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लजीज खाना बनाने में बिहार के लोगों का जवाब नहीं! फूड सेक्टर के कारोबार में बढ़ा दबदबा.. महिलाओं से आगे पुरुष - Cooking Business

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Sep 7, 2024, 1:09 PM IST

Bihar Rank Third In Cooking: बिहार के लाखों युवा प्रोफेशनल पाककला से जुड़े हुए हैं. ई-श्रम पोर्टल पर मौजूद बिहार में रसोइया की संख्या के अनुसार इसमें सबसे ज्यादा पुरुष शामिल हैं. पूरे देश में बिहार तीसरे स्थान है, जहां पुरुष खाना बनाने का काम करते हैं. बिहार के कई बड़े शेफ भी हैं, जो देश-विदेश में अपना नाम कमा रहे हैं. पढ़ें रिपोर्ट..

पाककला में बिहार का दबदबा
पाककला में बिहार का दबदबा (ETV Bharat GFX)
खाना बनाने में बिहार के पुरुष महिला से आगे (ETV Bharat)

पटनाः फूड सेक्टर के कारोबार में पूरे देश में पुरुषों का दबदबा है, इसमें बिहार के पुरुष भी पीछे नहीं हैं. राष्ट्रीय औसत से भी अधिक बिहार के पुरुष इस भोजन के कारोबार में जुड़े हुए हैं. राष्ट्रीय औसत 60 फीसदी पुरुष तो 40 फीसदी महिलाओं का है. ई-श्रम पोर्टल के निबंधन के आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश के सबसे अधिक इस सेक्टर से जुड़े हुए हैं. दूसरे नंबर पर पश्चिम बंगाल और तीसरे स्थान पर बिहार शामिल है.

सबसे ज्यादा अप्रशिक्षित कूकः कई ऐसे कूक हैं जो अनप्रोफेशनल तरीके से बिना प्रशिक्षण लिए काम कर रहे हैं तो कई डिग्री हासिल कर प्रोफेशनल शेफ हैं. उत्तर बिहार के लोग बिना किसी संस्थान से प्रशिक्षण लिए ट्रेंड हैं. अपने पिता और दोस्तों से काम सीखकर खाना बना रहे हैं. खाना बनाने में बिहार के पुरुषों की संख्या तो 10 लाख से अधिक है लेकिन जानकारी के अभाव में ई-श्रम पोर्टल निबंधन नहीं होने के कारण आंकड़ा स्पष्ट नहीं है.

पुरुष कूक में बिहार के टॉप जिला
पुरुष कूक में बिहार के टॉप जिला (ETV Bharat GFX)

होटल प्रबंधन संस्थान की कमी: बिहार के लोग खाना बनाने में तो आगे हैं लेकिन राज्य में संस्थान नहीं होने के कारण बिना प्रशिक्षण काम कर रहे हैं. जितने भी मशहूर संस्थान हैं सभी राज्य से बाहर है, जहां से पढ़ाई के लिए मोटी फीस की जरूरत पड़ती है. यही कारण है कि बिहार के युवा बिना प्रशिक्षण लिए किसी तरह काम सीखते हैं और फिर छोटे-मोटे होटलों और शादी-विवाह में खाना बनाने का काम करते हैं. बिहार के युवा कई राज्यों में भी खाना बनाते हैं.

इस उम्र के लोग ज्यादाः देश के असंगठित क्षेत्र में लाखों की संख्या में बिहार के लोग भोजन बनाने का काम करते हैं. होटल, फास्ट फूड की दुकान इन्हीं की बदौलत फल फूल रही है. रिपोर्ट के अनुसार इस काम में 18 वर्ष से 40 वर्ष तक के लोग सबसे अधिक हैं. ई-श्रम पोर्टल के अनुसार बिहार में भोजन बनाने के कारोबार में 48000 पुरुष तो 25756 महिलाएं हैं. 18 वर्ष से 40 वर्ष के 47853 लोग हैं. 40 से 50 वर्ष के 16201 तो 50 वर्ष से अधिक उम्र के 9546 लोग हैं.

