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इंदौर पुलिस ने बिना जांच के धोखाधड़ी का केस दर्ज किया, हाई कोर्ट ने सख्त टिप्पणी कर मामला खत्म किया - बिना जांच के केस किया दर्ज

High court strict remarks MP police : मध्यप्रदेश पुलिस की कार्यप्रणाली पर हमेशा सवाल खड़े होते हैं. इसी कड़ी में इंदौर हाई कोर्ट ने धोखाधड़ी के एक मामले में लगी याचिका पर पुलिस के काम करने के तरीके पर सवाल खड़े करते हुए सख्त टिप्पणी की है.

MP High Court angry strict remarks on indore police
इंदौर पुलिस ने बिना जांच के धोखाधड़ी का केस दर्ज किया
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 29, 2024, 11:58 AM IST

इंदौर। इंदौर के एरोड्रम पुलिस थाना में बिना जांच के धोखाधड़ी का एक प्रकरण दर्ज किया गया. इसके बाद पुलिस ने जांच करके दो आरोपियों को गिरफ्तार करने के प्रयास शुरू किए. आरोपियों ने इसी दौरान जमानत ले ली. इसके बाद कोर्ट में पुलिस ने जमानत निरस्त करवाने के लिए आवेदन लगाया. पुलिस ने आरोपियों के पासपोर्ट तक जब्त कर लिए. आरोपी दिल्ली के रहने वाले हैं और करीब एक करोड़ से अधिक का धोखाधड़ी का मामला है.

पुलिस ने बिना जांच के की कार्रवाई

पुलिस ने इस मामले में यह जांच नहीं की कि ये मामला सिविल का है या क्रिमिनल. जिन लोगों के खिलाफ केस दर्ज हुआ, वे दिल्ली के रहने वाले हैं. पैसों को लेनदेन का एग्रीमेंट मात्र ₹100 के स्टांप पर रायपुर में होना बताया गया. केस इंदौर में दर्ज कर लिया गया. पुलिस की कार्यप्रणाली को लेकर आरोपियों की ओर से अधिवक्ता मनीष यादव ने विभिन्न तरह के तर्क कोर्ट के समक्ष रखे. इसके बाद जस्टिस विवेक रूसिया की खंडपीठ द्वारा पुलिस द्वारा दर्ज किए गए प्रकरण के खिलाफ दायर याचिका पर सख्त टिप्पणी की गई.

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पुलिस कार्रवाई को रद्द किया

कोर्ट ने कहा कि पुलिस ने जल्दबाजी में प्रकरण दर्ज किया. ना ही पूरी जांच की. कोर्ट ने पुलिस की पूरी कार्रवाई को रद्द कर दिया. बता दें कि पुलिस ने धोखाधड़ी के मामले में दिल्ली के रहने वाली फरियादी सरिता और उनके अमेरिका में रहने वाले बेटे सौरभ के खिलाफ धोखाधड़ी का प्रकरण दर्ज किया था. सरकारी जमीन संजय नामक व्यक्ति को बेचे जाने के संबंध में भी पुलिस ने प्रकरण दर्ज किया था. सरिता ने अपने एडवोकेट के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी.

इंदौर। इंदौर के एरोड्रम पुलिस थाना में बिना जांच के धोखाधड़ी का एक प्रकरण दर्ज किया गया. इसके बाद पुलिस ने जांच करके दो आरोपियों को गिरफ्तार करने के प्रयास शुरू किए. आरोपियों ने इसी दौरान जमानत ले ली. इसके बाद कोर्ट में पुलिस ने जमानत निरस्त करवाने के लिए आवेदन लगाया. पुलिस ने आरोपियों के पासपोर्ट तक जब्त कर लिए. आरोपी दिल्ली के रहने वाले हैं और करीब एक करोड़ से अधिक का धोखाधड़ी का मामला है.

पुलिस ने बिना जांच के की कार्रवाई

पुलिस ने इस मामले में यह जांच नहीं की कि ये मामला सिविल का है या क्रिमिनल. जिन लोगों के खिलाफ केस दर्ज हुआ, वे दिल्ली के रहने वाले हैं. पैसों को लेनदेन का एग्रीमेंट मात्र ₹100 के स्टांप पर रायपुर में होना बताया गया. केस इंदौर में दर्ज कर लिया गया. पुलिस की कार्यप्रणाली को लेकर आरोपियों की ओर से अधिवक्ता मनीष यादव ने विभिन्न तरह के तर्क कोर्ट के समक्ष रखे. इसके बाद जस्टिस विवेक रूसिया की खंडपीठ द्वारा पुलिस द्वारा दर्ज किए गए प्रकरण के खिलाफ दायर याचिका पर सख्त टिप्पणी की गई.

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पुलिस कार्रवाई को रद्द किया

कोर्ट ने कहा कि पुलिस ने जल्दबाजी में प्रकरण दर्ज किया. ना ही पूरी जांच की. कोर्ट ने पुलिस की पूरी कार्रवाई को रद्द कर दिया. बता दें कि पुलिस ने धोखाधड़ी के मामले में दिल्ली के रहने वाली फरियादी सरिता और उनके अमेरिका में रहने वाले बेटे सौरभ के खिलाफ धोखाधड़ी का प्रकरण दर्ज किया था. सरकारी जमीन संजय नामक व्यक्ति को बेचे जाने के संबंध में भी पुलिस ने प्रकरण दर्ज किया था. सरिता ने अपने एडवोकेट के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी.

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