उदयपुर. उदयपुर में हरियाली अमावस्या के अवसर पर एक अनूठा मेला भरता है, जो सिर्फ महिलाओं के लिए ही आयोजित किया जाता है. देश में संभवत है, ऐसा पहला मेला होगा जिसमें पुरुषों का प्रवेश निषेध रहता है. इस मेले में महिलाएं बढ़-चढ़कर अपनी सहेलियों के साथ खरीददारी करती है. दरअसल हरियाली अमावस्या के अवसर पर दो दिवसीय मेले का उदयपुर में आयोजन होता है, जिसमें पहले दिन महिलाएं और पुरुष सभी लोग खरीदारी करते हैं. जबकि दूसरे दिन मेला सिर्फ महिलाओं के लिए ही आयोजित होता है. सैकड़ों वर्षों से यह मेला इसी तरह से भरता आया है, जिसके पीछे की एक अलग वजह भी है.
मेले की इस तरह हुई शुरुआत : इतिहासकार चंद्रशेखर शर्मा ने बताया कि उदयपुर की हरियाली अमावस्या का मेला विश्व प्रसिद्ध है. इसके पीछे कई वजह है. क्योंकि इसकी ऐतिहासिकता काफी पुरानी है. इतिहास के झरोखों में देखे तो राजतंत्र के समय ही 1898 महाराणा फतेहसिंह ने इस मेले की शुरुआत की थी, जहां आज फतेहसागर है, वहां देवली तालाब हुआ करता था, जिसे उन्होंने निर्माण करवाया था. इसके पीछे की कहानी बताते हुए चंद्रशेखर शर्मा ने कहा कि जब फतेहसागर का निर्माण चल रहा था, इस दौरान उदयपुर के महाराणा फतेह सिंह अपनी चावड़ी रानी के साथ फतेहसागर पहुंचे. वहां पर एक मेला भरा हुआ था, ऐसे में उसे मेले को देखकर रानी ने एक मांग की- सिर्फ महिलाओं के लिए आयोजन किया जाना चाहिए. इस बात को सुनकर महाराणा फतेह सिंह जी ने इस परंपरा को शुरू किया. दो दिवसीय मेले में एक दिन पुरुष और महिलाओं के लिए मेला आयोजित होता है, जबकि दूसरे दिन सिर्फ महिलाएं भाग लेती हैं.
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एक दिन सिर्फ महिलाओं का : उन्होंने बताया कि रानी ने पूरे नगर में मुनादी कराते हुए मेले के रूप में यहां पहली बार जश्न मनाया. इसी दौरान चावड़ी रानी ने महाराणा से सिर्फ महिलाओं के मेले को लेकर सवाल किया. इसके बाद महाराणा ने मेले का दूसरा दिन केवल महिलाओं के लिए आरक्षित करवाने की घोषणा करवा दी. तब से यह परंपरा चली आ रही है. देश की आजादी के बाद से इसका आयोजन स्थानीय प्रशासन करवाता रहा है. इस बार मेले का आयोजन उदयपुर नगर निगम करवा रहा है. इस मेले की खास बात यह है कि यह तीन मुख्य पर्यटन स्थलों के मुख्य मार्गों पर लगता है जो शहर के बीच में है. पर्यटन स्थल सहेलियों की बाड़ी, सुखाडिया सर्किल और फतेहसागर झील पर लगता है. मेला शहर की यूआईटी पुलिया से लेकर फतेहपुर चौराहे तक लगता है, जो सुखाडिया सर्किल तक फैला रहता है.
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इस बार मेले में यह रहेगा खास : शहर में परंपरागत हरियाली अमावस्या का मेला 4 व 5 अगस्त को भरेगा. मेले को लेकर नगर निगम की तैयारियां जारी हैं. इस बार के मेले से नगर निगम ने सर्वाधिक राजस्व प्राप्ति का रिकॉर्ड भी बनाया है. सहेलियों की बाड़ी में बीते दो दिनों से मेले की दुकानों की चल रही नीलामी प्रक्रिया में निगम को 15 लाख रुपए का राजस्व मिला है. मेले की कुल 855 में से 550 दुकानों की नीलामी से निगम को ये आवक हुई है, जबकि बची हुई 305 दुकानों के लिए निगम को बोलीदाता नहीं मिले हैं. इसलिए मौके पर रसीदें काटकर आने वाले दुकानदारों से निगम अलग राजस्व वसूलेगा. मेले में लगने वाले झूलों का टेंडर अभी खुलना बाकी है.
इसके तहत मेले में चकरी और डोलर जैसे झूले आकर्षण का केंद्र होंगे. महिलाओं और बच्चों के मनोरंजन के लिए यहां पर खाने-पीने की चीजों के अलावा खिलौने, कपड़े व मनिहारी सामान की भी दुकानें लगेगी. टेंडर में पानी पुरी, दाबेली और अन्य खाद्य पदार्थों को लेकर अलग से दुकानें लगाई गई हैं.