पाककला में महिला और पुरुष
पाककला में महिला और पुरुष (ETV Bharat GFX)

श्रम विभाग को करना चाहिए पहलः अर्थशास्त्र विशेषज्ञ एनके चौधरी का कहना है भोजन बनाने का व्यवसाय बहुत बड़ा है. रोजगार का बहुत बड़ा क्षेत्र है लेकिन असंगठित क्षेत्र है. बिहार तीसरे स्थान पर है लेकिन बिहार के लोग जागरूकता के अभाव में बड़ी संख्या में अपना निबंधन नहीं करा पाते हैं. बिहार के श्रम विभाग को इस दिशा में पहल करनी चाहिए.

"उत्तर बिहार के लोग शुरू से भोजन बनाने के कारोबार में काफी कुशल हैं. बंगाल दिल्ली सहित कई स्थानों पर जाकर वर्षों से यह काम करते रहे हैं. कई परिवार में वर्षों से भोजन बनाने का काम चला आ रहा है. असंगठित क्षेत्र में कई ऐसे क्षेत्र हैं जिसमें कुशल कारीगर हैं उनको ट्रेनिंग नहीं दी गई है. भोजन बनाने का कौशल भी शामिल है. यह रोजगार का बहुत-बड़ा क्षेत्र है." -एनके चौधरी, अर्थशास्त्री

बिहार में मुजफ्फरपुर आगेः रिपोर्ट के अनुसार उत्तर बिहार के लोग सबसे अधिक भोजन के कारोबार में हैं. मुजफ्फरपुर के लोग बिहार में पहले स्थान पर हैं. दूसरे पायदान पर पटना के लोग हैं. तीसरे स्थान पर दरभंगा, चौथे स्थान पर मधुबनी, समस्तीपुर पांचवें स्थान और भागलपुर छठे स्थान पर है. राज्य की बात करें तो सबसे एक नंबर पर उत्तर बिहार है. दूसरे नंबर पर बंगाल और तीसरे नंबर पर बिहार शामिल है.

पुरुष कूक में बिहार का तीसरा स्थान
पुरुष कूक में बिहार का तीसरा स्थान (ETV Bharat GFX)

वर्षों से एक ही काम कर रहेः बिहार के एक होटल में भोजन बनाने वाले संजय का कहना है कि पिछले 7 सालों से इस क्षेत्र में हैं. उन्हें खाना बनाना अच्छा लगता है. सभी तरह का खाना बना लेते हैं. उनके परिवार के कई सदस्य इस क्षेत्र में है, उनके बड़े भाई भी शेफ हैं. मुजफ्फरपुर के रहने वाले सिकंदर पटना में खाना बनाते हैं. उन्होंने बताया कि वे पिछले 10 सालों से यह काम कर रहे हैं. उनके पिता भी 40 साल से इस व्यवसाय में हैं. 30000 रुपए तक महीना कमा लेते हैं

"पिछले 20 सालों से खाना बनाने का कारोबार में हैं. हर तरह का खाना बना लेते हैं. समस्तीपुर से मेरे साथ चार लोग और काम करते हैं ₹21000 तक महीना कमा लेते हैं. -शंकर, कूक, समस्तीपुर निवासी

सबसे ज्यादा फास्ट फूड कारीगरः बिहार में खाना बनाने के व्यवसाय में सबसे अधिक फास्ट फूड बनाने वाले कारीगरों की संख्या है. बढ़ती डिमांड के कारण यह क्षेत्र लगातार विस्तार कर रहा है. पढ़े-लिखे लोग भी अब भोजन बनाने के व्यवसाय में आ रहे हैं. इंटक के अध्यक्ष चंद्र प्रकाश का कहना है भोजन बनाने के व्यवसाय में अब तो पढ़े-लिखे लोग आ रहे हैं.

पढ़े लिखे लोग लगा रहे स्टॉलः पटना के मरीन ड्राइव पर पढ़े-लिखे लोग वेंडर का स्टॉल लगा कर चर्चा में है. पहले होटल का चेन चलाते थे अब वेंडर का चेन चला रहे हैं. यह क्षेत्र लगातार विस्तार कर रहा है लेकिन इसके प्रोटेक्ट करने के लिए जो पहल होनी चाहिए वह नहीं हो रहा है. वेंडर के लिए कानून भी बना हुआ है. पीएम स्वनिधि योजना के तहत लोन भी मिल रहा है लेकिन इसके बावजूद सरकार का इस ओर ध्यान नहीं है.

