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अनंत सिंह की रिहाई के बाद CM नीतीश से दूर होगी भूमिहार समाज की नाराजगी! क्या फिर से मोर्चा संभालेंगे 'छोटे सरकार'? - Anant Singh

JDU Benefits From Anant Singh: मोकामा के पूर्व विधायक अनंत सिंह की रिहाई के साथ ही चर्चा शुरू हो गई है कि क्या सिर्फ 2.86 प्रतिशत वोट के लिए सरकार ने 5 साल पुराना फैसला बदल लिया? असल में बाहुबली नेता के जेल जाने से न केवल उनके समर्थक बल्कि उनकी जाति के लोगों में भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर नाराजगी थी. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या उनके जेल से बाहर आने के बाद अब भूमिहार समाज के लोग विधानसभा चुनाव में बेहिचक जेडीयू को समर्थन देंगे.? पढ़ें पूरी खबर..

बाहुबली अनंत सिंह
बाहुबली अनंत सिंह (ETV Bharat GFX)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Aug 17, 2024, 10:47 AM IST

बिहार सरकार में मंत्री अशोक चौधरी (ETV Bharat)

पटनाः आवास से एके-47 और बुलेट प्रुफ जैकेट बरामद होने के मामले में अनंत सिंह बरी हो गए. शुक्रवार को जेल से बाहर भी आ गए. अनंत सिंह के बाहर आते ही राजनीतिक चर्चा शुरू हो गयी. माना जा रहा है कि अनंत सिंह के जेल जाने से 2.86 प्रतिशत भूमिहार वोटर्स नीतीश कुमार से नाराज चल रहे थे लेकिन इस नाराजगी को दूर करने का पूरा प्रयास किया गया है. आने वाले विधानसभा चुनाव 2025 में नीतीश कुमार को इसका सीधा लाभ मिलने वाला है.

क्या फिर चुनाव लड़ेंगे अनंत सिंह? सवाल है कि क्या अनंत सिंह एक बार फिर से मोकामा से चुनाव लड़ेंगे या फिर अपनी पत्नी के लिए प्रचार करेंगे? इसको लेकर जब मीडिया ने पूछा तो अनंत सिंह ने कहा कि जनता ने चाहा तो जरूर चुनाव लड़ेंगे लेकिन कहां से लड़ेंगे इसके बारे में कुछ नहीं कहा. संभव है कि इस बार या तो पत्नी नीलम देवी या अनंत सिंह खुद सत्ता पक्ष को मजबूती प्रदान करेंगे. लेकिन इससे नीतीश कुमार को कितना फायदा होगा. इसके बारे में राजनीतिक विशेषज्ञ के अपने अपने राय हैं.

"अनंत सिंह छोटे साहब के नाम से अपने क्षेत्र में लोकप्रिय हैं. भूमिहार जाति में उनकी लोकप्रियता किसी से छिपी नहीं है. रॉबिन हुड की तरह भूमिहार जाति में उनकी छवि है. जेल से जिस प्रकार से उनकी रिहाई हुई है. इसका संकेत साफ है कि जदयू और एनडीए को मदद करेंगे. जो भूमिहार जाति के वोटर नीतीश कुमार से नाराज हो गए थे बहुत हद तक उनकी नाराजगी भी दूर हो गई होगी." -प्रिय रंजन भारती, राजनीतिक विशेषज्ञ

बाहुबली अनंत सिंह
बाहुबली अनंत सिंह (ETV Bharat GFX)

एनडीए की सरकार बनने से लिखी गयी पटकथाः प्रिय रंजन भारती का कहना है अनंत सिंह का झुकाव उस समय से दिखने लगा था जब नीतीश कुमार पाला बादल कर इस साल एनडीए की सरकार बना ली थी. विधानसभा में जब बहुमत सिद्ध करना था तो पत्नी नीलम देवी आरजेडी का साथ छोड़कर सत्ता पक्ष में आ गयी थी. बाद में नीलम देवी की सदस्यता समाप्त करने के लिए राजद ने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र भी दिया लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.

