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MLC उपचुनाव में JDU सांसद देवेश चंद्र ठाकुर की प्रतिष्ठा दांव पर, किसका खेल बिगाड़ेंगे प्रशांत किशोर?

तिरहुत एमएलसी उपचुनाव में देवेश चंद्र ठाकुर की प्रतिष्ठा दांव पर है. प्रशांत किशोर की एंट्री ने पक्ष और विपक्ष का खेल बिगाड़ दिया है.

Tirhut MLC Election
देवेश चंद्र ठाकुर की प्रतिष्ठा दांव पर (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : 12 hours ago

पटना: तिरहुत स्नातक एमएलसी निर्वाचन क्षेत्र के लिए उपचुनाव हो रहा है. जहां 5 दिसंबर को वोट डाला जाएगा. वैसे तो कुल 17 उम्मीदवार चुनावी मैदान में है लेकिन प्रशांत किशोर की तरफ से भी उम्मीदवार दिए जाने के कारण लड़ाई दिलचस्प हो गई है. इस सीट पर सीतामढ़ी से जेडीयू सांसद देवेश चंद्र ठाकुर का दबदबा रहा है. इसलिए उनकी प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है. वहीं कुछ बागी उम्मीदवारों के कारण भी लड़ाई कांटे की हो गई है.

देवेश चंद्र ठाकुर का रहा है दबदबा: 2002 से 2024 तक देवेश चंद्र ठाकुर का दबदबा दिखा है. चाहे निर्दलीय लड़ें हो या दल के टिकट पर, हर बार चुनाव जीते हैं. 2002 में जब देवेश चंद ठाकुर निर्दलीय चुनाव जीते थे, तब उन्होंने बयान दिया था कि आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव का भी सहयोग मिला था लेकिन इस बार सांसद बनने के बाद उनका एक बयान खूब चर्चा में रहा. जीतने के बाद उन्होंने कहा कि चाय-नाश्ता तो हम करा देंगे लेकिन मुस्लिम और यादव का काम नहीं करेंगे. हालांकि बाद में सफाई भी दी. अब यह चुनाव इसलिए भी दिलचस्प है, क्योंकि देवेश चंद्र ठाकुर की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. उन्हीं के रिकमेंड पर उनके नजदीकी जेडीयू प्रवक्ता अभिषेक झा चुनाव मैदान में हैं.

देखें रिपोर्ट (ETV Bharat)

जन सुराज पार्टी बिगाड़ेगी खेल?: वहींं प्रशांत किशोर को अभी हाल में विधानसभा उपचुनाव में चारों सीट पर बड़ा झटका लगा है. पार्टी बनाने के बाद पहली बार प्रशांत किशोर ने चुनाव में उम्मीदवार उतारा था लेकिन चारों उम्मीदवार चुनाव हार गए. अब विधान परिषद सीट पर उन्होंने दांव लगाया है. प्रशांत किशोर के उम्मीदवार डॉ. विनायक गौतम के पिता रामकुमार सिंह भी यहां से तीन बार विधान पार्षद रह चुके हैं. पूर्व मंत्री बिहार सरकार और स्थानीय कद्दावर स्वर्गीय रघुनाथ पांडे के दामाद रामकुमार सिंह ने लगातार तीन बार तिरहुत स्नातक क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया. ऐसा कहा जाता है कि तब स्वर्गीय पांडे का कद और दबदबा इनकी जीत का प्रमुख कारण हुआ करता था लेकिन देवेश चंद ठाकुर की एंट्री के बाद रामकुमार सिंह कभी जीत नहीं पाए.

Tirhut MLC Election
अपने प्रत्याशी के साथ प्रशांत किशोर (ETV Bharat)

निर्दलीय उम्मीदवार ने बढ़ाई टेंशन: ऐसे में देवेश चंद्र ठाकुर और प्रशांत किशोर के बीच ही मुख्य मुकाबला माना जा रहा है. हालांकि आरजेडी की तरफ से भी चुनौती दी गई है. कई बागी उम्मीदवार निर्दलीय के रूप में लड़ाई को दिलचस्प बना रहे हैं. लोजपा रामविलास के स्थानीय नेता राकेश रोशन की चर्चा भी खूब हो रही है. राकेश रोशन कड़ी चुनौती दे रहे हैं. राकेश रोशन निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. राकेश रोशन के कारण ही चिराग पासवान को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अभिषेक झा को समर्थन देने की घोषणा करनी पड़ी.

