देहरादून: उत्तराखंड में पहली बार विश्व आयुर्वेद कांग्रेस आरोग्य सम्मेलन आयोजित होने जा रहा, जो 12 से 15 दिसंबर तक देहरादून के परेड ग्राउंड में चलेगा. इस कार्यक्रम के लिए अभी तक देश-विदेश से करीब 7 हजार डेलिगेट्स रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं. आयुर्वेद सम्मेलन में खास बात ये रहने वाली है कि खाने से लेकर मनोरंजन तक में उत्तराखंडी छाप देखने को मिलेगी. क्योंकि, देश-विदेश के डेलिगेट्स की थाली में दो दर्जन से ज्यादा पहाड़ी व्यंजन परोसे जाएंगे. इसके लिए अलग-अलग चार दिनों का मेन्यू भी तैयार किया गया है.
विश्वस्तरीय विश्व आयुर्वेद सम्मेलन एवं आरोग्य एक्सपो 2024 में न सिर्फ आयुर्वेद पर गहन मंथन किया जाएगा. बल्कि लोगों का निशुल्क आयुर्वेद पद्धति से परीक्षण भी किया जाएगा. इस सम्मेलन में पहाड़ी संस्कृति के वृहद प्रचार प्रसार पर भी जोर दिया जा रहा है. जिसके तहत जहां एक ओर सम्मेलन में देश-विदेश से आने वाले डेलिगेट्स को पहाड़ी व्यंजन परोसे जाएंगे तो वहीं दूसरी ओर सांस्कृतिक कार्यक्रमों में उत्तराखंड की संस्कृति भी देखने को मिलेगी. इस सम्मेलन में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए 2 दिन तय किए गए हैं, जिसमें मांगल गायन से लेकर छोलिया और अन्य उत्तराखंडी नृत्यों की प्रस्तुति दी जाएगी.
देश-विदेश के डेलिगेट्स के लिए तय पहाड़ी व्यंजन का मेन्यू: विश्व आयुर्वेद सम्मेलन एवं आरोग्य एक्सपो 2024 के शुभारंभ यानी 12 दिसंबर को देश विदेश से आने वाले डेलिगेट्स को मंडुवे की रोटी, घर का मक्खन, घी में सेकी गहत की भरवा रोटी, राई की सब्जी, गहत की दाल/तुअर की दाल, लाल साठी भात, झंगोरे की खीर, टिमरू की चटनी परोसे जाएंगे. सम्मेलन में दूसरे दिन यानी 13 दिसंबर को मंडुवे की रोटी, घर का मक्खन, पालक की कापुली, उड़द की दाल, लाल साठी भात, बाल मिठाई, रोटने, भंगेरे/भंगजीरे की चटनी परोसी जाएगी.
वहीं, सम्मेलन में तीसरे दिन यानी 14 दिसंबर को मंडुवे की रोटी, घर का मक्खन, गहत की भरवा रोटी घी में सेकी, आलू की थिच्वाणी, झंगोरे का भात, भट्ट की चुड़काणी, सिंगोड़ी मिठाई, केले के गुलगुले, भुने हुए सफेद भट्ट और तिल की चटनी परोसी जाएगी. इसी के साथ सम्मेलन के चौथे दिन यानी 15 दिसंबर को मंडुवे की रोटी, घर का मक्खन, तिल कुचाई, भट्ट की चुड़काणी, चंबा का राजमा, लाल साठी भात, घुगती, अस्के, पीली राई की चटनी दी जाएगी.
उत्तराखंडी लोक संगीत के कार्यक्रम भी किए गए तय: विश्व आयुर्वेद सम्मेलन एवं आरोग्य एक्सपो के पहले दिन यानी 12 दिसंबर की सुबह संस्कृति कार्यक्रम की प्रस्तुति होगी. जिसके तहत कंचन भंडारी एवं उनकी साथी मांगल गायन, उद्यांचल पर्वतीय कला समिति- छोलिया नृत्य की प्रस्तुति देंगे. इसी कड़ी में 12 दिसंबर की शाम को नव हिमालय लोक कला समिति- कुमाऊंनी लोक नृत्य, ब्रह्म कमल सांस्कृतिक समिति- गढ़वाली लोक नृत्य, जौनसार बावर सांस्कृतिक गांव का रिवाज संस्था- जौनसारी लोक नृत्य और पद्मश्री प्रीतम भरतवाण- जागर की प्रस्तुति देंगे.
इसके साथ ही 14 दिसंबर की शाम को संस्कार सांस्कृतिक एवं पर्यावरण संरक्षण समिति- कुमाऊंनी लोक नृत्य, संगम सांस्कृतिक समिति- गढ़वाली लोकनृत्य, स्पर्श जनजाति सामाजिक एवं सांस्कृतिक संध्या- जौनसारी लोक नृत्य और संगीता ढौंडियाल- लोक गायन की प्रस्तुति देंगी.
वहीं, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि वर्ल्ड आयुर्वेद कांग्रेस एवं आरोग्य एक्सपो का आयोजन उत्तराखंड के लिए हर तरह से महत्वपूर्ण मौका है. आयुर्वेद के संबंध में सम्मेलन में गहन विचार मंथन किया जाएगा जिसका साक्षी उत्तराखंड बनेगा. इसके साथ ही देवभूमि की संस्कृति का भी देश-दुनिया में प्रचार होगा. आयुष सचिव रविनाथ रमन के अनुसार डेलिगेट्स के भोजन और इस दौरान होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में उत्तराखंड के संस्कृति की झलक देखने को मिलेगी.
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