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अब संस्कृत में भी लिखे जाएंगे सार्वजनिक स्थलों के नाम, आदेश हुए जारी - उत्तराखंड संस्कृति अकादमी हरिद्वार

Uttarakhand Culture Academy संस्कृत प्रेमियों के लिए खुशखबरी है, क्योंकि अब प्रदेश भर के सरकारी और गैर सरकारी स्कूल, कॉलेजों समेत बोर्ड और नाम पट्टिकाओं में संस्कृत भाषा दिखाई देगी. दरअसल इन सभी जगहों पर हिंदी के साथ -साथ अब संस्कृत भाषा का उपयोग नाम लिखने के लिए किया जाएगा.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 7, 2024, 9:43 PM IST

Updated : Feb 7, 2024, 10:41 PM IST

थराली : देव भाषा मानी जानें वाली संस्कृत के प्रचार-प्रसार के लिए राज्य सरकार ने नई पहल करना शुरू कर दिया है. जिसके तहत राज्य के सभी शासकीय, अशासकीय स्कूल, कॉलेजों, कार्यालयों,बस स्टेशन, रेलवे स्टेशन, हवाई अड्डों, सार्वजनिक स्थानों समेत बोर्ड और नाम पट्टिका में संस्कृत भाषा में नाम लिखने के निर्देश दिए गए हैं. इस संबंध में राज्य सरकार की ओर से उत्तराखंड संस्कृति अकादमी हरिद्वार के सचिव और एसपी खाली ने राज्य के सभी जिलाधिकारी और विभागाध्यक्षों को पत्र भेजकर आवश्यक कार्रवाई करने को कहा है.

संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने शुरू की पहल: यह निर्देश 2 फरवरी को मुख्य सचिव द्वारा राज्य के सभी अपर मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों, सचिवों एवं प्रभारी सचिवों को दिए गए थे. जिसके तहत मंगलवार देर शाम उत्तराखंड संस्कृति अकादमी हरिद्वार के सचिव और एसपी खाली ने सभी जिलाधिकारियों एवं विभागाध्यक्षों को पत्र जारी किया है. जिसमें बताया गया है कि सरकार द्वारा लिए गए निर्णय के तहत हिंदी के साथ-साथ संस्कृत में भी नाम लिखे जाएंगे.

संस्कृत प्रेमियों में दिख रहा उत्साह: पत्र में कहा गया है कि संस्कृत में नाम लिखने में उत्तराखंड संस्कृति अकादमी हरिद्वार से सहयोग प्राप्त किया जा सकता हैं. इन निर्देशों के बाद जल्द ही पूरे राज्य की शिक्षण संस्थाओं, विभागों में संस्कृत में लिखे बोर्ड और नाम पट्टिकाओं के चमकाने की संभावना है. जिससे संस्कृत प्रेमियों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है.

मदरसे में बच्चों को दी जा रही संस्कृत की तालीम: बता दें कि हरिद्वार में एक मदरसा ऐसा भी है, जहां उर्दू और संस्कृत दोनों की शिक्षा (Urdu and Sanskrit education in madrassa) दी जाती है. हरिद्वार के ज्वालापुर क्षेत्र में पड़ने वाला दारुल उलूम रशीदिया ईदगाह मदरसे (Haridwar Darul Uloom Rashidiya Idgah Madrasa) में अब कुरान की शिक्षा के साथ-साथ संस्कृत के मंत्रों की दीक्षा भी दी जा रही है.

ये भी पढ़ें-

कांग्रेस ने संस्कृत महाविद्यालयों को बंद करने की साजिश का लगाया आरोप, भाजपा के खिलाफ खोला मोर्चा

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संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने शुरू की पहल: यह निर्देश 2 फरवरी को मुख्य सचिव द्वारा राज्य के सभी अपर मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों, सचिवों एवं प्रभारी सचिवों को दिए गए थे. जिसके तहत मंगलवार देर शाम उत्तराखंड संस्कृति अकादमी हरिद्वार के सचिव और एसपी खाली ने सभी जिलाधिकारियों एवं विभागाध्यक्षों को पत्र जारी किया है. जिसमें बताया गया है कि सरकार द्वारा लिए गए निर्णय के तहत हिंदी के साथ-साथ संस्कृत में भी नाम लिखे जाएंगे.

संस्कृत प्रेमियों में दिख रहा उत्साह: पत्र में कहा गया है कि संस्कृत में नाम लिखने में उत्तराखंड संस्कृति अकादमी हरिद्वार से सहयोग प्राप्त किया जा सकता हैं. इन निर्देशों के बाद जल्द ही पूरे राज्य की शिक्षण संस्थाओं, विभागों में संस्कृत में लिखे बोर्ड और नाम पट्टिकाओं के चमकाने की संभावना है. जिससे संस्कृत प्रेमियों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है.

मदरसे में बच्चों को दी जा रही संस्कृत की तालीम: बता दें कि हरिद्वार में एक मदरसा ऐसा भी है, जहां उर्दू और संस्कृत दोनों की शिक्षा (Urdu and Sanskrit education in madrassa) दी जाती है. हरिद्वार के ज्वालापुर क्षेत्र में पड़ने वाला दारुल उलूम रशीदिया ईदगाह मदरसे (Haridwar Darul Uloom Rashidiya Idgah Madrasa) में अब कुरान की शिक्षा के साथ-साथ संस्कृत के मंत्रों की दीक्षा भी दी जा रही है.

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Last Updated : Feb 7, 2024, 10:41 PM IST
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