बागी ने बढ़ाई एनडीए की परेशानी: उधर, चेतन आनंद का बयान भी विवादों में रहा था. राजपूत वोट को अभिषेक झा के पक्ष में करने के लिए चिराग पासवान के खिलाफ चेतन आनंद ने बयान दिया था. बाद में एनडीए की तरफ से दबाव जब पड़ा, तब चिराग पासवान को प्रेस कॉन्फ्रेंस करना पड़ा. राकेश रोशन को रामेश्वर महतो का भी समर्थन मिला हुआ है, जिन्होंने हाल ही में जेडीयू से इस्तीफा दिया है. वहीं जदयू से बागी बने पूर्व महानगर अरविंद कुमार विभात, भाजपा नेता रहे मनोज कुमार वत्स भी चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. जेडीयू-बीजेपी और एलजेपीआर के तमाम बागी तिरहुत में एनडीए उम्मीदवार अभिषेक झा के लिए परेशानी बने हुए हैं.

जेडीयू ने किया जीत का दावा: हालांकि जेडीयू नेताओं का दावा है कि उपचुनाव में जनता ने एनडीए के पक्ष में चारों सीट पर मुहर लगाई है. इस बार भी जनता एनडीए के साथ है. एनडीए के सभी घटक दल एकजुट है. जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि जनता ने विधानसभा चुनाव में आरजेडी को जवाब दे दिया है, तिरहुत विधान परिषद उपचुनाव में उपेंद्र कुशवाहा, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और जेडीयू के कई मंत्री, राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा भी चुनाव प्रचार कर चुके हैं. चिराग पासवान का भी समर्थन प्राप्त है.

"एनडीए के सभी नेताओं ने अभिषेक झा के लिए प्रचार किया है. चिराग पासवान की तरफ से भी अभिषेक झा को पूरी तरह से समर्थन दिया गया है. विधानसभा उपचुनाव में आरजेडी चारों खाने चित हो चुका है. एमएलसी उपचुनाव में भी जीत एनडीए की ही होगी. प्रशांत किशोर का विधानसभा उपचुनाव में ही तंबू उखड़ गया है, इसलिए अब वह कोई चुनौती नहीं हैं."- नीरज कुमार, मुख्य प्रवक्ता, जनता दल यूनाइटेड

Tirhut MLC Election
जेडीयू उम्मीदवार अभिषेक झा (ETV Bharat)

क्या बोले आरजेडी प्रवक्ता?: इधर, आरजेडी नेताओं का भी दावा है कि उपचुनाव में उनके कैंडिडेट की जीत होगी. वहीं, प्रशांत किशोर की मजबूत दावेदारी को खारिज करते हुए प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा कि उन पर जनता विश्वास नहीं करती. लोग जानते हैं कि वह एनडीए के लिए काम करते हैं.

"दबदबा जनता का होता है, किसी नेता का नहीं. जनता जिसके साथ रहती है, जीत उसी की होती है और जनता अब तेजस्वी यादव के साथ है. प्रशांत किशोर चुनावी रणनीतिकार हैं, उनका कोई प्रभाव पड़ने वाला नहीं है. एनडीए के नेताओं को अब लॉयल्टी दिखाना पड़ रहा है लेकिन उससे कुछ नहीं होने वाला है."- एजाज अहमद, प्रवक्ता, राष्ट्रीय जनता दल

जेडीयू प्रत्याशी का पलड़ा भारी?: राजनीतिक विशेषज्ञ भोलानाथ का कहना है तिरहुत ग्रेजुएट विधान परिषद सीट की लड़ाई रोचक इसलिए हो गई है. एनडीए की तरफ से तो अभिषेक झा जेडीयू के उम्मीदवार हैं लेकिन लोजपा रामविलास के नेता राकेश रोशन निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. स्थानीय होने का दावा करते हैं और उन्हें जेडीयू के कई बाकी नेताओं का भी समर्थन मिला हुआ है, जिसमें रामेश्वर महतो भी हैं. राकेश रोशन अभिषेक झा की मुश्किल बढ़ा रहे हैं.

