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105 वर्ष की उम्र में श्री चितम्बरनाथ महाराज का निधन, संन्यास से पहले थे एयर ट्रैफिक कंट्रोलर - mp narmadapuram update

Chitambarnath maharaj passes away : जानकार बताते है की चितम्बरनाथ महाराज कर्नाटक के धारवाड़ जिले के ग्राम बेलगांव के रहने वाले थे. वे पहले गुजरात के बड़ौदा में एयर ट्रैफिक कंट्रोलर थे.

Chitambarnath maharaj passes away
105 वर्ष की उम्र में श्री चितम्बरनाथ महाराज का निधन
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Mar 20, 2024, 7:33 PM IST

नर्मदापुरम. सिवनी मालवा के प्रसिद्द नर्मदा तट बाबरी घाट पर रहने वाले श्री श्री 1008 चितम्बरनाथ महाराज का बुधवार को निधन हो गया. चितम्बरनाथ महाराज (Chitambarnath Maharaj) 105 वर्ष के थे. संत परंपरा के मुताबिक उन्हें बुधवार को आश्रम के पास ही भू-समाधि दी गई. उनका यह आश्रम सिवनी मालवा के ग्राम बाबरी-पथाड़ा के मध्य बना हुआ है.

पहले एयर ट्रैफिक कंट्रोलर थे चितम्बरनाथ

जानकार बताते है की चितम्बरनाथ महाराज कर्नाटक के धारवाड़ जिले के ग्राम बेलगांव के रहने वाले थे. वे पहले गुजरात के बड़ौदा में एयर ट्रैफिक कंट्रोलर थे. बाद में उन्होंने नौकरी छोड़कर संन्यास ले लिया और बाबा बन गए थे. बताया जाता है कि चितम्बरनाथ बाबा ने बाद में नाथ संप्रदाय से दीक्षा ग्रहण की थी और 55 साल पहले बाबरी घाट में आए थे. यहीं उन्होंने अपना आश्रम बनाया था.

विधि-विधान से दी गई भू-समाधि

जानकार बताते हैं कि हिन्दू धर्म में सामान्यत: मृत्यु के बाद शव को जलाया जाता है, लेकिन साधु परंपरा में ऋषि मुनियों को समाधि दी जाती है. जिस तरह आम लोगों को मृत्यु के बाद तैयार किया जाता है, उसी प्रकार संत-महात्माओं काे भी विधि-विधान से तैयार किया जाता है. चितम्बरनाथ महाराज को भी इसी तरह समाधि के लिए तैयार किया गया. उन्हें चंदन का तिलक लगाया जाता है और पूरे शरीर पर भस्म लगाई गई. समाधि देने से पहले खासतौर पर उनका कमंडल और दंड भी साथ रखा गया.

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सीएम मोहन यादव ने ट्वीट कर जताया दुख

चितम्बरनाथ महाराज के निधन पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने ट्वीट करते हुए कहा, ' सिवनी मालवा के प्रसिद्ध संत, नर्मदा तट बाबरी घाट पर रहने वाले श्री श्री 1008 चितम्बरनाथ महाराज जी के रूप में आज हम सबने एक पुण्यात्मा को खो दिया. धर्म और अध्यात्म जगत के लिए यह अपूरणीय क्षति है. उनकी लोकहितकारी शिक्षाओं और आशीर्वाद से सर्वदा मानवता का कल्याण होता रहेगा. बाबा महाकाल से दिव्यात्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान देने और धर्मावलम्बियों को यह गहन दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना करता हूं, ॐ शांति '

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पहले एयर ट्रैफिक कंट्रोलर थे चितम्बरनाथ

जानकार बताते है की चितम्बरनाथ महाराज कर्नाटक के धारवाड़ जिले के ग्राम बेलगांव के रहने वाले थे. वे पहले गुजरात के बड़ौदा में एयर ट्रैफिक कंट्रोलर थे. बाद में उन्होंने नौकरी छोड़कर संन्यास ले लिया और बाबा बन गए थे. बताया जाता है कि चितम्बरनाथ बाबा ने बाद में नाथ संप्रदाय से दीक्षा ग्रहण की थी और 55 साल पहले बाबरी घाट में आए थे. यहीं उन्होंने अपना आश्रम बनाया था.

विधि-विधान से दी गई भू-समाधि

जानकार बताते हैं कि हिन्दू धर्म में सामान्यत: मृत्यु के बाद शव को जलाया जाता है, लेकिन साधु परंपरा में ऋषि मुनियों को समाधि दी जाती है. जिस तरह आम लोगों को मृत्यु के बाद तैयार किया जाता है, उसी प्रकार संत-महात्माओं काे भी विधि-विधान से तैयार किया जाता है. चितम्बरनाथ महाराज को भी इसी तरह समाधि के लिए तैयार किया गया. उन्हें चंदन का तिलक लगाया जाता है और पूरे शरीर पर भस्म लगाई गई. समाधि देने से पहले खासतौर पर उनका कमंडल और दंड भी साथ रखा गया.

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