लोकसभा चुनाव में बने प्रचारकः प्रिय रंजन भारती मानते हैं कि लोकसभा चुनाव के दौरान भी अनंत सिंह की रिहाई की झलक साफ थी. पैतृक जमीन बंटवारा के नाम पर पैरोल पर बाहर निकले अनंत सिंह ने लोकसभा चुनाव में ललन सिंह के लिए प्रचार किया था. ललन सिंह मुंगेर लोकसभा क्षेत्र से जीत दर्ज की. इस दौरान अनंत सिंह ने नीतीश कुमार की जमकर तारीफ की थी. उन्होंने तेजस्वी यादव पर जमकर निशाना साधा था. इसी दौरान साफ हो गया था कि कुछ नया फैसला होने वाला है. हुआ भी ऐसा ही.

"अनंत सिंह जब पैरोल पर 15 दिनों के लिए जेल से बाहर आए थे तो उन्होंने तेजस्वी यादव पर जमकर हमला बोला था. नीतीश कुमार की तारीफ की थी और यह भी कहा था कि उन्हें फंसाने में नीतीश कुमार की कोई भूमिका नहीं है. उसी समय साफ हो गया था कि 2025 में एनडीए के साथ रहेंगे. इसमें कहीं भी किंतु परंतु नहीं है." - प्रिय रंजन भारती, राजनीतिक विशेषज्ञ

2005 के बाद कभी नहीं हारेः अनंत सिंह का मोकामा में अच्छी पकड़ रही है. 2.86 प्रतिशत भूमिहार वोटर्स के माध्यम से चुनाव जीतते आ रहे हैं. पिछले 2005 और 2010 में जदयू की टिकट पर चुनाव लड़े थे और जीत हासिल की थी. लेकिन 2015 में नीतीश से नाराजगी के कारण अलग हो गए. 2015 और 2020 में दो बार निर्दलीय चुनाव लड़े और जीत दर्ज की. 2020 में जेल में रहने के बावजूद उन्होंने चुनाव जीत दर्ज की थी. एके-47 मामले में 10 साल की सजा होने के बाद सदस्यता चली गयी थी.

बाहुबली अनंत सिंह
बाहुबली अनंत सिंह (ETV Bharat GFX)

अनंत सिंह के बाद पत्नी ने संभाला मोर्चाः मोकामा में दबदबा बना रहा. मोकामा विधानसभा उपचुनाव में पत्नी नीलम देवी ने जीत दर्ज की. अनंत सिंह के जेल में रहने के बाद भी कोई असर नहीं हुआ. हालांकि नीलम देवी ने राजद कोटे से चुनाव लड़ी थी लेकिन एनडीए की सरकार बनने के दौरान सत्ता पक्ष में शामिल हो गयी थी. अब ऐसा माना जा रहा है विधानसभा चुनाव में सत्ता पक्ष को मजबूती प्रदान करेंगे.

नीतीश के मंत्री की सफाईः जदयू प्रवक्ता अरविंद निषाद का कहना है कि 'अभी जदयू में अनंत सिंह अभी जदयू में शामिल नहीं हैं. फैसला उनको करना है.' भूमिहार वोटर की नाराजगी के सवाल पर जदयू प्रवक्ता कुछ भी बोलने से बच रहे हैं. हालांकि नाराजगी पर बिहार सरकार में मंत्री अशोक चौधरी ने अपनी सफाई दी. उन्होंने कहा कि 'हमलोगों ने नहीं भगाया था बल्कि अनंत सिंह खुद नाराज होकर चले गए थे.' इस दौरान उन्होंने तेजस्वी यादव के आरोपों पर भी सफाई दी.

