भोपाल। प्रधानमंत्री आवास योजना के एमपी के हितग्राहियों द्वारा राशि लेकर घर नहीं बनाने का मामला सामने आया है. आपको जानकर हैरानी होगी कि मध्य प्रदेश में करीब 30 हजार ऐसे हितग्राही हैं, जिन्होंने पीएम आवास में पंजीयन कराने के बाद घर बनाने की शुरुआत भी नहीं की. अब सरकार ऐसे हितग्राहियों से दी गई राशि की वसूली करने की तैयारी कर रही है.
संपत्ति बेचकर सरकार वसूलेगी पैसा
प्रदेश सरकार प्रधानमंत्री आवास योजना की राशि लेकर मकान नहीं बनाने वाले हिग्राहियों के खातों को सीज कराएगी, जिससे वह खाते में बची हुई राशि उपयोग न कर सकें. यदि हितग्राहियों के खातों में पर्याप्त राशि नहीं होती है तो ऐसी स्थिति में उनकी संपत्तियों की नीलामी कराई जाएगी. यदि उनके पास कोई वाहन है, तो इसे बेचकर सरकार अपना पैसा वसूलेगी. एमपी में 7.18 लाख प्रधानमंत्री आवास बनाने का लक्ष्य था. इनमें से 5.75 लाख मकान बन चुके हैं और 1 लाख 13 हजार मकानों का निर्माण चल रहा है.
30 हजार लोगों से वसूली की तैयारी
इन मकानों में निर्माण कार्य के हिसाब से पीएम आवास की किश्तें जारी की जा रही हैं. वहीं, 30 हजार ऐसे हितग्राही हैं, जिन्होंने पहली किश्त लेने के बाद भी अब तक निर्माण कार्य शुरू नहीं किया है. नगरीय विकास एवं आवास विभाग के आयुक्त भरत यादव ने बताया कि ''हम ऐसे लोगों को चिन्हित कर रहे हैं जिन्होंने पहली किश्त लेने के बाद भी निर्माण कार्य शुरू नहीं किया है. साथ ही हम इन लोगों से वसूली करने की कोशिश करेंगे.''
1500 अपात्र हितग्राही भी ले चुके हैं योजना का लाभ
मध्यप्रदेश विधानसभा में 8 फरवरी को पेश की गई कैग की रिपोर्ट में बताया गया कि योजना के तहत 2037 अयोग्य लाभार्थियों में से 1555 को 15.66 करोड़ रुपये की पीएमएवाई-जी सहायता जारी की गई है, जबकि ये पीएम आवास योजना के पात्र नहीं थे. वहीं, 64 मामलों में एक ही लाभार्थी को दो बार मकान स्वीकृत किए गए. 98 मामलों में एक घर वास्तविक लाभार्थी को और दूसरा उसके परिवार के सदस्यों को स्वीकृत किया गया था.
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देश के अन्य राज्यों से एमपी की स्थिति बेहतर
एमपी के अलावा देश के अन्य राज्यों में पीएम आवास योजना गति बहुत धीमी है. कुछ राज्यों में तो अभी तक चयनित हितग्राहियों को एक भी किश्त का भुगतान नहीं हुआ है. कई राज्यों में योजना को लेकर अभी तक सर्वेक्षण ही नहीं हुआ. मध्यप्रदेश के पड़ोसी छत्तीसगढ़ और राजस्थान की प्रगति भी बहुत अच्छी नहीं है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस महत्वाकांक्षी योजना को लेकर मध्यप्रदेश ने खासी रुचि दिखाई और इसी के परिणाम धरातल पर नजर आते हैं. पीएम के ऐलान के बाद सरकार ने सर्वे शुरू करा दिया था. अधिकारियों ने प्रोजेक्ट को गंभीरता से लिया. भोपाल से लगातार मानीटरिंग की गई. काम की गुणवत्ता और समय का ध्यान भी रखा गया.