बिलासपुर: हमेशा राजनीतिक विवादों में रही नगर परिषद बिलासपुर एक बार सुर्खियों में आ गई है. सोमवार को नगर परिषद बिलासपुर के अध्यक्ष कमलेंद्र कश्यप ने इस्तीफा दे दिया है. अपनी शक्तियों का सही से उपयोग न होना व नगर परिषद में नेताओं के रिश्तेदारों का अधिक हस्ताक्षेप रहना कमलेंद्र कश्यप ने इस्तीफे का मुख्य कारण बताया है.
'अध्यक्ष पद से हटाने की साजिशें'
कमलेंद्र कश्यप ने कहा कि वह हमेशा से शहर के विकास को लेकर कार्यरत रहे हैं, लेकिन कुछ समय से नगर परिषद बिलासपुर में हो रहे षडयंत्र से पूरी तरह से प्रभावित हुए हैं. उन्होंने कहा कि उनको काफी समय से नगर परिषद अध्यक्ष पद से हटाने की साजिशें रची जा रही है. परंतु अब वह अपने आप ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया है.
'नेताओं के रिश्तदारों का हस्ताक्षेप'
कमलेंद्र कश्यप ने प्रेसवार्ता करते हुए कहा कि वह जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि है. जनता और यहां के पार्षदों द्वारा उनको अध्यक्ष पद पर बिठाया गया है. कुछ समय से उनकी शक्तियां तक उनके पास नहीं है. उनकी शक्तियों का प्रयोग प्रशासन कर रहा है. वहीं, दूसरी ओर नगर परिषद में नेताओं के रिश्तदारों का अधिक हस्ताक्षेप हो गया है, जिससे वह पूरी तरह से हताश और निराश है. ऐसे में उन्होंने अंततः अपने पद से इस्तीफा देने की ठान ली और सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया.
भाजपा समर्थित अधिक पार्षद
गौरतलब है कि कमलेंद्र कश्यप शुरुआती दौर में युवा कांग्रेस के नेता भी रह चुके हैं. वहीं, उसके बाद वह कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की श्रेणी में भी आए. कुछ साल पहले वह कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गए थे, ऐसे में भाजपा समर्पित पार्षदों और अन्य पार्षदों ने कमलेंद्र कश्यप का समर्थन करके उन्हें निविरोध अध्यक्ष चुना था. ऐसे में अभी कुछ समय पहले ही कमलेंद्र कश्यप ने भाजपा को छोड़ फिर से कांग्रेस में शामिल हो गए थे. वहीं, बिलासपुर नगर परिषद की बात करें तो यहां पर भाजपा समर्थित अधिक पार्षद की संख्या है. कमलेंद्र कश्यप ने प्रेसवार्ता में यह कहा है कि उनके खिलाफ साजिश रचने से सही है कि वह स्वयं ही इस पद से इस्तीफा दे दें. उन्होंने यह भी साफ किया है कि उनकी शक्तियों पर प्रशासन द्वारा रोक लगा दी गई है.