पटना: बिहार में अगले साल विधानसभा का चुनाव होना है. नीतीश कुमार ने मिशन 2025 की तैयारी के लिए पूरी तरह से कमर कस ली है. पार्टी के 45 वरिष्ठ नेताओं की पांच टीम बनाकर इस अभियान की शुरुआत की. राजनीतिक विश्लेषक भी कह रहे हैं कि नीतीश कुमार 2025 विधानसभा चुनाव में अपनी खोयी ताकत पाना चाहते हैं. लेकिन, पार्टी के तीन वरिष्ठ नेताओं ललन सिंह, विजेंद्र यादव और महेश्वर हजारी को इस टीम से बाहर रखने पर कई तरह के कयास लगने लगे हैं.
एनडीए की एकजुटता पर सवालः नीतीश कुमार ने एनडीए की अभी हाल ही में बड़ी बैठक की थी. उसमें तय हुआ था कि जिला स्तर पर भी इसी तरह का बड़ा सम्मेलन पांचो घटक दल मिलकर करेंगे. लेकिन नीतीश कुमार एकला चलो अभियान की शुरुआत कर दी है. जदयू के अभियान से एनडीए की एकजुटता के दावे पर फिलहाल प्रश्न उठने लगे हैं. कहा जा रहा है कि गिरिराज सिंह की हिंदू स्वाभिमान से नीतीश कुमार खुश नहीं हैं. इसलिए अब जदयू अपने इस अभियान से अपनी ताकत दिखाएगी.
"नीतीश कुमार के 19 साल के कार्यकाल को जनता के बीच प्रचारित करने के साथ, पीछे की बातों को भी बताना इस अभियान का उद्देश्य है. क्योंकि जब उपलब्धियां की बात हम करेंगे तो उसकी तुलना करनी पड़ेगी. समाज में भ्रम फैलाने की कोशिश भी हो रही है तो जनता को हम लोग सचेत करेंगे."- विजय कुमार चौधरी, जल संसाधन मंत्री
पांच टीम और 45 नेता: नीतीश कुमार ने संजय झा, विजय कुमार चौधरी, श्रवण कुमार, रामनाथ ठाकुर और प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा के नेतृत्व में 5 टीम तैयार की है. जिसमें 45 नेता हैं. प्रत्येक टीम में 9-9 नेता को जगह दिया गया है. जिसमें मंत्री, सांसद, विधायक से लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं. लेकिन केंद्रीय मंत्री ललन सिंह, वरिष्ठ मंत्री बिजेंद्र यादव और मंत्री महेश्वर हजारी को टीम से बाहर रखने पर पार्टी के अंदर कई तरह की चर्चा भी हो रही है.
कमेटी में संशोधन की उम्मीदः तीनों नेता को लेकर कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार के रांग बॉक्स में है. एनडीए की बैठक में नीतीश कुमार ने बिजेंद्र यादव पर आरोप भी लगाया था कि इन्हीं के कहने पर महागठबंधन में हम शामिल हुए थे. लोकसभा चुनाव में महेश्वर हजारी ने अपने बेटे को कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा का चुनाव समस्तीपुर से लड़ाया था. नीतीश कुमार इसको लेकर भी खुश नहीं थे. हालांकि महेश्वर हजारी ने फोन पर हुई बातचीत में कहा कि कमेटी में संशोधन होगा, जो छूटे हैं उनको भी जगह दी जाएगी.
प्रेशर पॉलिटिक्स में नीतीश माहिरः राजनीतिक विश्लेषक प्रिय रंजन भारती का कहना है नीतीश कुमार प्रेशर पॉलिटिक्स के माहिर नेता हैं. बीजेपी ने तो पहले ही उन्हें 2025 में फिर से मुख्यमंत्री बनाने की बात कर दी है. ऐसे में सीटों को लेकर अभी से नीतीश कुमार दबाव बनाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं. 2025 का उनका यह अभियान उसी दिशा में है. बीजेपी के लिए नीतीश कुमार मजबूरी बन गए हैं. यही कारण है कि कई ऐसे मुद्दे हैं जिस पर बीजेपी खुलकर अपना अभियान भी नहीं चला पा रही है.
"अभी विधानसभा चुनाव में से तो काफी समय है, लेकिन नीतीश कुमार की लगातार कोशिश रही है कि पहले ही चुनाव हो जाए. नीतीश कुमार चाहते थे कि लोकसभा चुनाव के साथ ही हो लेकिन बीजेपी उसके लिए तैयार नहीं हुई. ऐसे में फिर से नीतीश कुमार दबाव बना सकते हैं."-प्रिय रंजन भारती, राजनीतिक विश्लेषक
नीतीश के लिए कई चुनौतियांः 2025 विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार के लिए 2020 के प्रदर्शन को सुधारने की सबसे बड़ी चुनौती है. प्रशांत किशोर और आरसीपी सिंह भी एक बड़ी चुनौती बने हुए हैं. केंद्र सरकार ने वक्फ बोर्ड संशोधन बिल लाया है उससे भी नीतीश कुमार की परेशानी बढ़ी हुई है. 2020 विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार के मुस्लिम उम्मीदवार जीत नहीं पाए थे. 2024 में भी नीतीश के मुस्लिम उम्मीदवार जीत नहीं पाए. नीतीश इस अभियान के माध्यम से मुस्लिम वोटरों को खुश करने की कोशिश भी करेंगे.
नीतीश करेंगे चुनाव प्रचारः नीतीश कुमार के लिए चार विधानसभा उपचुनाव में एनडीए की जीत 2025 विधानसभा चुनाव से पहले लिटमस टेस्ट की तरह है. यदि उपचुनाव में एनडीए का बेहतर प्रदर्शन नहीं रहा तो नीतीश कुमार पर फिर से सवाल भी उठेंगे. इसलिए नीतीश कुमार 9 और 10 नवंबर को चारों विधानसभा क्षेत्र में प्रचार करने जा रहे हैं. बता दें कि बेलागंज से जदयू उम्मीदवार चुनाव लड़ रही हैं. जबकि इमामगंज में हम तो तरारी और रामगढ़ में बीजेपी चुनाव लड़ रही है.
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