भरतपुर. जिले के सेवर थाना क्षेत्र के एक गांव में आरोपी ने एक नाबालिग से जबरन दुष्कर्म किया. जब नाबालिग गर्भवती हो गई, तो आरोपी ने इच्छा के विरुद्ध गर्भपात करा दिया और नवजात को बोरी में भरकर कुएं में फेंक दिया. आरोपी ने साजिश के तहत इस मामले में पीड़िता के पिता को ही झूठा फंसा दिया और उन्हें जेल हो गई. पीड़िता के पिता ने जेल से बाहर आकर मामला दर्ज कराया और 7 साल बाद आरोपी को पॉक्सो कोर्ट प्रथम के न्यायाधीश गिरजेश ओझा ने 20 साल के कारावास और 40 हजार के आर्थिक दंड की सजा सुनाई है.
विशिष्ट लोक अभियोजक तरुण जैन ने बताया कि सेवर थाना क्षेत्र के एक गांव में 17 मई, 2017 को आरोपी विष्णु ने परिजनों की अनुपस्थिति में घर में घुसकर नाबालिग से दुष्कर्म किया. आरोपी युवक लंबे समय से डरा धमका कर नाबालिग से दुष्कर्म कर रहा था. जिससे नाबालिग गर्भवती हो गई. पीड़िता ने डर की वजह से परिजनों को इसकी जानकारी नहीं दी.
पीड़िता 8 माह से अधिक समय की गर्भवती होने की वजह से गर्भपात कराने की स्थिति में नहीं थी. लेकिन आरोपी के परिजनों ने दाई की मदद से नाबालिग को खेत में लेजाकर उसका गर्भपात करा दिया. नवजात को बोरी में भरकर कुएं में फेंक दिया. बच्चे की रोने की आवाज सुनकर गांव वालों ने नवजात को बाहर निकाला और पुलिस को सूचित किया. बोरी पर आरोपी ने पीड़िता के पिता का ही नाम लिख दिया, जिससे मामले में पीड़िता के पिता को ही जेल हो गई. उधर नवजात की भी सिर में चोट लगने की वजह से मौत हो गई. जब पीड़िता का पिता जमानत पर बाहर आया, तो आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कराया.
मामले में पुलिस ने नवजात और आरोपी की डीएनए जांच कराई, जिसमें दोनों के डीएनए मैच हो गए. मामले में विशिष्ट लोक अभियोजक तरुण जैन ने 19 दस्तावेज और 26 दस्तावेज पेश किए. जिसके बाद विशिष्ट न्यायाधीश गिरजेश ओझा ने आरोपी आरोपी विष्णु को 20 साल के कारावास और 40 हजार रुपए के आर्थिक दंड की सजा सुनाई.