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अवधि पार हो चुके 3 लाख 74 हजार से ज्यादा वाहन दौड़ रहे सड़कों पर, मजबूरी में काट रहे चालान, ये है मामला - 3 lakh 74 thousand expired vehicles

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : May 10, 2024, 4:47 PM IST

Updated : May 10, 2024, 5:55 PM IST

अलवर जिले में 3 लाख 74 हजार से ज्यादा वाहन अवधि पार हो चुके हैं. इन्हें यार्ड उपलब्ध नहीं होने के चलते रखने की जगह नहीं है. जब ऐसे वाहन सड़कों पर उतरते हैं, तो यातायात पुलिस के पास चालान काटने के अलावा कोई चारा नहीं रहता है.

lakhs of vehicles that have expired
अवधि पार हो चुके लाखों वाहन (ETV Bharat Alwar)

वाहनों के लिए नहीं यार्ड, सड़कों पर दौड़ रहे फेजआउट वाहन (ETV Bharat Alwar)

अलवर. जिले में पुराने वाहनों को स्क्रैप कर रखने के लिए यार्ड की जगह उपलब्ध नहीं होने से करीब 8 महीने पहले एनसीआर व अलवर में लागू स्क्रैप पॉलिसी पूरी तरह से धरातल पर नहीं उतर पा रही है. जिले में परिवहन विभाग के पास स्क्रैप वाहनों को रखने की जगह नहीं होने के कारण अवधि पार हो चुके 3 लाख 74 हजार 700 वाहन सड़कों पर दौड़ रहे हैं. मजबूरी में परिवहन विभाग को अवधि पार हो चुके पुराने वाहनों का चालान काटने की कार्रवाई कर इतिश्री करनी पड़ रही है.

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट व एनजीटी की ओर से एनसीआर क्षेत्र में 10 साल पुराने डीजल व 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों को सड़क से हटाने के आदेश जारी किए गए थे. एनसीआर में शामिल अलवर जिले में करीब 10 लाख 36 हजार 392 वाहन रजिस्टर्ड हैं. इनमें से 1 लाख 39 हजार 936 डीजल व 2 लाख 34 हजार 764 पेट्रोल वाहनों को फेज आउट कर दिया गया है. इस तरह कुल 3 लाख 74 हजार 700 वाहन अलवर जिले से फेज आउट हो चुके हैं. इन सभी वाहनों को स्क्रैप किया जाना है.

पढ़ें: बड़ा फैसला: अलवर NCR में अब नहीं चलेंगे 10 साल से ज्यादा पुराने वाहन, सड़क पर दिखे तो होंगे जब्त

जिला परिवहन अधिकारी सतीश कुमार का कहना है कि अलवर में स्क्रैप के लिए यार्ड नहीं हैं. पुलिस थानों में भी बहुत कम जगह है. ऐसे में फेज आउट हुए वाहनों को जुर्माना लगाकर ही छोड़ना पड़ता है. परिवहन विभाग ने 30 वाहनों को ही सीज किया था. जबकि फेज आउट हो चुके वाहनों को सड़कों से हटाना जरूरी है. लेकिन सबसे बड़ी समस्या इन वाहनों को रखने की है. यार्ड के लिए जगह उपलब्ध कराने के लिए परिवहन विभाग की ओर से मुख्यालय को पत्र लिखा जा चुका है. अभी प्रदेश में जयपुर जिले में फिलहाल दो यार्ड हैं. अलवर में जैसे ही यार्ड के लिए जगह उपलब्ध कराई जाएगी, वाहनों की जब्ती की कार्रवाई शुरू कर देंगे.

पढ़ें: स्क्रैप पॉलिसी: पुरानी गाड़ी को कबाड़ डिक्लेयर करने पर उसके मालिक को कितना फायदा होगा ?

क्या है स्क्रैप पॉलिसी: स्क्रैप पॉलिसी के तहत एनसीआर में प्रदूषण और पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे पुराने और अनफिट वाहनों को स्क्रैप करने का प्रावधान है. 10 साल पुराने डीजल व 15 साल पुराने पेट्रोल वाहन तथा फिटनेस टेस्ट में फेल होने के बाद उन्हें स्क्रैप करना होता है. स्क्रैप पॉलिसी में अवधि पार कर चुकी कार, बाइक, स्कूटर सहित हर तरह के व्यावसायिक गाड़ियां स्क्रैप करा सकते हैं. ऐसे पुराने वाहनों को वाहन मालिक खुद स्क्रैप करा सकते हैं. अगर वाहन मालिक पुराने व अनफिट वाहनों को खुद स्क्रैप नहीं कराता तो पकड़े जाने पर विभाग उन्हें स्क्रैप करा देगा. केंद्र सरकार ने व्हीकल स्क्रैप पॉलिसी के तहत अनफिट गाड़ियों को स्क्रैप करना अनिवार्य कर दिया है.

