ग्वालियर। मध्य प्रदेश के लाखों युवा हर साल राज्य की प्रशासनिक सेवाओं का हिस्सा बनने के लिए एमपीपीएससी की परीक्षाओं में भाग लेते हैं. लेकिन बहुत कम होते हैं जो इस परीक्षा के तीन कठिन चरणों को पार कर अपने आप को साबित करने में सफल होते हैं. यही सफलता ग्वालियर के रहने वाले पवन गुरैया को भी हासिल हुई है. एमपीपीएससी 2021 के घोषित हुए परिणामों में पवन ने 18वीं रैंक हासिल की है. वहीं, अनुसूचित जाति वर्ग में उनकी रैंक तीसरी है. पवन के चयन के साथ डिप्टी कलेक्टर बनने की खुशी उनके पूरे परिवार में दिखाई दे रही है.
काम आयी तैयार की गई स्ट्रेटेजी
ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान पवन ने बताया कैसे परीक्षा को क्रैक करने के लिए उनके द्वारा बनाई गई रणनीति पूरी तरह कारगर साबित हुई. उन्होंने पढ़ाई के लिए जिन किताबों के नोटिस का चयन किया वे सभी काम आए. साथ ही बचपन से बनाई गई प्रश्नों के जवाब लिखने की कला से उन्हें बहुत मदद मिली. उनका मानना है कि उनकी सफलता के पीछे सभी चीजों का समावेश रहा, उनके पास जो भी स्रोत थे जो भी ज्ञान था वह सभी यहां मील का पत्थर साबित हुए.
एक ही दिन में डबल हुई खुशी
पढ़ाई और ज्ञान कभी व्यर्थ नहीं जाता, यह बात पवन गुरैया के साथ पूरी तरह सार्थक नजर आती है. क्योंकि जहां उन्होंने एक और एमपीपीएससी 2021 की परीक्षा पास कर डिप्टी कलेक्टर का पद पाया तो वहीं दूसरी और इतने लंबे समय तक इस परिणाम के इंतजार के बीच उन्होंने एमपीपीएससी 2022 की परीक्षा भी दी थी. ईटीवी भारत से बातचीत करने के दौरान ही उन्हें एक और खुशखबरी मिली के एमपीपीएससी 2022 की मेंस परीक्षा में पास होने के बाद इंटरव्यू कॉल लिस्ट में भी उनका नाम शामिल है. पवन कहते हैं कि उनके और उनके परिवार के लिए यह बहुत ही खुशी की बात है. एक साथ कई सारी अपॉर्चुनिटी, इंटरव्यू मुझे नहीं लगता कि आपको देने की जरूरत पड़ेगी.
![MPPSC 2021 Exam Results](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/08-06-2024/mp-gwa-02-mppcs-selection-121-7206787_07062024221531_0706f_1717778731_784.jpeg)
डिप्टी कलेक्टर के पद के लिए चयनित
पवन कहते हैं कि भले ही उनका चयन एमपीपीएससी 2022 के इंटरव्यू कॉल के लिए हो गया है, लेकिन क्योंकि पहले ही वे एमपी पीएससी 2021 की परीक्षा को पास कर डिप्टी कलेक्टर पद के लिए चयनित हो चुके हैं और मध्य प्रदेश प्रशासनिक सेवा में यह सबसे बड़ा पद उन्हें प्राप्त हो चुका है. उनकी यही कामना थी कि वह इस पद पर पहुंचे जो अब पूरी हो चुकी है. वह अपनी यह उपलब्धि के लिए अपने पूरे परिवार और सहयोगियों का आभार भी व्यक्त करते नजर आए.
रोजाना 8 से 9 घंटे की पढ़ाई
इस मुकाम को हासिल करने के लिए पवन ने प्रतिदिन 8 से 9 घंटे तक पढ़ाई की लेकिन इसके साथ ही उन्होंने अपनी शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का भी पूरा ख्याल रखा. पढ़ाई के अलावा उन्होंने हर रोज 1 घंटे योग करने का नियम बनाया, जिससे उनके शरीर और मन में एक स्फूर्ति और ऊर्जा का संचार होता रहा. इसे सीधे तौर पर उनकी पढ़ाई में भी मदद हुई और एकाग्रता बनी रही.
