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बंद होते स्कूल को अनोखे तरीके से किया जिंदा, ऐसे टीचर बदल सकते हैं सरकारी स्कूलों की किस्मत - Narmadapuram Teacher Playing Drum

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 22, 2024, 8:58 PM IST

नर्मदापुरम के एक प्राइमरी विद्यालय के टीचर ने अनुपस्थित बच्चों को स्कूल लाने के लिए अनोखा तरीका अपनाया है. टीचर बच्चों के घर जाकर ढोल बजाकर उन्हें स्कूल ला रहे हैं.

TEACHER PLAYING DRUM NARMADAPURAM
ढोल बजाते हुए घर-घर जाते मास्टर साहब (ETV Bharat)

नर्मदापुरम: सरकार सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ाने के लिए तमाम जतन कर रही है. प्राइमरी के बच्चों को फ्री शिक्षा से लेकर मिड डे मील जैसी तमाम सुविधाएं देने के बाद भी सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या संतोषजनक नहीं हो पा रही है. लेकिन नर्मदापुरम में एक शिक्षक ने अलग तरह की मिसाल पेश करते हुए बच्चों को स्कूल तक लाने का अनोखा प्रयास किया है. वे स्कूल में गैरहाजिर बच्चों को स्कूल तक लाने के लिए उनके घर पहुंच जाते हैं. मास्टर साहब का यह जज्बा गजब का है. उनकी मेहनत रंग भी ला रही है. स्कूल में बच्चों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है.

लही पाठशाला के शिक्षक का अनोखा कारनामा (ETV Bharat)

बंद होते स्कूल को अनोखे तरीके से किया जिंदा

मामला नर्मदापुरम के सिवनी मालवा के लही गांव के प्राइमरी विद्यालय का है. यहां पर पदस्थ टीचर संजू बारंगे ने अनोखी मिसाल पेश करते हुए बच्चों को स्कूल तक लाने का अनोखा तरीका अपनाया है जो काफी कारगर साबित हो रहा है. संजू बारंगे बताते हैं कि, "जब मुझे लही प्राइमरी स्कूल का प्रभार दिया गया था तब स्कूल बंद होने की कगार पर था. स्कूल में सिर्फ 6 बच्चे थे. मैंने घर-घर जाकर गांव वालों से बात की और उनसे अपने बच्चों को स्कूल भेजने का निवेदन किया. अब स्कूल में 25 बच्चे हैं. 5 बच्चों का और एडमिशन होने वाला है."

स्कूल में प्रिंसिपल से पियून तक बन जाते हैं मास्टरजी, कृष्ण या सुदामा सबके गुणों की खान सर

एक विदाई ऐसी भी! सर आप हमें छोड़कर मत जाओ, प्राचार्य के विदाई समारोह में फूट फूटकर रोए बच्चे

ढोल बजाते हुए पहुंच जाते हैं घर

संजू बारंगे ने बताया कि, "शुरू में जब बच्चे स्कूल नहीं आते थें तो मैं स्कूल के बच्चों के साथ ढोल बजाते हुए उनके घर जाता था और उन्हें स्कूल लेकर आता था. तभी से यह तरीका चल रहा है. आज भी जब बच्चे स्कूल नहीं आते तो हफ्ते में एक दिन मैं आए हुए बच्चों के साथ ढोल बजाते हुए उनके घर जाता हूं. गांव वाले ढोल की आवाज सुनकर अनुपस्थित बच्चों को हमारे साथ स्कूल भेजते हैं." मास्टर साहब अपने अनोखे अंदाज को लेकर काफी चर्चा में रहते हैं. उनके इस नवाचार के चलते अक्सर सभी बच्चे स्कूल में उपस्थित रहते हैं. बारंगे का कहना है कि, "भगवान ने गुरू बनाया है तो मैं अपना काम पूरी ईमानदारी से करूंगा."

नर्मदापुरम: सरकार सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ाने के लिए तमाम जतन कर रही है. प्राइमरी के बच्चों को फ्री शिक्षा से लेकर मिड डे मील जैसी तमाम सुविधाएं देने के बाद भी सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या संतोषजनक नहीं हो पा रही है. लेकिन नर्मदापुरम में एक शिक्षक ने अलग तरह की मिसाल पेश करते हुए बच्चों को स्कूल तक लाने का अनोखा प्रयास किया है. वे स्कूल में गैरहाजिर बच्चों को स्कूल तक लाने के लिए उनके घर पहुंच जाते हैं. मास्टर साहब का यह जज्बा गजब का है. उनकी मेहनत रंग भी ला रही है. स्कूल में बच्चों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है.

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बंद होते स्कूल को अनोखे तरीके से किया जिंदा

मामला नर्मदापुरम के सिवनी मालवा के लही गांव के प्राइमरी विद्यालय का है. यहां पर पदस्थ टीचर संजू बारंगे ने अनोखी मिसाल पेश करते हुए बच्चों को स्कूल तक लाने का अनोखा तरीका अपनाया है जो काफी कारगर साबित हो रहा है. संजू बारंगे बताते हैं कि, "जब मुझे लही प्राइमरी स्कूल का प्रभार दिया गया था तब स्कूल बंद होने की कगार पर था. स्कूल में सिर्फ 6 बच्चे थे. मैंने घर-घर जाकर गांव वालों से बात की और उनसे अपने बच्चों को स्कूल भेजने का निवेदन किया. अब स्कूल में 25 बच्चे हैं. 5 बच्चों का और एडमिशन होने वाला है."

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ढोल बजाते हुए पहुंच जाते हैं घर

संजू बारंगे ने बताया कि, "शुरू में जब बच्चे स्कूल नहीं आते थें तो मैं स्कूल के बच्चों के साथ ढोल बजाते हुए उनके घर जाता था और उन्हें स्कूल लेकर आता था. तभी से यह तरीका चल रहा है. आज भी जब बच्चे स्कूल नहीं आते तो हफ्ते में एक दिन मैं आए हुए बच्चों के साथ ढोल बजाते हुए उनके घर जाता हूं. गांव वाले ढोल की आवाज सुनकर अनुपस्थित बच्चों को हमारे साथ स्कूल भेजते हैं." मास्टर साहब अपने अनोखे अंदाज को लेकर काफी चर्चा में रहते हैं. उनके इस नवाचार के चलते अक्सर सभी बच्चे स्कूल में उपस्थित रहते हैं. बारंगे का कहना है कि, "भगवान ने गुरू बनाया है तो मैं अपना काम पूरी ईमानदारी से करूंगा."

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