10 लाख लोग इस काम में शामिलः केंद्र सरकार के ई-श्रम पोर्टल के अनुसार 10 लाख के करीब पूरे देश में बिहार के लोग खाना बना रहे हैं. बिहार के लोगों का स्वादिष्ट भोजन बनाने में विशेष रूप से दबदबा रहा है. यह क्षेत्र आज भी कई तरह की समस्याओं से जूझ रहा है. जानकारी के अभाव में बड़ी संख्या में भोजन बनाने वाले कारीगर आई-श्रम पोर्टल पर अपना निबंधन नहीं कर पाते हैं इसलिए सरकार की ओर से बेनिफिट्स नहीं मिल पा रहे हैं.

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खाना बनाने में बिहार के पुरुष महिला से आगे (ETV Bharat)

पटनाः फूड सेक्टर के कारोबार में पूरे देश में पुरुषों का दबदबा है, इसमें बिहार के पुरुष भी पीछे नहीं हैं. राष्ट्रीय औसत से भी अधिक बिहार के पुरुष इस भोजन के कारोबार में जुड़े हुए हैं. राष्ट्रीय औसत 60 फीसदी पुरुष तो 40 फीसदी महिलाओं का है. ई-श्रम पोर्टल के निबंधन के आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश के सबसे अधिक इस सेक्टर से जुड़े हुए हैं. दूसरे नंबर पर पश्चिम बंगाल और तीसरे स्थान पर बिहार शामिल है.

सबसे ज्यादा अप्रशिक्षित कूकः कई ऐसे कूक हैं जो अनप्रोफेशनल तरीके से बिना प्रशिक्षण लिए काम कर रहे हैं तो कई डिग्री हासिल कर प्रोफेशनल शेफ हैं. उत्तर बिहार के लोग बिना किसी संस्थान से प्रशिक्षण लिए ट्रेंड हैं. अपने पिता और दोस्तों से काम सीखकर खाना बना रहे हैं. खाना बनाने में बिहार के पुरुषों की संख्या तो 10 लाख से अधिक है लेकिन जानकारी के अभाव में ई-श्रम पोर्टल निबंधन नहीं होने के कारण आंकड़ा स्पष्ट नहीं है.

पुरुष कूक में बिहार के टॉप जिला
पुरुष कूक में बिहार के टॉप जिला (ETV Bharat GFX)

होटल प्रबंधन संस्थान की कमी: बिहार के लोग खाना बनाने में तो आगे हैं लेकिन राज्य में संस्थान नहीं होने के कारण बिना प्रशिक्षण काम कर रहे हैं. जितने भी मशहूर संस्थान हैं सभी राज्य से बाहर है, जहां से पढ़ाई के लिए मोटी फीस की जरूरत पड़ती है. यही कारण है कि बिहार के युवा बिना प्रशिक्षण लिए किसी तरह काम सीखते हैं और फिर छोटे-मोटे होटलों और शादी-विवाह में खाना बनाने का काम करते हैं. बिहार के युवा कई राज्यों में भी खाना बनाते हैं.

इस उम्र के लोग ज्यादाः देश के असंगठित क्षेत्र में लाखों की संख्या में बिहार के लोग भोजन बनाने का काम करते हैं. होटल, फास्ट फूड की दुकान इन्हीं की बदौलत फल फूल रही है. रिपोर्ट के अनुसार इस काम में 18 वर्ष से 40 वर्ष तक के लोग सबसे अधिक हैं. ई-श्रम पोर्टल के अनुसार बिहार में भोजन बनाने के कारोबार में 48000 पुरुष तो 25756 महिलाएं हैं. 18 वर्ष से 40 वर्ष के 47853 लोग हैं. 40 से 50 वर्ष के 16201 तो 50 वर्ष से अधिक उम्र के 9546 लोग हैं.

पाककला में महिला और पुरुष
पाककला में महिला और पुरुष (ETV Bharat GFX)

श्रम विभाग को करना चाहिए पहलः अर्थशास्त्र विशेषज्ञ एनके चौधरी का कहना है भोजन बनाने का व्यवसाय बहुत बड़ा है. रोजगार का बहुत बड़ा क्षेत्र है लेकिन असंगठित क्षेत्र है. बिहार तीसरे स्थान पर है लेकिन बिहार के लोग जागरूकता के अभाव में बड़ी संख्या में अपना निबंधन नहीं करा पाते हैं. बिहार के श्रम विभाग को इस दिशा में पहल करनी चाहिए.

