भोपाल: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में जूनियर महिला डॉक्टर के साथ दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में देशभर में जूनियर डॉक्टर प्रदर्शन कर रहे हैं. भोपाल के एम्स के 600 जूनियर और रेजीडेंट डाक्टरों ने काम बंद कर दिया था. वहीं एमपी के अन्य मेडिकल कॉलेजों में जूनियर डॉक्टर हाथ में काली पट्टी बांधकर इलाज कर रहे थे, लेकिन गुरुवार रात 12 बजे से सभी मेडिकल कॉलेजों के करीब 3 हजार डॉक्टर काम बंद कर हड़ताल पर चले गए हैं. जिससे अस्पतालों में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा सकती है. हालांकि, जूनियर डाक्टरों का कहना है कि "इससे इमरजेंसी सेवाओं पर कोई असर नहीं होगा."
इसलिए तेज हुआ विरोध प्रदर्शन
दरअसल, कोलकाता में जूनियर डॉक्टर से दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में 12 अगस्त से ही एमपी में जूनियर डॉक्टर सांकेतिक रूप से प्रदर्शन कर रहे थे. वहीं एम्स भोपाल में जूनियर डाक्टरों ने काम बंद कर दिया था, लेकिन गुरुवार सुबह डायरेक्टर अजय सिंह के समझाइश के बाद काम पर लौटने का आश्वासन दिया था. लेकिन कोलकाता के आरजी कर कॉलेज में फिर से हुई हिंसा के बाद डॉक्टर आक्रेाशित हो गए. उन्होंने गुरुवार रात 12 बजे से काम बंद हड़ताल करने का समर्थन किया. इसका असर भोपाल, इंदौर, जबलपुर, रीवा और अन्य स्थानों पर मौजूद मेडिकल कॉलेजों में होगा.
एम्स व हमीदिया में डाक्टरों की छुट्टी निरस्त
जूनियर और रेजीडेंट डॉक्टरों की हड़ताल को देखते हुए एम्स भोपाल और हमीदिया अस्पताल में डाक्टरों की छुट्टी निरस्त कर दी गई है. जिससे ओपीडी में आने वाले मरीजों को इलाज मिल सके. वहीं, गांधी मेडिकल कॉलेज की डीन डॉ. कविता सिंह ने डाक्टरों को 24 घंटे ड्यूटी पर रहने का आदेश जारी किया है. साथ ही मेडिकल फैकल्टी को इमरजेंसी, ओपीडी, ऑपरेशन थिएटर, वार्ड और लैब में अपनी सेवाएं देने को कहा है. यही हाल भोपाल एम्स का भी है. बता दें कि जूनियर डाक्टरों की हड़ताल के कारण छोटे ऑपरेशन टालने पड़ रहे हैं.
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गांधी मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टरों ने किया काम बंद
गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल में जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के प्रवक्ता कुलदीप गुता ने बताया कि "कोलकाता में जूनियर डॉक्टर की हत्या और दुष्कर्म के मामले में पूरे देश के डॉक्टर आक्रोशित हैं. गुरुवार को फिर उसी कॉलेज में भीड़ द्वारा किए गए हमले ने इस विरोध को और उग्र कर दिया है. गांधी मेडिकल कॉलेज में करीब 250 जूनियर डॉक्टरों ने काम बंद कर दिया है, जो ओपीडी, इलेक्टिव ओटी, वार्ड ड्यूटी और लैब में काम कर रहे थे."
पीड़ित को न्याय और डाक्टरों के लिए प्रोटेक्शन एक्ट की मांग
वहीं, इस मामले नेशनल फेडरेशन ऑफ आल इंडिया एसोसिएशन ऑफ एम्स और रेजीडेंट डॉक्टर एसोसिएशन एम्स भोपाल के प्रेसीडेंट डॉ. दिव्य भूषण ने बताया कि "देशभर में मेडिकल कॉलेजों में जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर हैं. केंद्र व राज्य सरकारों से हमारी मांग है कि पीड़िता को जल्द से जल्द न्याय दिलाया जाए. साथ ही सरकार सेंट्रल प्रोटेक्शन एक्ट डाक्टर्स एंड हेल्थ वर्कर के लिए लागू करें." जब तक हमें मंत्रालय से ठोस आश्वासन या लिखित आदेश नहीं मिलता, तब तक हम शांतिपूर्ण विरोध जारी रखेंगे.