जबलपुर। बालाघाट निवासी अतुल मंडलेकर की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि साल 2014 उसकी शिकायत पर कोतवाली पुलिस ने आपराधिक प्रकरण दर्ज किया था. कोतवाली पुलिस द्वारा इस मामले में साल 2017 को क्लोजर रिपोर्ट दायर की गयी. इसके बाद मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत ने क्लोजर रिपोर्ट को खारिज कर दिया और नए सिरे से जांच के आदेश दिए. सीजेएफ द्वारा क्लोजर रिपोर्ट खारिज किये जाने के बावजूद पुलिस द्वारा जांच नहीं की गई.
बालाघाट एसपी ने आदेश को गंभीरता से नहीं लिया
याचिका की सुनवाई के दौरान एकलपीठ ने पुलिस अधीक्षक बालाघाट को जांच के संबंध में हलफनामा प्रस्तुत करने का आदेश दिया. एकलपीठ ने सुनवाई दौरान पाया कि बालाघाट एसपी ने आदेश को गंभीरता से नहीं लिया और जांच एडिशनल एसपी को सौंप दी. एकलपीठ ने कहा कि पुलिस अधिकारी न्यायालय के आदेशों को गंभीरता से लेने के लिए तैयार नहीं हैं. यदि पुलिस अधिकारी अपने ही विभाग द्वारा की जा रही गलतियों का एहसास करने के लिए तैयार नहीं हैं तो कोर्ट के पास पुलिस महानिदेशक को निर्देश देने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं बचता है.
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थाना प्रभारी के खिलाफ केस दर्ज करने का आदेश
एकलपीठ ने आदेश में कहा है कि पुलिस महानिदेशक जांच स्वयं करें और यह जिम्मेदारी वह किसी अन्य अधिकारियों को नही सौंपेंगे. एकलपीठ ने कहा कि तत्कालीन जांच अधिकारी तथा थाना प्रभारी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के खिलाफ प्रकरण दर्ज करें. कोर्ट ने डीजीपी को आदेश दिया कि इस मामले की खुद जांच करें और बालाघाट एसपी, एडिशनल एसपी, डीएसपी, कोतवाली थाने के वर्तमान व तत्कालीन जांच अधिकारी की जिम्मेदारी तय करें.