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MP हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने बढ़े वेतन पर दिया स्टे, 10 लाख श्रमिकों को झटका - MP High Court stay increased wages

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : May 28, 2024, 7:47 PM IST

Updated : May 28, 2024, 7:54 PM IST

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने मजदूरों के बढ़े हुए वेतन के मामले में स्टे दे दिया है. इससे दैनिक वेतनभोगी मजदूरों में मायूसी छा गई है. इससे दैनिक वेतन भोगी मजदूरों को हर माह 1600 से 2400 रुपये का नुकसान होगा.

MP High Court stay increased wages
एमपी हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने बढ़े वेतन पर दिया स्टे (ETV BHARAT)

भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार ने वर्ष 2014 के बाद पहली बार औद्योगिक और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों में वेतन वृद्धि का निर्णय लिया था. इसके तहत श्रमिकों के वेतन में 25 प्रतिशत की वृद्धि की गई थी. 1 अप्रैल 2024 से उन्हें बढ़ा हुआ वेतन मिल रहा था. लेकिन एक माह बाद ही हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने सरकार के इस फैसले पर स्टे दे दिया. जिससे अब मजदूरों को बढ़े हुए वेतन का लाभ नहीं मिलेगा.

इसलिए बढ़े हुए वेज रिवीजन पर लगाई रोक

पीथमपुर की एक निजी संस्था ने सरकार द्वारा बढ़ाई गई न्यूनतम वेतन की दरों को मानने से इंकार कर दिया था. साथ ही इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की. हाईकोर्ट ने भी इस मामले में कंपनी को राहत देते हुए बढ़े हुए वेज रिवीजन में रोक लगाते हुए. न्यूनतम वेतन देने के लिए नई गाइडलाइन जारी कर दी.

सरकारी निकायों के श्रमिकों को आदेश से मुक्त रखने की मांग

इस मामले को लेकर कर्मचारी संगठन व्यापक स्तर पर विरोध कर रहे हैं. ऐसे में उन्होंने कहा है कि निजी कंपनी ने जो याचिका लगाई है, उसका उद्देश्य उनके यहां काम करने वाले कर्मचारियों के वेतन वृद्धि को लेकर है. ऐसे में सरकारी विभागों जैसे नगर पालिका, नगर निगम व आदि संस्थानों में पदस्थ श्रमिकों को इस आदेश से मुक्त रखा जाए और उन्हें पूर्व की भांति ही, वेतन भुगतान किया जाये.

श्रमिकों के वेतन में इतना आएगा अंतर

सरकार ने मंहगाई को ध्यान में रखते हुए 1 अप्रैल 2024 से अकुशल श्रमिकों को 11,800 रुपये, अर्द्धकुशल श्रमिकों को 12,796, कुशल श्रमिकों को 14,519 और उच्च कुशल श्रमिक को 16,144 रुपये के न्यूनतम वेतन भुगतान करने के लिए निर्देशित किया था. जबकि इ्रदौर हाईकोर्ट ने इसमें स्टे लगाते हुए अकुशल श्रमिकों को 10,175, अर्द्धकुशल श्रमिकों को 11,032, कुशल श्रमिकों को 12,410, अर्ध कुशल श्रमिकों को 13,710 रुपये प्रतिमाह भुगतान करने के लिए निर्देशित किया है. ऐसे में जहां श्रमिकों को 1600 रुपये से लेकर 2400 रुपये का नुकसान हो रहा है.

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श्रमिकों में निराशा, श्रमायुक्त को सौपेंगे ज्ञापन

मध्यप्रदेश नगर पालिक निगम कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अशोक वर्मा ने बताया "बढ़ती मंहगाई के अनुसार कर्मचारियों का वेतन भी बढ़ना चाहिए. लेकिन किसी निजी कंपनी के स्वार्थ के कारण प्रदेश के लाखों कर्मचरियों का नुकसान करना गलत है. इस मामले में हम श्रमायुक्त को ज्ञापन सौंपेंगे. जरूरत पड़ी तो कोर्ट का रास्ता भी अपनाएंगे."

भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार ने वर्ष 2014 के बाद पहली बार औद्योगिक और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों में वेतन वृद्धि का निर्णय लिया था. इसके तहत श्रमिकों के वेतन में 25 प्रतिशत की वृद्धि की गई थी. 1 अप्रैल 2024 से उन्हें बढ़ा हुआ वेतन मिल रहा था. लेकिन एक माह बाद ही हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने सरकार के इस फैसले पर स्टे दे दिया. जिससे अब मजदूरों को बढ़े हुए वेतन का लाभ नहीं मिलेगा.

इसलिए बढ़े हुए वेज रिवीजन पर लगाई रोक

पीथमपुर की एक निजी संस्था ने सरकार द्वारा बढ़ाई गई न्यूनतम वेतन की दरों को मानने से इंकार कर दिया था. साथ ही इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की. हाईकोर्ट ने भी इस मामले में कंपनी को राहत देते हुए बढ़े हुए वेज रिवीजन में रोक लगाते हुए. न्यूनतम वेतन देने के लिए नई गाइडलाइन जारी कर दी.

सरकारी निकायों के श्रमिकों को आदेश से मुक्त रखने की मांग

इस मामले को लेकर कर्मचारी संगठन व्यापक स्तर पर विरोध कर रहे हैं. ऐसे में उन्होंने कहा है कि निजी कंपनी ने जो याचिका लगाई है, उसका उद्देश्य उनके यहां काम करने वाले कर्मचारियों के वेतन वृद्धि को लेकर है. ऐसे में सरकारी विभागों जैसे नगर पालिका, नगर निगम व आदि संस्थानों में पदस्थ श्रमिकों को इस आदेश से मुक्त रखा जाए और उन्हें पूर्व की भांति ही, वेतन भुगतान किया जाये.

श्रमिकों के वेतन में इतना आएगा अंतर

सरकार ने मंहगाई को ध्यान में रखते हुए 1 अप्रैल 2024 से अकुशल श्रमिकों को 11,800 रुपये, अर्द्धकुशल श्रमिकों को 12,796, कुशल श्रमिकों को 14,519 और उच्च कुशल श्रमिक को 16,144 रुपये के न्यूनतम वेतन भुगतान करने के लिए निर्देशित किया था. जबकि इ्रदौर हाईकोर्ट ने इसमें स्टे लगाते हुए अकुशल श्रमिकों को 10,175, अर्द्धकुशल श्रमिकों को 11,032, कुशल श्रमिकों को 12,410, अर्ध कुशल श्रमिकों को 13,710 रुपये प्रतिमाह भुगतान करने के लिए निर्देशित किया है. ऐसे में जहां श्रमिकों को 1600 रुपये से लेकर 2400 रुपये का नुकसान हो रहा है.

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मध्यप्रदेश नगर पालिक निगम कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अशोक वर्मा ने बताया "बढ़ती मंहगाई के अनुसार कर्मचारियों का वेतन भी बढ़ना चाहिए. लेकिन किसी निजी कंपनी के स्वार्थ के कारण प्रदेश के लाखों कर्मचरियों का नुकसान करना गलत है. इस मामले में हम श्रमायुक्त को ज्ञापन सौंपेंगे. जरूरत पड़ी तो कोर्ट का रास्ता भी अपनाएंगे."

Last Updated : May 28, 2024, 7:54 PM IST
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