भोपाल: मध्य प्रदेश के वनरक्षकों ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को अपने खून से चिट्ठी लिखी है. इस लेटर में उन्होंने वन विभाग द्वारा वसूले जा रहे 165 करोड़ रुपये की वसूली पर रोक लगाने की मांग की है. दरअसल, वित्त विभाग ने 1 जनवरी 2006 के बाद नियुक्त हुए वनरक्षकों को 1900 के ग्रेड पे 5689 का वेतनमान तय हुआ था. विभाग के मुताबिक, भर्ती की नियमावली के अनुसार 1800 के ग्रेड पे पर 5200 का वेतनमान देना था. लिहाजा अब वन विभाग वनरक्षकों को दी हुई अतिरिक्त राशि वसूलने जा रही है. इस आदेश के बाद फॉरेस्ट डिपार्टमेंट ने जो रिकवरी का आंकड़ा निकाला है वह करीब 165 करोड़ का है. इसमें कई वनरक्षकों से 1.5 लाख से 5 लाख तक की राशि वसूली की जाएगी.
वनरक्षकों से क्यों की जा रही रिकवरी
शाजापुर के फॉरेस्ट गार्ड सीतारम तिवारी पर एक अक्टूबर 2011 से 31 दिसम्बर 2023 के बीच की 1 लाख 29 हजार 425 रुपए की वसूली निकाली गई है. यह राशि करीब 480 रुपये प्रति माह के हिसाब से है. इसके अलावा 12 फीसदी ब्याज भी वसूला जाएगा. इसी तरह सभी वनरक्षकों को अलग-अलग राशि की वसूली के नोटिस भेजे जा रहे हैं. वनरक्षकों ने इस वसूली को रोकने के लिए आंदोलन तेज कर दिया है.
14000 फॉरेस्ट गार्ड वसूली के दायरे में
मध्य प्रदेश कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अशोक पाण्डेय के मुताबिक, "सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिया है कि यदि विभाग की गलती से कर्मचारियों को अधिक वेतन का भुगतान किया जाता है तो उसकी वसूली कर्मचारियों से नहीं की जाएगी. इसके अलावा हाई कोर्ट ने भी आदेश पारित किया है कि वनरक्षकों से वेतन वसूली करना विधि सम्मत नहीं है. वन विभाग में फॉरेस्ट गार्ड का पद सीधी भर्ती का पद है. फिर भी वित्त विभाग ने उसे पदोन्नति का पद मानकर वसूली के आदेश जारी कर दिए हैं." वन विभाग के इस आदेश से 14000 फारेस्ट गार्ड प्रभावित होंगे. कई जिलों में फॉरेस्ट डिपार्टमेंट ने वसूली के आदेश भी पारित कर दिए हैं.
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गलती से अधिक वेतन दायरे में हो गई नियुक्ती
वित्त विभाग का कहना है कि भर्ती नियमों के अनुसार वनरक्षकों को 1800 ग्रेड पे पर 5200 का वेतनमान निर्धारित होना था. लेकिन उन्हें 5680+1900 का वेतन दे दिया गया. यह गड़बड़ी 1 जनवरी 2006 से 8 सिंतबर 2014 के बीच भर्ती हुए वनरक्षकों की सैलरी में हुई है. कर्मचारी संगठन का कहना है कि अगर गलती हुई भी तो, विभाग को 15 साल बाद उसकी याद आई.