"ऐसे तो यह पूरा चुनाव धन बल और प्रबंधन का होता है, इसलिए एनडीए के नेता के तौर पर अभिषेक झा का पलड़ा जरूर भारी है लेकिन लड़ाई आसान नहीं है, क्योंकि प्रशांत किशोर के पार्टी के उम्मीदवार भी चुनाव मैदान में हैं और राजद की तरफ से भी उम्मीदवार है. अभी जब दबाव पड़ा है, तभी तो चिराग पासवान की तरफ से विशेष रूप से प्रेस कॉन्फ्रेंस कर समर्थन देने की बात कही गई."- भोलानाथ, राजनीतिक विशेषज्ञ

5 दिसंबर को तिरहुत के लिए मतदान: तिरहुत स्नातक निर्वाचन क्षेत्र में इस बार डेढ़ लाख से अधिक मतदाता हैं. पांच दिसंबर को ये मतदाता 17 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे. इससे लिए चार जिलों में 197 बूथ बनाए गए हैं. इनमें 89 मूल और 108 सहायक मतदान केंद्र हैं. मुजफ्फरपुर जिले में सर्वाधिक 67 हजार से अधिक मतदाता हैं. वहीं, सबसे कम शिवहर में 6641 मतदाता हैं. मुजफ्फरपुर में सर्वाधिक 86 बूथों पर वोट डाले जाएंगे. वहीं सीतामढ़ी में 54, वैशाली में 48 और शिवहर में नौ बूथों पर मतदान होगा.

तिरहुत विधान परिषद चुनाव में कौन-कौन उम्मीदवार?: जेडीयू से अभिषेक झा, आरजेडी से गोपी किशन और जन सुराज पार्टी से डॉ. विनायक गौतम मुख्य उम्मीदवार हैं. इसके अलावे कई निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में हैं. इनमें अरविंद कुमार विभात, अरुण कुमार जैन, ऋषि कुमार अग्रवाल, एहतेशामुल हसन रहमानी, प्रणय कुमार, भूषण महतो, मनोज कुमार वत्स, राकेश रौशन, रिंकू कुमारी, वंशीधर व्रजवाशी, संजना भारती, संजय कुमार उर्फ संजय कुमार झा, संजीव भूषण और संजीव कुमार शामिल हैं. वहीं, राजेश कुमार रौशन की मौत हो चुकी है.

कौन हैं देवेश चंद्र ठाकुर?: सीतामढ़ी से सांसद बनने के कारण देवेश चंद ठाकुर ने इस्तीफा दे दिया था, जिस वजह से तिरहुत विधान परिषद ग्रेजुएट सीट पर उपचुनाव हो रहा है. वह 2002 से यहां से लगातार एमएलसी का चुनाव जीतते रहे हैं. तिरहुत स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से 2002 में निर्दलीय और 2008 में जेडीयू से बिहार विधान परिषद के सदस्य के रूप में निर्वाचित हुए. 2008 में बिहार सरकार में आपदा प्रबंधन विभाग के मंत्री भी बने. 2014 में तिरहुत स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय तो 2020 में जेडीयू के टिकट पर फिर से तिरहुत स्नातक क्षेत्र से बिहार विधान परिषद् के सदस्य निर्वाचित हुए.

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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ देवेश चंद्र ठाकुर (ETV Bharat)

देवेश चंद्र के संबंध सबसे मधुर: देवेश चंद्र ठाकुर का वैसे तो सभी दलों के नेताओं से अच्छा संबंध रहा है लेकिन नीतीश कुमार के काफी करीबी रहे हैं. 2014 में जब जेडीयू से टिकट नहीं मिला था तो नीतीश कुमार से दूरियां बढ़ गई थी लेकिन बाद में नीतीश कुमार के साथ फिर से अच्छा संबंध हो गया और सांसद बनने से पहले दिवेश चंद ठाकुर को नीतीश कुमार ने विधान परिषद का सभापति भी बनाया था. महाराष्ट्र में जेडीयू के चुनाव प्रचार की कमान देवेश चंद्र ठाकुर के कंधों पर ही नीतीश कुमार ने दिया था. अब उनके नजदीकी अभिषेक झा पर दांव लगाया है और चुनाव प्रबंधन में अपनी ताकत भी लगा रहे हैं.

एनडीए की एकजुटता से जेडीयू उम्मीदवार का पलड़ा भारी: विधानसभा के चार सीटों पर हुए उपचुनाव में एनडीए ने एकजुटता दिखाई थी और उसका असर यह हुआ कि एनडीए ने तीन सीट महागठबंधन से छीन लिया. विधान परिषद की तिरहुत ग्रेजुएट सीट पर भी एनडीए एकजुटता दिखा रही है. एनडीए के सभी वरिष्ठ नेताओं ने जेडीयू के उम्मीदवार अभिषेक झा का समर्थन किया है. ऐसे में बागी यदि बहुत ज्यादा वोट नहीं काटे तो जेडीयू उम्मीदवार का पलड़ा एनडीए की एकजुटता और देवेश चंद्र ठाकुर के कारण सभी उम्मीदवार पर भारी पड़ सकता है.

