नर्मदापुरम। मध्यप्रदेश के नर्मदापुरम के एक छात्र ने 2023 की संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में 916वीं रैंक हासिल की है. पारिवारिक स्थिति और आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के बावजूद इस छात्र ने यूपीएससी की परीक्षा बिना कोचिंग किए तीसरे अटेम्ट में पास की है. जी हां, हम बात कर रहे हैं नर्मदापुरम जिले के सोहागपुर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले ग्राम ईशरपुर के नीलेश अहिरवार की. नीलेश अहिरवार ने यूपीएससी की परीक्षा पास की है. नीलेश के पिता मजदूरी करके पैसा कमाते हैं. वहीं नीलेश की मां एक ग्रहणी हैं और दोनों ही यानी पति-पत्नी अनपढ़ हैं. माता पिता ने अनपढ़ होने व आर्थिक स्थिति ठीक ना होने के बावजूद भी बच्चे को पढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. नीलेश के घर पहुंचने पर परिवार व स्थानीय लोगों ने उनका जोरदार स्वागत किया.
तीसरे प्रयास में मिली सफलता
नीलेश अहिरवार ने किसी प्रकार की कोचिंग नहीं करते हुए तीसरे प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा पास कर जिले को गौरवान्वित किया है. नर्मदापुरम से करीब 75 किलोमीटर दूर ETV भारत नीलेश के घर पहुंचा. जहां घर में रहकर उन्होंने पढ़ाई की है. नीलेश अहिरवार ने कहा, ' पढ़ाई मेरे द्वारा प्रतिदिन करीब 9 घंटे तक लगातार की है. एवरेज देखा जाए तो करीब 7 से 8 घंटे तक पढ़ाई की है. एक डेडीकेशन के साथ में मैने पढ़ाई करते हुए 2023 परीक्षा में 916 वी रैंक के साथ यूपीएससी परीक्षा पास की. यूपीएससी की परीक्षा में प्री में दो बार असफलता प्राप्त हुई है. तीसरे प्रयास में मुझे सफलता प्राप्त मिली है.' नीलेश ने बताया कि उनकी मम्मी हाउसवाइफ है. पिताजी मिस्त्री का काम करते हैं. माता जी कभी स्कूल नहीं गई हैं, लेकिन पिताजी दूसरी तक पढ़े हुए हैं.
महापुरुषों से मिलती है प्रेरणा
नीलेश ने कहा, ' बचपन से ही पिताजी को लगता रहा है और अभी भी लगता है कि एजुकेशन ऐसा टूल है जिससे हम हमारे जीवन को बदल सकते हैं. जैसे हम डॉक्टर अंबेडकर को देखते हैं. स्वामी विवेकानंद को देखें, उन्होंने हमेशा शिक्षा के माध्यम से प्रेरणा दी है कि उसी रास्ते पर पिताजी की इच्छा रही है, कि मैं भी आगे आगे बढूं. मेरे साथ मेरा भाई भी आगे बढ़े, उनसे ही यह प्रेरणा लेकर आगे पढ़ाई जारी रखी है.'
छोटे से घर में करते थे तैयारी
एक छोटा सा घर होने के बाद भी पढ़ाई में इतनी सफलता कैसे मिली और क्या कुछ समस्या हुई ?. इस प्रश्न पर नीलेश ने कहा, ' एक समस्या यह थी कि मम्मी अगर खाना बना रही है, तो फैन चालू नहीं कर सकते, गर्मी की सबसे बड़ी समस्या. एक टाइम का मिस मैनेजमेंट रहता था कि मम्मी वहीं खाना बनाती थी तो पढ़ाई में डिस्टरबेंस होता था, यह समस्या हमेशा रही है. हालांकि, समस्याएं मुझे यह नहीं लगी. पूरी जर्नी में छोटी-मोटी समस्या मानकर आगे बढ़ता रहा, यही मेरा प्रयास रहा है.'
नीलेश के पिता ने जताई खुशी
नीलेश के पिता ने कहा, ' बेटे ने यूपीएससी का एग्जाम निकाला है. खुशी बहुत ज्यादा हो रही है, बेटे की जो इच्छा रही है वह पूरी हो गई.' आर्थिक समस्या को लेकर उन्होंने कहा, ' समस्याएं तो आर्थिक रूप से बहुत रहीं, इसलिए मैं ज्यादा काम ठेके पर लेता था. बच्चों की पढ़ाई लिखाई पर अधिक ध्यान दिया. जो लोग सोचते थे हमारा बच्चा पढ़ाई करे, उन्हें देखकर मुझे भी लगता था कि मुझे भी अपने बच्चे को पढ़ाना चाहिए, मेरा सपना पूरा हो चुका है. पढ़ना तो बहुत चाहिए सभी से आग्रह करना चाहूंगा कि बच्चों को शिक्षा पर विशेष ध्यान दें, एक टाइम खाना कम खाएं लेकिन पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान दें मेरी सोच यही रही है.'