पटना: साल 2024 में जिस नीट पेपर लीक के कारण पटना से लेकर दिल्ली तक बवाल मचा था, उस मामले में सीबीआई आरोपी आयुष कुमार के खिलाफ सबूत नहीं जुटा पाई. जिस वजह से उसको पटना उच्च न्यायालय से जमानत मिल गई है. केंद्रीय जांच ब्यूरो के साक्ष्य से ये साबित नहीं हो सका कि उसकी इस मामले में संलिप्तता हो. सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने आयुष की जमानत याचिका स्वीकार कर ली.
आयुष कुमार को हाईकोर्ट से जमानत: शुक्रवार को पटना हाईकोर्ट ने नीट यूजी पेपर लीक 2024 मामले में आरोपी आयुष कुमार को जमानत दे दी है. जस्टिस अनिल कुमार सिन्हा ने नियमित जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिया है. आरोपी की ओर से पेश अधिवक्ता अपूर्व हर्ष ने न्यायालय में दलील दी कि आयुष को इस मामले में झूठा फंसाया गया है. उन्होंने बताया कि सीबीआई की जांच के दौरान ऐसे कोई ठोस सबूत सामने नहीं आए, जिससे यह साबित होता हो कि आयुष इस अपराध में प्रत्यक्ष रूप से शामिल था.
"आयुष को पेपर लीक मामले में झूठा फंसाया गया है. सीबीआई ने अदालत में ऐसा कोई ठोस सबूत पेश नहीं किया है, जिससे ये साबित हो सके कि इस अपराध में प्रत्यक्ष रूप से उसकी संलिप्तता हो. कोर्ट ने आयुष को नियमित जमानत दे दी है."- अपूर्व हर्ष, आयुष कुमार के वकील
सीबीआई ने क्या दलील दी?: वहीं, केंद्रीय जांच ब्यूरो ने पटना हाईकोर्ट में अपनी तरफ से दलील दी कि 5 मई 2024 को एक वाहन की तलाशी के दौरान आयुष का एडमिट कार्ड बरामद हुआ था. जांच में aयह भी पाया गया कि आरोपी को पटना के खेमनी चक स्थित लर्न प्ले स्कूल ले जाया गया था, जहां उसे असली क्वेश्चन पेपर और आंसर शीट दिए गए थे. इन प्रश्न पत्रों की सामग्री नीट 2024 के असली प्रश्न पत्र से मेल खाती थी.
अक्टूबर 2024 में चार्जशीट दायर: आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120-B, 420, 411 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत मामला दर्ज है. आपको बताएं कि सीबीआई ने इस मामले में अक्टूबर 2024 में सीबीआई की विशेष न्यायालय में तीसरी चार्जशीट फाइल की थी. साढ़े पांच हजार से अधिक पेज की इस चार्जशीट में 298 गवाहों, 290 दस्तावेज और 45 भौतिक वस्तुओं की जांच करने के बाद तैयार की गई है. वहीं तूसरी चार्जशीट में 21 आरोपियों के नाम शामिल किए गए.
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