![GWALIOR BOY CRACKED MPPSC EXAM 2021](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/08-06-2024/mp-gwa-02-mppcs-selection-121-7206787_07062024221531_0706f_1717778731_727.jpeg)
संघर्ष करना कभी न छोड़ें
जब ईटीवी भारत संवाददाता ने उनसे सवाल किया कि अक्सर तैयारी करने वाले छात्रों का जब चयन नहीं होता या तैयारी में उन्हें अधिक समय लगता है तो एक समय आता है जब इन छात्रों का मनोबल टूटने लगता है तो क्या ऐसा कोई पढ़ाव पवन के जीवन में भी आया. तो इस बात का जवाब उन्होंने कविता के जरिए दिया पवन ने प्रख्यात कवि शिवमंगल सिंह सुमन की लिखी कुछ पंक्तियां सुनाएं उन्होंने कहा कि, "क्या हार में क्या जीत में, किंचित नहीं भयभीत में, संघर्ष पद पर जो मिले, यह भी सही वह भी सही." इन पंक्तियों के साथ ही पवन ने तैयारी करने वाले उन तमाम छात्रों को सलाह दी है कि चीजें आती और जाती रहती हैं. अगर एक बार सलेक्शन नहीं हुआ तो प्रयास करना नहीं छोड़ना चाहिए. अपने आत्मविश्वास को कभी डगमगाने ना दें क्योंकि जब तक आप अपने आप पर भरोसा नहीं करेंगे कितने भी प्रयास करें सफलता दूर ही नजर आएगी.
पवन के पिता हेमंत कुमार गुरैया हाउसिंग बोर्ड में असिस्टेंट इंजीनियर हैं. उन्होंने बताया कि पवन के चयन से उनके परिवार रिश्तेदार सभी में बहुत खुशी का माहौल है. वह खुशी को महसूस कर रहे हैं जो उनके बेटे ने सफलता हासिल की है, क्योंकि लाखों ऐसे बच्चे होते हैं जो इसके लिए प्रयास करते हैं मेहनत करते हैं लेकिन उनमें से निकल कर इस मुकाम पर आज पवन पहुंचे हैं, यह उनकी कड़ी मेहनत और आत्मविश्वास का परिणाम है.
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लाखों का पैकेज छोड़ दादा-पिता के नक्शे कदम पर चले पवन
अक्सर युवाओं में अच्छे विश्वविद्यालय से पढ़ाई और फिर किसी बड़ी कंपनी में नौकरी की इच्छा देखी जाती है. लाखों का पैकेज उन्हें अपनी ओर आकर्षित करता है. खुद पवन गुरैया दिल्ली यूनिवर्सिटी से बीकॉम ग्रेजुएट हैं, फिर भी प्राइवेट जॉब का ऑफर छोड़कर एक संघर्ष भरे रास्ते पर चलकर एमपीपीएससी की तैयारी करने निकल पड़े. इसमें उनके पिता का पूरा सहयोग रहा. पवन के पिता हेमंत गुरैया ने बताया कि ''ग्रेजुएशन के बाद पवन को ₹8,00,000 सालाना के पैकेज पर एक नामी कंपनी में जब का ऑफर मिला था. लेकिन जब इस मामले पर उन्होंने पवन से बात की तो पवन का कहना था कि उनके दादा और फिर पिता दोनों ही शासकीय सेवक रहे हैं, इसलिए वह भी आगे प्रशासनिक सेवाओं में जाना चाहते हैं. प्रशासनिक सेवाओं के जरिए जनता से जुड़ना चाहते हैं, उन्हें लाभ दिलाना और उनकी समस्याओं को दूर करना चाहते हैं. इसलिए वे आगे यूपीएससी की तैयारी करना चाहते थे और उन्होंने इसकी इजाजत दी. दिल्ली में 2 साल तक यूपीएससी की तैयारी भी करवाई लेकिन इसी बीच कोविड आ गया और स्वास्थ्य समस्याओं के चलते उन्हें ग्वालियर वापस बुला लिया गया. यहां आकर उन्होंने एमपीपीएससी की तैयारी की परीक्षा दी और अब परिणाम सबके सामने हैं
मां को हुई सबसे ज्यादा खुशी
जब परीक्षा के परिणाम आए और पता चला कि पवन का चयन डिप्टी कलेक्टर पद के लिए हुआ है तो सबसे ज्यादा खुशी उनकी मां को हुई, क्योंकि उन्हें बहुत अच्छा लगा कि उनके बेटे का नाम हुआ है, उसने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है, पूरे परिवार का नाम रोशन किया है. वह इस मुकाम पर पहुंच सके इसके लिए उन्होंने हमेशा उसका ख्याल रखा. जब भी उसे समस्याएं आई वह हमेशा अपनी मां से उन पर डिस्कशन करता था. जब भी उसे जरूरत हुई तब उनकी मां ने हमेशा मनोबल बढ़ाने का प्रयास किया.