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पटना: तिरहुत स्नातक एमएलसी निर्वाचन क्षेत्र के लिए उपचुनाव हो रहा है. जहां 5 दिसंबर को वोट डाला जाएगा. वैसे तो कुल 17 उम्मीदवार चुनावी मैदान में है लेकिन प्रशांत किशोर की तरफ से भी उम्मीदवार दिए जाने के कारण लड़ाई दिलचस्प हो गई है. इस सीट पर सीतामढ़ी से जेडीयू सांसद देवेश चंद्र ठाकुर का दबदबा रहा है. इसलिए उनकी प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है. वहीं कुछ बागी उम्मीदवारों के कारण भी लड़ाई कांटे की हो गई है.

देवेश चंद्र ठाकुर का रहा है दबदबा: 2002 से 2024 तक देवेश चंद्र ठाकुर का दबदबा दिखा है. चाहे निर्दलीय लड़ें हो या दल के टिकट पर, हर बार चुनाव जीते हैं. 2002 में जब देवेश चंद ठाकुर निर्दलीय चुनाव जीते थे, तब उन्होंने बयान दिया था कि आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव का भी सहयोग मिला था लेकिन इस बार सांसद बनने के बाद उनका एक बयान खूब चर्चा में रहा. जीतने के बाद उन्होंने कहा कि चाय-नाश्ता तो हम करा देंगे लेकिन मुस्लिम और यादव का काम नहीं करेंगे. हालांकि बाद में सफाई भी दी. अब यह चुनाव इसलिए भी दिलचस्प है, क्योंकि देवेश चंद्र ठाकुर की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. उन्हीं के रिकमेंड पर उनके नजदीकी जेडीयू प्रवक्ता अभिषेक झा चुनाव मैदान में हैं.

देखें रिपोर्ट (ETV Bharat)

जन सुराज पार्टी बिगाड़ेगी खेल?: वहींं प्रशांत किशोर को अभी हाल में विधानसभा उपचुनाव में चारों सीट पर बड़ा झटका लगा है. पार्टी बनाने के बाद पहली बार प्रशांत किशोर ने चुनाव में उम्मीदवार उतारा था लेकिन चारों उम्मीदवार चुनाव हार गए. अब विधान परिषद सीट पर उन्होंने दांव लगाया है. प्रशांत किशोर के उम्मीदवार डॉ. विनायक गौतम के पिता रामकुमार सिंह भी यहां से तीन बार विधान पार्षद रह चुके हैं. पूर्व मंत्री बिहार सरकार और स्थानीय कद्दावर स्वर्गीय रघुनाथ पांडे के दामाद रामकुमार सिंह ने लगातार तीन बार तिरहुत स्नातक क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया. ऐसा कहा जाता है कि तब स्वर्गीय पांडे का कद और दबदबा इनकी जीत का प्रमुख कारण हुआ करता था लेकिन देवेश चंद ठाकुर की एंट्री के बाद रामकुमार सिंह कभी जीत नहीं पाए.

Tirhut MLC Election
अपने प्रत्याशी के साथ प्रशांत किशोर (ETV Bharat)

निर्दलीय उम्मीदवार ने बढ़ाई टेंशन: ऐसे में देवेश चंद्र ठाकुर और प्रशांत किशोर के बीच ही मुख्य मुकाबला माना जा रहा है. हालांकि आरजेडी की तरफ से भी चुनौती दी गई है. कई बागी उम्मीदवार निर्दलीय के रूप में लड़ाई को दिलचस्प बना रहे हैं. लोजपा रामविलास के स्थानीय नेता राकेश रोशन की चर्चा भी खूब हो रही है. राकेश रोशन कड़ी चुनौती दे रहे हैं. राकेश रोशन निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. राकेश रोशन के कारण ही चिराग पासवान को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अभिषेक झा को समर्थन देने की घोषणा करनी पड़ी.

