बनाने के लिए लाखों और करोड़ों रुपये की योजनाओं का इस्तेमाल किया गया. इसके सरकारी भवनों की दीवार और बाउंड्री वाल को आकर्षक पेंटिंग से सजाया गया था. प्रशिक्षित कलाकारों को हायर किया गया और महिनों की मेहनत से यह बन के तैयार हुआ. कहीं दीवार पर बिहार के मुख्य पर्यटन स्थल उकेरे गए तो कहीं मिथिला और मधुबनी पेंटिंग से दीवार को सजाया गया. अब आचार संहिता के लागू होते ही राजनीतिक दलों के पोस्टरों को यहां से उखाड़ा गया जिसके बाद दीवार की खूबसूरती पूरी बरबाद हो गई है.
दीवारों की खूबसूरती पर लगा दाग: बता दें कि बिहार के लोक परंपराओं और पर्व त्योहारों को ध्यान में रखकर उनकी छटा दिखाते हुए पेंटिंग तैयार की गई थी. चाहे पटना म्यूजियम का बाउंड्री वाल हो या पूरे गांधी मैदान का बाउंड्री वाल, सभी जगह खूबसूरत तस्वीर बनाई गई थी, जो शहर की खूबसूरती में चार-चांद लगा रहे थे. पटना आने वाले पर्यटकों को यह पेंटिंग्स काफी आकर्षित कर रही थी और पटना की सुंदरता भी निखरकर सामने आ रही थी लेकिन राजनीतिक दलों की पोस्टर बाजी ने इस सुंदरता को खाक में मिला दिया.
आचार संहिता लागू होने के हटे पोस्टर: तमाम पेंटिंग्स के ऊपर किसी भी प्रकार के सरकारी और गैर सरकारी संगठनों की ओर से पोस्टर लगाने की सख्त मनाही थी. पोस्टर लगाने वालों पर दंड के रूप में हजारों रुपये जुर्माना का प्रावधान किया गया. हालांकि इन सब को ठेंगा दिखाते हुए राजनीतिक दलों ने अपनी उपलब्धियां को बताने के लिए इन दीवारों को पोस्टर बाजी के लिए खूब इस्तेमाल किया. इस प्रकार पोस्टर लगाया कि उसे उखाड़ने के क्रम में पेंटिंग बरबाद गई हो गई. आदर्श आचार संहिता लगते ही तमाम पोस्टर को हटा दिया गया है.
पोस्टर का जोर ऐसा कि उखड़ गई पेंटिंग: राजनीतिक दलों के स्लोगन को दीवार से उखाड़ पाना संभव नहीं था, ऐसे में खरोंच कर सभी पोस्टर और नारेबाजी हटाए गए. इस क्रम में शहर की सुंदरता बढ़ाने वाले तमाम पेंटिंग्स खराब हो गए हैं. दीवार खुरदुरे हो गए हैं जो देखने में भद्दे लग रहे हैं. नगर विकास विभाग और सरकार ने भी इसके ऊपर कोई कार्रवाई नहीं की है. लोगों का यही कहना है कि सभी नियम कानून आम लोगों के लिए होते हैं, राजनीतिक दलों के लिए कोई नियम नहीं होता है.
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