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धौलपुर में अस्पताल के बाहर मरीज करते रहे मिन्नत, फिर भी नहीं पसीजा चिकित्सक का दिल, आखिर में प्रभारी ने अलापा ये राग - No Treatment In Hospital - NO TREATMENT IN HOSPITAL

No Treatment In Hospital, धौलपुर में जन्माष्टमी की छुट्टी की जानकारी नहीं होने पर कुछ मरीज इलाज के लिए अस्पताल पहुंच गए, लेकिन गेट बंद था. ऐसे में मरीजों ने अस्पताल प्रभारी से मिन्नतें की, कि वो उन्हें देख लें. बावजूद इसके प्रभारी चिकित्सक का दिल नहीं पसीजा और आखिरकार मरीजों को बैरंग ही घर लौटना पड़ा.

No Treatment In Hospital
नहीं पसीजा चिकित्सक का दिल (ETV BHARAT Dholpur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Aug 26, 2024, 8:29 PM IST

अस्पताल इंचार्ज डॉ. मनीष मीणा (ETV BHARAT Dholpur)

धौलपुर : धरती पर अगर किसी को भगवान का रूप माना जाता है तो वो चिकित्सक हैं. अगर ईश्वर जीवनदाता है तो चिकित्सक भी जीवन बचाने वाले भगवान हैं, लेकिन कंचनपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर सोमवार को धरती के भगवान का दूसरा ही रूप देखने को मिला. यहां उपचार के लिए अस्पताल पहुंचे रोगियों को केवल इसलिए बिना उपचार के बैरंग लौटना पड़ा कि वो समय से 5 मिनट लेट हो गए थे. दरअसल, रोगियों को यह पता नहीं था कि सोमवार को जन्माष्टमी का त्योहार है और उस वजह से सरकारी अवकाश के चलते अस्पताल जल्दी बंद हो जाएंगे. वहीं, दर्जन भर रोगियों को चिकित्सा और चिकित्साकर्मियों के घर पहुंचने की जल्दबाजी के चलते उपचार नहीं मिल सका.

चिकित्सक और चिकित्साकर्मी रोगियों को अस्पताल के बाहर छोड़कर घरों के लिए रवाना हो गए. इस दौरान रोगियों ने बताया कि उन्हें नहीं पता था कि सरकारी अवकाश है. रविवार को अवकाश होने की तो उन्हें जानकारी थी, लेकिन सोमवार को भी अवकाश होगा. इसके बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं थी. उपचार से महरूम लोगों ने बताया कि सरकार ने करोड़ों रुपए लगाकर अस्पताल की बिल्डिंग तो बना दी, लेकिन स्टाफ और व्यवस्थाओं को लेकर चिकित्सा विभाग और प्रशासनिक अधिकारियों का कोई ध्यान नहीं है.

इसे भी पढ़ें - मानसून में बढ़ गए वायरल बुखार और पेट दर्द के मरीज, हर रोज अस्पताल पहुंच रहे 400 रोगी - Seasonal Diseases

अस्पताल प्रभारी ने रोया व्यवस्थाओं का रोना : अस्पताल इंचार्ज डॉ. मनीष मीणा ने व्यवस्थाओं और स्टाफ की कमी का रोना रोते हुए कहा कि जन्माष्टमी के त्योहार की वजह से सरकारी छुट्टी है. इसलिए अस्पताल सुबह 9 से 11 तक ही खुला था. 11 बजते ही उन्हें छोड़कर सारा स्टाफ घर के लिए निकल गया. मानवीय दृष्टिकोण और इमरजेंसी केसेस को उपचार की व्यवस्था को लेकर सवाल किया गया तो प्रभारी ने बताया कि इमरजेंसी केस होने पर वो खुद देखते हैं. इस दौरान गेट के बाहर खड़े रोगी अस्पताल के अंदर आ गए और उन्होंने इलाज के लिए मिन्नतें की, लेकिन प्रभारी ने किसी भी रोगी को न तो देखा और न ही उनका उपचार दिया.

मासूम को देखकर भी नहीं पसीजा डॉक्टर का दिल : बधरैठा निवासी ऋषि अपनी बीमार बेटी को लेकर करीब 11 बजे अस्पताल पहुंचे. लाचार पिता ने बेटी के दो दिन से बीमार, तेज बुखार और उल्टी होने की बात कही, लेकिन अस्पताल इंचार्ज ने समय समाप्त होने की बात कहते हुए मंगलवार को आने को कहा. ऋषि को भी अन्य रोगियों की तरह सरकारी अवकाश की जानकारी नहीं थी. ऐसे में उपचार नहीं मिलने पर पीड़ित पिता बेटी को लेकर बाड़ी चला गया, लेकिन इस दौरान धरती के भगवान का दिल नहीं पसीजा.

