जयपुर. जिला उपभोक्ता आयोग, द्वितीय ने डिलीवरी के दौरान लापरवाही बरतने के चलते महिला की मौत होने पर घीया अस्पताल पर 15 लाख रुपए का हर्जाना लगाया है. इसके साथ ही आयोग ने परिवाद व्यय के तौर पर 10 हजार रूपए अस्पताल प्रशासन को अतिरिक्त अदा करने को कहा है. आयोग ने कहा कि हर्जाना राशि पर परिवाद दायर करने की तिथि से 9 फीसदी ब्याज भी अदा किया जाए. आयोग अध्यक्ष ग्यारसी लाल मीणा और सदस्य हेमलता अग्रवाल ने यह आदेश लालाराम के परिवाद पर दिए.
परिवाद में कहा गया कि उसने अपनी पत्नी सायर की डिलीवरी करने के लिए 7 जुलाई, 2010 को उसे घीया अस्पताल में भर्ती कराया. जहां उसने सिजेरियन ऑपरेशन से लड़के को जन्म दिया. परिवाद में कहा गया कि सिजेरियन की जरूरत नहीं होने पर भी अस्पताल प्रशासन ने अधिक फीस के लिए ऑपरेशन किया. ऑपरेशन के दौरान लापरवाही बरतते हुए पत्नी के बच्चेदानी पर चीरा लगा दिया गया. जिससे उसके भारी रक्तस्राव होने लगा. इस पर चिकित्सक ने बच्चेदानी फटने की बात कह कर उसे जनाना अस्पताल रेफर कर दिया. जहां उसकी बच्चेदानी निकाल दी गई और 14 यूनिट रक्त चढ़ाने के बाद भी 10 जुलाई को उसकी मौत हो गई.
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परिवाद में कहा गया कि नव प्रसूता की मौत होने के चलते नवजात को मां का दूध नहीं मिला और 13 सितंबर को उसकी भी मौत हो गई. इन दोनों मौत की जिम्मेदार दोषी चिकित्सक है, जिन्होंने उसका लापरवाही से ऑपरेशन किया. ऐसे में अस्पताल प्रशासन पर हर्जाना लगाया जाए. जिसका विरोध करते हुए अस्पताल प्रशासन की ओर से कहा गया कि अस्पताल के चिकित्सकों ने पूरी जिम्मेदारी से ऑपरेशन किया था और प्रसूता की मौत भी अस्पताल में नहीं हुई है. ऐसे में वह घटना के प्रति जिम्मेदार नहीं है. इसलिए परिवाद को खारिज किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए आयोग ने अस्पताल प्रशासन पर 15 लाख रुपए का हर जगह लगाया है.