भोपाल। मध्य प्रदेश में निर्वाचन आयोग द्वारा मतदाताओं को लेकर चलाये जा जागरूकता अभियान के बावजूद वोटिंग को लेकर वोटरों में उत्साह नजर नहीं आ रहा है. इससे निर्वाचन आयोग के साथ ही राजनीतिक पार्टियों की चिंतायें भी बढ़ रही हैं. वोट डालने वाले मतदाताओं को लकी ड्रॉ और अन्य प्रकार के दिए जा रहे प्रलोभन के बाद भी लोग वोट डालने के लिए घर से नहीं निकल रहे हैं. वहीं, शुक्रवार को एमपी में हुई दूसरे चरण की वोटिंग का औसत काफी निराशाजनक रहा. इस बार पिछले चुनाव से भी 9 प्रतिशत वोटिंग कम हुई. इसमें 11 प्रतिशत महिलाएं इस बार वोट डालने के लिए मतदान केंद्रों तक नहीं पहुंचीं.
2019 के चुनाव से 9 प्रतिशत कम हुआ मतदान
दूसरे चरण के चुनाव में एमपी की छह सीटों टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद में मतदान लगभग 58.62 प्रतिशत हुआ. वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में इन सीटों पर 67.65 प्रतिशत मतदान हुआ था. यानी इस वर्ष यह 9 प्रतिशत कम रहा. सर्वाधिक 67.16 प्रतिशत मतदान होशंगाबाद और सबसे कम 49.44 प्रतिशत रीवा संसदीय क्षेत्र में हुआ.
पहले चरण में भी 7.48 प्रतिशत कम वोटिंग
पहले चरण में एमपी की छह सीटें सीधी, शहडोल, मंडला, जबलपुर, बालाघाट और छिंदवाड़ा में वोटिंग हुई थी. इनका औसत मतदान 67.75 मतदान रहा था. लेकिन वर्ष 2019 के मुकाबले की बात करें तो इस बार यहां भी 7.48 प्रतिशत कम वोटिंग हुई.
वोटिंग से नाराज सीएम ने लिया फीडबैक
वोटिंग के बाद सीएम डॉ. मोहन यादव शुक्रवार देर शाम भाजपा कार्यालय पहुंचे. स्टेट मॉनिटरिंग सेल में कार्यकर्ताओं से फीडबैक लिया और कम वोटिंग के मायने पूछे. खजुराहो का उदाहरण दिया गया कि वहां विपक्ष है नहीं, पर वोटिंग कम हुई है.
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वर्ष 2019 की तुलना में इतना आया अंतर
लोकसभा सीट | 2019 में वोट प्रतिशत | 2024 में वोट प्रतिशत |
दमोह | 65.82 % | 56.33% |
टीकमगढ़ | 60.57% | 48.09% |
सतना | 70.71% | 61.33% |
रीवा | 60.33% | 49.44% |
खजुराहो | 60.20% | 56.91% |
होशंगाबाद | 74.19% | 67.16% |