इसे भी पढ़ें - भरतपुर में बढ़े मौसमी बीमारियों के मरीज, अस्पताल के आउटडोर और इनडोर फुल

दो डॉक्टर और चार नर्सिंगकर्मी संभाल रहे अस्पताल : अस्पताल इंचार्ज ने बताया कि 30 बेड के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर नियमानुसार 9 चिकित्सकों और 12 नर्सिंग स्टाफ सहित कुल 42 पद सृजित होते हैं. उनमें पांच पद विशेषज्ञ चिकित्सकों के होते हैं. दो फार्मासिस्ट लैब टेक्नीशियन आईटीएल रेडियोग्राफर और कंप्यूटर ऑपरेटर सहित कुल 42 पद सरकार की ओर से स्वीकृत है. वहीं, मौजूदा समय में चार चिकित्सकों में से दो चिकित्सक अवकाश पर हैं. वहीं, 12 नर्सिंग स्टाफ में से चार नर्सिंगकर्मी ही मौजूद हैं. उसमें भी एक नर्सिंगकर्मी को फार्मासिस्ट का कार्य करना पड़ रहा है. प्रभारी चिकित्सक ने बताया कि ओपीडी 300 के पार पहुंच गई है. भर्ती होने वाले रोगियों की संख्या 60 है. ऐसे में अस्पताल चलाना मुश्किल हो रहा है.

अस्पताल इंचार्ज डॉ. मनीष मीणा (ETV BHARAT Dholpur)

धौलपुर : धरती पर अगर किसी को भगवान का रूप माना जाता है तो वो चिकित्सक हैं. अगर ईश्वर जीवनदाता है तो चिकित्सक भी जीवन बचाने वाले भगवान हैं, लेकिन कंचनपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर सोमवार को धरती के भगवान का दूसरा ही रूप देखने को मिला. यहां उपचार के लिए अस्पताल पहुंचे रोगियों को केवल इसलिए बिना उपचार के बैरंग लौटना पड़ा कि वो समय से 5 मिनट लेट हो गए थे. दरअसल, रोगियों को यह पता नहीं था कि सोमवार को जन्माष्टमी का त्योहार है और उस वजह से सरकारी अवकाश के चलते अस्पताल जल्दी बंद हो जाएंगे. वहीं, दर्जन भर रोगियों को चिकित्सा और चिकित्साकर्मियों के घर पहुंचने की जल्दबाजी के चलते उपचार नहीं मिल सका.

चिकित्सक और चिकित्साकर्मी रोगियों को अस्पताल के बाहर छोड़कर घरों के लिए रवाना हो गए. इस दौरान रोगियों ने बताया कि उन्हें नहीं पता था कि सरकारी अवकाश है. रविवार को अवकाश होने की तो उन्हें जानकारी थी, लेकिन सोमवार को भी अवकाश होगा. इसके बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं थी. उपचार से महरूम लोगों ने बताया कि सरकार ने करोड़ों रुपए लगाकर अस्पताल की बिल्डिंग तो बना दी, लेकिन स्टाफ और व्यवस्थाओं को लेकर चिकित्सा विभाग और प्रशासनिक अधिकारियों का कोई ध्यान नहीं है.

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अस्पताल प्रभारी ने रोया व्यवस्थाओं का रोना : अस्पताल इंचार्ज डॉ. मनीष मीणा ने व्यवस्थाओं और स्टाफ की कमी का रोना रोते हुए कहा कि जन्माष्टमी के त्योहार की वजह से सरकारी छुट्टी है. इसलिए अस्पताल सुबह 9 से 11 तक ही खुला था. 11 बजते ही उन्हें छोड़कर सारा स्टाफ घर के लिए निकल गया. मानवीय दृष्टिकोण और इमरजेंसी केसेस को उपचार की व्यवस्था को लेकर सवाल किया गया तो प्रभारी ने बताया कि इमरजेंसी केस होने पर वो खुद देखते हैं. इस दौरान गेट के बाहर खड़े रोगी अस्पताल के अंदर आ गए और उन्होंने इलाज के लिए मिन्नतें की, लेकिन प्रभारी ने किसी भी रोगी को न तो देखा और न ही उनका उपचार दिया.

मासूम को देखकर भी नहीं पसीजा डॉक्टर का दिल : बधरैठा निवासी ऋषि अपनी बीमार बेटी को लेकर करीब 11 बजे अस्पताल पहुंचे. लाचार पिता ने बेटी के दो दिन से बीमार, तेज बुखार और उल्टी होने की बात कही, लेकिन अस्पताल इंचार्ज ने समय समाप्त होने की बात कहते हुए मंगलवार को आने को कहा. ऋषि को भी अन्य रोगियों की तरह सरकारी अवकाश की जानकारी नहीं थी. ऐसे में उपचार नहीं मिलने पर पीड़ित पिता बेटी को लेकर बाड़ी चला गया, लेकिन इस दौरान धरती के भगवान का दिल नहीं पसीजा.

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