बागी ने बढ़ाई एनडीए की परेशानी: उधर, चेतन आनंद का बयान भी विवादों में रहा था. राजपूत वोट को अभिषेक झा के पक्ष में करने के लिए चिराग पासवान के खिलाफ चेतन आनंद ने बयान दिया था. बाद में एनडीए की तरफ से दबाव जब पड़ा, तब चिराग पासवान को प्रेस कॉन्फ्रेंस करना पड़ा. राकेश रोशन को रामेश्वर महतो का भी समर्थन मिला हुआ है, जिन्होंने हाल ही में जेडीयू से इस्तीफा दिया है. वहीं जदयू से बागी बने पूर्व महानगर अरविंद कुमार विभात, भाजपा नेता रहे मनोज कुमार वत्स भी चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. जेडीयू-बीजेपी और एलजेपीआर के तमाम बागी तिरहुत में एनडीए उम्मीदवार अभिषेक झा के लिए परेशानी बने हुए हैं.

जेडीयू ने किया जीत का दावा: हालांकि जेडीयू नेताओं का दावा है कि उपचुनाव में जनता ने एनडीए के पक्ष में चारों सीट पर मुहर लगाई है. इस बार भी जनता एनडीए के साथ है. एनडीए के सभी घटक दल एकजुट है. जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि जनता ने विधानसभा चुनाव में आरजेडी को जवाब दे दिया है, तिरहुत विधान परिषद उपचुनाव में उपेंद्र कुशवाहा, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और जेडीयू के कई मंत्री, राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा भी चुनाव प्रचार कर चुके हैं. चिराग पासवान का भी समर्थन प्राप्त है.

"एनडीए के सभी नेताओं ने अभिषेक झा के लिए प्रचार किया है. चिराग पासवान की तरफ से भी अभिषेक झा को पूरी तरह से समर्थन दिया गया है. विधानसभा उपचुनाव में आरजेडी चारों खाने चित हो चुका है. एमएलसी उपचुनाव में भी जीत एनडीए की ही होगी. प्रशांत किशोर का विधानसभा उपचुनाव में ही तंबू उखड़ गया है, इसलिए अब वह कोई चुनौती नहीं हैं."- नीरज कुमार, मुख्य प्रवक्ता, जनता दल यूनाइटेड

Tirhut MLC Election
जेडीयू उम्मीदवार अभिषेक झा (ETV Bharat)

क्या बोले आरजेडी प्रवक्ता?: इधर, आरजेडी नेताओं का भी दावा है कि उपचुनाव में उनके कैंडिडेट की जीत होगी. वहीं, प्रशांत किशोर की मजबूत दावेदारी को खारिज करते हुए प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा कि उन पर जनता विश्वास नहीं करती. लोग जानते हैं कि वह एनडीए के लिए काम करते हैं.

"दबदबा जनता का होता है, किसी नेता का नहीं. जनता जिसके साथ रहती है, जीत उसी की होती है और जनता अब तेजस्वी यादव के साथ है. प्रशांत किशोर चुनावी रणनीतिकार हैं, उनका कोई प्रभाव पड़ने वाला नहीं है. एनडीए के नेताओं को अब लॉयल्टी दिखाना पड़ रहा है लेकिन उससे कुछ नहीं होने वाला है."- एजाज अहमद, प्रवक्ता, राष्ट्रीय जनता दल

जेडीयू प्रत्याशी का पलड़ा भारी?: राजनीतिक विशेषज्ञ भोलानाथ का कहना है तिरहुत ग्रेजुएट विधान परिषद सीट की लड़ाई रोचक इसलिए हो गई है. एनडीए की तरफ से तो अभिषेक झा जेडीयू के उम्मीदवार हैं लेकिन लोजपा रामविलास के नेता राकेश रोशन निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. स्थानीय होने का दावा करते हैं और उन्हें जेडीयू के कई बाकी नेताओं का भी समर्थन मिला हुआ है, जिसमें रामेश्वर महतो भी हैं. राकेश रोशन अभिषेक झा की मुश्किल बढ़ा रहे हैं.

"ऐसे तो यह पूरा चुनाव धन बल और प्रबंधन का होता है, इसलिए एनडीए के नेता के तौर पर अभिषेक झा का पलड़ा जरूर भारी है लेकिन लड़ाई आसान नहीं है, क्योंकि प्रशांत किशोर के पार्टी के उम्मीदवार भी चुनाव मैदान में हैं और राजद की तरफ से भी उम्मीदवार है. अभी जब दबाव पड़ा है, तभी तो चिराग पासवान की तरफ से विशेष रूप से प्रेस कॉन्फ्रेंस कर समर्थन देने की बात कही गई."- भोलानाथ, राजनीतिक विशेषज्ञ