"आज तेजस्वी यादव कहते हैं कि अनंत सिंह अपराधी हैं. तेजस्वी यादव ने ही उनकी पत्नी को टिकट दिया था. और आज गाली दे रहे हैं. बात रही अनंत सिंह के जाने की तो वे खुद नीतीश कुमार से नाराज होकर चले गए थे. उन्हें भगाया नहीं गया था. इसके बाद राजद ने ही उन्हें संरक्षण दिया. अनंत सिंह की रिहाई सरकार का निर्णय नहीं है बल्कि कोर्ट का फैसला है." -अशोक चौधरी, मंत्री, बिहार सरकार

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पटनाः आवास से एके-47 और बुलेट प्रुफ जैकेट बरामद होने के मामले में अनंत सिंह बरी हो गए. शुक्रवार को जेल से बाहर भी आ गए. अनंत सिंह के बाहर आते ही राजनीतिक चर्चा शुरू हो गयी. माना जा रहा है कि अनंत सिंह के जेल जाने से 2.86 प्रतिशत भूमिहार वोटर्स नीतीश कुमार से नाराज चल रहे थे लेकिन इस नाराजगी को दूर करने का पूरा प्रयास किया गया है. आने वाले विधानसभा चुनाव 2025 में नीतीश कुमार को इसका सीधा लाभ मिलने वाला है.

क्या फिर चुनाव लड़ेंगे अनंत सिंह? सवाल है कि क्या अनंत सिंह एक बार फिर से मोकामा से चुनाव लड़ेंगे या फिर अपनी पत्नी के लिए प्रचार करेंगे? इसको लेकर जब मीडिया ने पूछा तो अनंत सिंह ने कहा कि जनता ने चाहा तो जरूर चुनाव लड़ेंगे लेकिन कहां से लड़ेंगे इसके बारे में कुछ नहीं कहा. संभव है कि इस बार या तो पत्नी नीलम देवी या अनंत सिंह खुद सत्ता पक्ष को मजबूती प्रदान करेंगे. लेकिन इससे नीतीश कुमार को कितना फायदा होगा. इसके बारे में राजनीतिक विशेषज्ञ के अपने अपने राय हैं.

"अनंत सिंह छोटे साहब के नाम से अपने क्षेत्र में लोकप्रिय हैं. भूमिहार जाति में उनकी लोकप्रियता किसी से छिपी नहीं है. रॉबिन हुड की तरह भूमिहार जाति में उनकी छवि है. जेल से जिस प्रकार से उनकी रिहाई हुई है. इसका संकेत साफ है कि जदयू और एनडीए को मदद करेंगे. जो भूमिहार जाति के वोटर नीतीश कुमार से नाराज हो गए थे बहुत हद तक उनकी नाराजगी भी दूर हो गई होगी." -प्रिय रंजन भारती, राजनीतिक विशेषज्ञ

बाहुबली अनंत सिंह
बाहुबली अनंत सिंह (ETV Bharat GFX)

एनडीए की सरकार बनने से लिखी गयी पटकथाः प्रिय रंजन भारती का कहना है अनंत सिंह का झुकाव उस समय से दिखने लगा था जब नीतीश कुमार पाला बादल कर इस साल एनडीए की सरकार बना ली थी. विधानसभा में जब बहुमत सिद्ध करना था तो पत्नी नीलम देवी आरजेडी का साथ छोड़कर सत्ता पक्ष में आ गयी थी. बाद में नीलम देवी की सदस्यता समाप्त करने के लिए राजद ने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र भी दिया लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.

लोकसभा चुनाव में बने प्रचारकः प्रिय रंजन भारती मानते हैं कि लोकसभा चुनाव के दौरान भी अनंत सिंह की रिहाई की झलक साफ थी. पैतृक जमीन बंटवारा के नाम पर पैरोल पर बाहर निकले अनंत सिंह ने लोकसभा चुनाव में ललन सिंह के लिए प्रचार किया था. ललन सिंह मुंगेर लोकसभा क्षेत्र से जीत दर्ज की. इस दौरान अनंत सिंह ने नीतीश कुमार की जमकर तारीफ की थी. उन्होंने तेजस्वी यादव पर जमकर निशाना साधा था. इसी दौरान साफ हो गया था कि कुछ नया फैसला होने वाला है. हुआ भी ऐसा ही.