"उत्तर बिहार के लोग शुरू से भोजन बनाने के कारोबार में काफी कुशल हैं. बंगाल दिल्ली सहित कई स्थानों पर जाकर वर्षों से यह काम करते रहे हैं. कई परिवार में वर्षों से भोजन बनाने का काम चला आ रहा है. असंगठित क्षेत्र में कई ऐसे क्षेत्र हैं जिसमें कुशल कारीगर हैं उनको ट्रेनिंग नहीं दी गई है. भोजन बनाने का कौशल भी शामिल है. यह रोजगार का बहुत-बड़ा क्षेत्र है." -एनके चौधरी, अर्थशास्त्री

बिहार में मुजफ्फरपुर आगेः रिपोर्ट के अनुसार उत्तर बिहार के लोग सबसे अधिक भोजन के कारोबार में हैं. मुजफ्फरपुर के लोग बिहार में पहले स्थान पर हैं. दूसरे पायदान पर पटना के लोग हैं. तीसरे स्थान पर दरभंगा, चौथे स्थान पर मधुबनी, समस्तीपुर पांचवें स्थान और भागलपुर छठे स्थान पर है. राज्य की बात करें तो सबसे एक नंबर पर उत्तर बिहार है. दूसरे नंबर पर बंगाल और तीसरे नंबर पर बिहार शामिल है.

पुरुष कूक में बिहार का तीसरा स्थान
पुरुष कूक में बिहार का तीसरा स्थान (ETV Bharat GFX)

वर्षों से एक ही काम कर रहेः बिहार के एक होटल में भोजन बनाने वाले संजय का कहना है कि पिछले 7 सालों से इस क्षेत्र में हैं. उन्हें खाना बनाना अच्छा लगता है. सभी तरह का खाना बना लेते हैं. उनके परिवार के कई सदस्य इस क्षेत्र में है, उनके बड़े भाई भी शेफ हैं. मुजफ्फरपुर के रहने वाले सिकंदर पटना में खाना बनाते हैं. उन्होंने बताया कि वे पिछले 10 सालों से यह काम कर रहे हैं. उनके पिता भी 40 साल से इस व्यवसाय में हैं. 30000 रुपए तक महीना कमा लेते हैं

"पिछले 20 सालों से खाना बनाने का कारोबार में हैं. हर तरह का खाना बना लेते हैं. समस्तीपुर से मेरे साथ चार लोग और काम करते हैं ₹21000 तक महीना कमा लेते हैं. -शंकर, कूक, समस्तीपुर निवासी

सबसे ज्यादा फास्ट फूड कारीगरः बिहार में खाना बनाने के व्यवसाय में सबसे अधिक फास्ट फूड बनाने वाले कारीगरों की संख्या है. बढ़ती डिमांड के कारण यह क्षेत्र लगातार विस्तार कर रहा है. पढ़े-लिखे लोग भी अब भोजन बनाने के व्यवसाय में आ रहे हैं. इंटक के अध्यक्ष चंद्र प्रकाश का कहना है भोजन बनाने के व्यवसाय में अब तो पढ़े-लिखे लोग आ रहे हैं.

पढ़े लिखे लोग लगा रहे स्टॉलः पटना के मरीन ड्राइव पर पढ़े-लिखे लोग वेंडर का स्टॉल लगा कर चर्चा में है. पहले होटल का चेन चलाते थे अब वेंडर का चेन चला रहे हैं. यह क्षेत्र लगातार विस्तार कर रहा है लेकिन इसके प्रोटेक्ट करने के लिए जो पहल होनी चाहिए वह नहीं हो रहा है. वेंडर के लिए कानून भी बना हुआ है. पीएम स्वनिधि योजना के तहत लोन भी मिल रहा है लेकिन इसके बावजूद सरकार का इस ओर ध्यान नहीं है.

10 लाख लोग इस काम में शामिलः केंद्र सरकार के ई-श्रम पोर्टल के अनुसार 10 लाख के करीब पूरे देश में बिहार के लोग खाना बना रहे हैं. बिहार के लोगों का स्वादिष्ट भोजन बनाने में विशेष रूप से दबदबा रहा है. यह क्षेत्र आज भी कई तरह की समस्याओं से जूझ रहा है. जानकारी के अभाव में बड़ी संख्या में भोजन बनाने वाले कारीगर आई-श्रम पोर्टल पर अपना निबंधन नहीं कर पाते हैं इसलिए सरकार की ओर से बेनिफिट्स नहीं मिल पा रहे हैं.

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