5 दिसंबर को तिरहुत के लिए मतदान: तिरहुत स्नातक निर्वाचन क्षेत्र में इस बार डेढ़ लाख से अधिक मतदाता हैं. पांच दिसंबर को ये मतदाता 17 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे. इससे लिए चार जिलों में 197 बूथ बनाए गए हैं. इनमें 89 मूल और 108 सहायक मतदान केंद्र हैं. मुजफ्फरपुर जिले में सर्वाधिक 67 हजार से अधिक मतदाता हैं. वहीं, सबसे कम शिवहर में 6641 मतदाता हैं. मुजफ्फरपुर में सर्वाधिक 86 बूथों पर वोट डाले जाएंगे. वहीं सीतामढ़ी में 54, वैशाली में 48 और शिवहर में नौ बूथों पर मतदान होगा.

तिरहुत विधान परिषद चुनाव में कौन-कौन उम्मीदवार?: जेडीयू से अभिषेक झा, आरजेडी से गोपी किशन और जन सुराज पार्टी से डॉ. विनायक गौतम मुख्य उम्मीदवार हैं. इसके अलावे कई निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में हैं. इनमें अरविंद कुमार विभात, अरुण कुमार जैन, ऋषि कुमार अग्रवाल, एहतेशामुल हसन रहमानी, प्रणय कुमार, भूषण महतो, मनोज कुमार वत्स, राकेश रौशन, रिंकू कुमारी, वंशीधर व्रजवाशी, संजना भारती, संजय कुमार उर्फ संजय कुमार झा, संजीव भूषण और संजीव कुमार शामिल हैं. वहीं, राजेश कुमार रौशन की मौत हो चुकी है.

कौन हैं देवेश चंद्र ठाकुर?: सीतामढ़ी से सांसद बनने के कारण देवेश चंद ठाकुर ने इस्तीफा दे दिया था, जिस वजह से तिरहुत विधान परिषद ग्रेजुएट सीट पर उपचुनाव हो रहा है. वह 2002 से यहां से लगातार एमएलसी का चुनाव जीतते रहे हैं. तिरहुत स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से 2002 में निर्दलीय और 2008 में जेडीयू से बिहार विधान परिषद के सदस्य के रूप में निर्वाचित हुए. 2008 में बिहार सरकार में आपदा प्रबंधन विभाग के मंत्री भी बने. 2014 में तिरहुत स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय तो 2020 में जेडीयू के टिकट पर फिर से तिरहुत स्नातक क्षेत्र से बिहार विधान परिषद् के सदस्य निर्वाचित हुए.

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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ देवेश चंद्र ठाकुर (ETV Bharat)

देवेश चंद्र के संबंध सबसे मधुर: देवेश चंद्र ठाकुर का वैसे तो सभी दलों के नेताओं से अच्छा संबंध रहा है लेकिन नीतीश कुमार के काफी करीबी रहे हैं. 2014 में जब जेडीयू से टिकट नहीं मिला था तो नीतीश कुमार से दूरियां बढ़ गई थी लेकिन बाद में नीतीश कुमार के साथ फिर से अच्छा संबंध हो गया और सांसद बनने से पहले दिवेश चंद ठाकुर को नीतीश कुमार ने विधान परिषद का सभापति भी बनाया था. महाराष्ट्र में जेडीयू के चुनाव प्रचार की कमान देवेश चंद्र ठाकुर के कंधों पर ही नीतीश कुमार ने दिया था. अब उनके नजदीकी अभिषेक झा पर दांव लगाया है और चुनाव प्रबंधन में अपनी ताकत भी लगा रहे हैं.

एनडीए की एकजुटता से जेडीयू उम्मीदवार का पलड़ा भारी: विधानसभा के चार सीटों पर हुए उपचुनाव में एनडीए ने एकजुटता दिखाई थी और उसका असर यह हुआ कि एनडीए ने तीन सीट महागठबंधन से छीन लिया. विधान परिषद की तिरहुत ग्रेजुएट सीट पर भी एनडीए एकजुटता दिखा रही है. एनडीए के सभी वरिष्ठ नेताओं ने जेडीयू के उम्मीदवार अभिषेक झा का समर्थन किया है. ऐसे में बागी यदि बहुत ज्यादा वोट नहीं काटे तो जेडीयू उम्मीदवार का पलड़ा एनडीए की एकजुटता और देवेश चंद्र ठाकुर के कारण सभी उम्मीदवार पर भारी पड़ सकता है.

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तिरहुत स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के निर्दलीय प्रत्याशी की मौत, भाजपा से बगावत कर किया था नामांकन

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