"अनंत सिंह जब पैरोल पर 15 दिनों के लिए जेल से बाहर आए थे तो उन्होंने तेजस्वी यादव पर जमकर हमला बोला था. नीतीश कुमार की तारीफ की थी और यह भी कहा था कि उन्हें फंसाने में नीतीश कुमार की कोई भूमिका नहीं है. उसी समय साफ हो गया था कि 2025 में एनडीए के साथ रहेंगे. इसमें कहीं भी किंतु परंतु नहीं है." - प्रिय रंजन भारती, राजनीतिक विशेषज्ञ

2005 के बाद कभी नहीं हारेः अनंत सिंह का मोकामा में अच्छी पकड़ रही है. 2.86 प्रतिशत भूमिहार वोटर्स के माध्यम से चुनाव जीतते आ रहे हैं. पिछले 2005 और 2010 में जदयू की टिकट पर चुनाव लड़े थे और जीत हासिल की थी. लेकिन 2015 में नीतीश से नाराजगी के कारण अलग हो गए. 2015 और 2020 में दो बार निर्दलीय चुनाव लड़े और जीत दर्ज की. 2020 में जेल में रहने के बावजूद उन्होंने चुनाव जीत दर्ज की थी. एके-47 मामले में 10 साल की सजा होने के बाद सदस्यता चली गयी थी.

बाहुबली अनंत सिंह
बाहुबली अनंत सिंह (ETV Bharat GFX)

अनंत सिंह के बाद पत्नी ने संभाला मोर्चाः मोकामा में दबदबा बना रहा. मोकामा विधानसभा उपचुनाव में पत्नी नीलम देवी ने जीत दर्ज की. अनंत सिंह के जेल में रहने के बाद भी कोई असर नहीं हुआ. हालांकि नीलम देवी ने राजद कोटे से चुनाव लड़ी थी लेकिन एनडीए की सरकार बनने के दौरान सत्ता पक्ष में शामिल हो गयी थी. अब ऐसा माना जा रहा है विधानसभा चुनाव में सत्ता पक्ष को मजबूती प्रदान करेंगे.

नीतीश के मंत्री की सफाईः जदयू प्रवक्ता अरविंद निषाद का कहना है कि 'अभी जदयू में अनंत सिंह अभी जदयू में शामिल नहीं हैं. फैसला उनको करना है.' भूमिहार वोटर की नाराजगी के सवाल पर जदयू प्रवक्ता कुछ भी बोलने से बच रहे हैं. हालांकि नाराजगी पर बिहार सरकार में मंत्री अशोक चौधरी ने अपनी सफाई दी. उन्होंने कहा कि 'हमलोगों ने नहीं भगाया था बल्कि अनंत सिंह खुद नाराज होकर चले गए थे.' इस दौरान उन्होंने तेजस्वी यादव के आरोपों पर भी सफाई दी.

"आज तेजस्वी यादव कहते हैं कि अनंत सिंह अपराधी हैं. तेजस्वी यादव ने ही उनकी पत्नी को टिकट दिया था. और आज गाली दे रहे हैं. बात रही अनंत सिंह के जाने की तो वे खुद नीतीश कुमार से नाराज होकर चले गए थे. उन्हें भगाया नहीं गया था. इसके बाद राजद ने ही उन्हें संरक्षण दिया. अनंत सिंह की रिहाई सरकार का निर्णय नहीं है बल्कि कोर्ट का फैसला है." -अशोक चौधरी, मंत्री, बिहार सरकार

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