पढ़ें: राजस्थान में 15 साल पुराने वाहनों को लेकर बड़ा फैसला, परिवहन विभाग ने NOC पर दी बड़ी राहत

स्क्रैप कराने पर वाहन मालिक को नई गाडी खरीद पर मिलेगा इंसेटिव: जिला परिवहन अधिकारी सतीश कुमार का कहना है कि पुराने वाहनों को स्क्रैप कराने के लिए समय-समय पर जागरूकता अभियान भी चलाया जाता रहा है. फेज आउट हो चुके वाहनों के मालिक स्वेच्छा से अपने स्क्रैप कराते हैं, तो उन्हें नई गाड़ी खरीदने पर इनसेंटिव मिलेगा. वाहन मालिक को स्क्रैप का भी पैसा भी दिया जाता है.

वाहनों के लिए नहीं यार्ड, सड़कों पर दौड़ रहे फेजआउट वाहन (ETV Bharat Alwar)

अलवर. जिले में पुराने वाहनों को स्क्रैप कर रखने के लिए यार्ड की जगह उपलब्ध नहीं होने से करीब 8 महीने पहले एनसीआर व अलवर में लागू स्क्रैप पॉलिसी पूरी तरह से धरातल पर नहीं उतर पा रही है. जिले में परिवहन विभाग के पास स्क्रैप वाहनों को रखने की जगह नहीं होने के कारण अवधि पार हो चुके 3 लाख 74 हजार 700 वाहन सड़कों पर दौड़ रहे हैं. मजबूरी में परिवहन विभाग को अवधि पार हो चुके पुराने वाहनों का चालान काटने की कार्रवाई कर इतिश्री करनी पड़ रही है.

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट व एनजीटी की ओर से एनसीआर क्षेत्र में 10 साल पुराने डीजल व 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों को सड़क से हटाने के आदेश जारी किए गए थे. एनसीआर में शामिल अलवर जिले में करीब 10 लाख 36 हजार 392 वाहन रजिस्टर्ड हैं. इनमें से 1 लाख 39 हजार 936 डीजल व 2 लाख 34 हजार 764 पेट्रोल वाहनों को फेज आउट कर दिया गया है. इस तरह कुल 3 लाख 74 हजार 700 वाहन अलवर जिले से फेज आउट हो चुके हैं. इन सभी वाहनों को स्क्रैप किया जाना है.

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जिला परिवहन अधिकारी सतीश कुमार का कहना है कि अलवर में स्क्रैप के लिए यार्ड नहीं हैं. पुलिस थानों में भी बहुत कम जगह है. ऐसे में फेज आउट हुए वाहनों को जुर्माना लगाकर ही छोड़ना पड़ता है. परिवहन विभाग ने 30 वाहनों को ही सीज किया था. जबकि फेज आउट हो चुके वाहनों को सड़कों से हटाना जरूरी है. लेकिन सबसे बड़ी समस्या इन वाहनों को रखने की है. यार्ड के लिए जगह उपलब्ध कराने के लिए परिवहन विभाग की ओर से मुख्यालय को पत्र लिखा जा चुका है. अभी प्रदेश में जयपुर जिले में फिलहाल दो यार्ड हैं. अलवर में जैसे ही यार्ड के लिए जगह उपलब्ध कराई जाएगी, वाहनों की जब्ती की कार्रवाई शुरू कर देंगे.

पढ़ें: स्क्रैप पॉलिसी: पुरानी गाड़ी को कबाड़ डिक्लेयर करने पर उसके मालिक को कितना फायदा होगा ?

क्या है स्क्रैप पॉलिसी: स्क्रैप पॉलिसी के तहत एनसीआर में प्रदूषण और पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे पुराने और अनफिट वाहनों को स्क्रैप करने का प्रावधान है. 10 साल पुराने डीजल व 15 साल पुराने पेट्रोल वाहन तथा फिटनेस टेस्ट में फेल होने के बाद उन्हें स्क्रैप करना होता है. स्क्रैप पॉलिसी में अवधि पार कर चुकी कार, बाइक, स्कूटर सहित हर तरह के व्यावसायिक गाड़ियां स्क्रैप करा सकते हैं. ऐसे पुराने वाहनों को वाहन मालिक खुद स्क्रैप करा सकते हैं. अगर वाहन मालिक पुराने व अनफिट वाहनों को खुद स्क्रैप नहीं कराता तो पकड़े जाने पर विभाग उन्हें स्क्रैप करा देगा. केंद्र सरकार ने व्हीकल स्क्रैप पॉलिसी के तहत अनफिट गाड़ियों को स्क्रैप करना अनिवार्य कर दिया है.

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स्क्रैप कराने पर वाहन मालिक को नई गाडी खरीद पर मिलेगा इंसेटिव: जिला परिवहन अधिकारी सतीश कुमार का कहना है कि पुराने वाहनों को स्क्रैप कराने के लिए समय-समय पर जागरूकता अभियान भी चलाया जाता रहा है. फेज आउट हो चुके वाहनों के मालिक स्वेच्छा से अपने स्क्रैप कराते हैं, तो उन्हें नई गाड़ी खरीदने पर इनसेंटिव मिलेगा. वाहन मालिक को स्क्रैप का भी पैसा भी दिया जाता है.

Last Updated : May 10, 2024, 5:55 PM IST
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