जबलपुर। मध्यप्रदेश में ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत किये जाने से संबंधित याचिकाओं की सुनवाई मंगलवार को हाईकोर्ट जस्टिस शील नागू तथा जस्टिस विनय सराफ द्वारा की गयी. इस दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से बताया गया कि सरकार ने पिछले 5 सालों से 13 प्रतिशत पदों पर नियुक्तियां होल्ड की हैं. सर्वोच्च न्यायालय में ओबीसी आरक्षण संबंधित याचिकाएं लंबित होने के कारण युगलपीठ ने अगली सुनवाई अगले माह निर्धारित की है.
ओबीसी आरक्षण मामले में कुल 91 याचिकाएं दायर हैं
गौरतलब है कि प्रदेश में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण किये जाने के खिलाफ व पक्ष में हाईकोर्ट में 91 याचिकाएं दायर की गयी थीं. मुख्य याचिका के साथ लिंक की गयी याचिकाओं की सुनवाई युगलपीठ द्वारा संयुक्त रूप से की गयी. याचिका में कहा गया है कि ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत किये जाने से कुल आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक हो जायेगा, जो सर्वोच्च न्यायालय की संवैधानिक बेंच द्वारा पारित आदेश के विरुद्ध होगा. याचिकाकर्ता की तरफ से पैरवी करते हुए अधिवक्ता आदित्य संघी ने युगलपीठ को बताया कि सरकार ने नियम विरुद्ध तरीके से 87:13 फार्मूला लागू कर रखा है.
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अगले माह के पहले सप्ताह में फिर होगी सुनवाई
सुनवाई के दौरान युगलपीठ को ये भी बताया गया कि सरकार ने पिछले पांच सालों से 13 प्रतिशत पदों पर नियुक्तियों को होल्ड पर रखा है. इससे कई अभ्यर्थियों को भविष्य प्रभावित हो रहा है. युगलपीठ ये भी बताया गया कि ओबीसी आरक्षण संबंधित याचिका स्थानांतरण की जाने की मांग करते हुए सर्वोच्च न्यायालय में एसएलपी दायर की गयी है. जिस पर सुनवाई मार्च माह के अंतिम सप्ताह में निर्धारित है. युगलपीठ ने याचिका पर अगली सुनवाई अप्रैल माह के प्रथम सप्ताह में निर्धारित की है.