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'कचरा निपटान के मुद्दे पर राजनीति कर रही हैं मेयर...,' एमसीडी कमिश्नर ने लगाया आरोप - MCD COMMISSIONER ON Shelly Oberoi

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By PTI

Published : Aug 19, 2024, 7:44 PM IST

Updated : Aug 19, 2024, 8:13 PM IST

Garbage Disposal in Delhi: दिल्ली में कचरे के निस्तारण की ‘‘खराब’’ व्यवस्था को लेकर महापौर शैली ओबेरॉय ने नगर निगम आयुक्त अश्विनी कुमार के प्रति असंतोष व्यक्त किया था. इसके एक दिन बाद एमसीडी कमिश्नर अश्विनी कुमार ने पलटवार किया है. उन्होंने इस मुद्दे पर ‘‘राजनीति’’ करने का आरोप लगाया है.

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नई दिल्ली: शहर में कूड़ा निस्तारण की "बिगड़ती स्थिति" को लेकर मेयर शेली ओबेरॉय द्वारा एमसीडी कमिश्नर अश्विनी कुमार की खिंचाई करने के एक दिन बाद, उन्होंने पलटवार करते हुए उन पर इस मुद्दे पर "राजनीति" करने का आरोप लगाया. कुमार ने आगे आरोप लगाया कि दिल्ली नगर निगम की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था, स्थायी समिति के गठन में देरी के कारण कई अन्य परियोजनाओं को रोक दिया गया है.

कुमार ने पीटीआई से कहा, "मेयर सिर्फ राजनीति कर रही हैं. उन्होंने दिल्ली सरकार से निगम के वित्तीय बकाए को सुरक्षित करने के लिए कुछ नहीं किया, जिससे एमसीडी गहरे वित्तीय संकट में है." बता दें, शेली ओबेरॉय ने रविवार को पूरी दिल्ली, खासकर पश्चिमी जोन और मध्य जोन में कूड़ा निस्तारण की "बिगड़ती स्थिति" को लेकर एमसीडी कमिश्नर की आलोचना की और उन्हें कचरे का बेहतर संग्रह और निकासी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया.

मेयर ने दैनिक निरीक्षण करने का दिया आदेशः उन्होंने पत्र में कहा कि पिछले कुछ दिनों से इन इलाकों में कूड़ा संग्रह अनियमित है, जिसके परिणामस्वरूप सड़कों और कूड़ेदानों पर कूड़ा जमा हो गया है. ओबेरॉय ने कहा कि सड़ते हुए कचरे से आने वाली बदबू असहनीय है. उन्होंने इस बारे में कई बार कमिश्नर को अवगत कराया है, लेकिन कुछ नहीं हुआ. पत्र में उन्होंने एमसीडी कमिश्नर को 20 अगस्त से 2 सितंबर तक एमसीडी के 12 क्षेत्रों में उचित सफाई और स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए दैनिक निरीक्षण के लिए उनके साथ जाने का निर्देश दिया.

यह भी पढ़ें- भलस्वा से सभी डेयरियों को शिफ्ट करना होगा, दिक्कत है तो एमसीडी ट्रिब्यूनल जाइए..., हाईकोर्ट का आदेश

ओबेरॉय ने कहा था, "कचरा संग्रहण और निपटान एमसीडी कमिश्नर की व्यक्तिगत जिम्मेदारी होगी, जो शहर के किसी भी हिस्से में किसी भी तरह की अस्वच्छ स्थिति के लिए जिम्मेदार होंगे." एक अधिकारी के अनुसार, मध्य दिल्ली क्षेत्र में कचरा निपटान रियायतकर्ता की विस्तारित अनुबंध अवधि 25 जुलाई को समाप्त हो गई. पश्चिमी दिल्ली क्षेत्र में, नगर निकाय को किराए पर ली गई एजेंसी के साथ भुगतान संबंधी मुद्दों का सामना करना पड़ रहा है. 5 करोड़ रुपये और उससे अधिक के व्यय वाले प्रस्तावों को स्थायी समिति की मंजूरी की आवश्यकता होती है, जो लगभग 1.5 वर्षों से लंबित है."

यह भी पढ़ें- दिल्ली में 'कचरा' राजनीति: मेयर ने MCD को फटकारा तो बीजेपी को आया गुस्सा, पलटवार में लगाए गंभीर आरोप

नई दिल्ली: शहर में कूड़ा निस्तारण की "बिगड़ती स्थिति" को लेकर मेयर शेली ओबेरॉय द्वारा एमसीडी कमिश्नर अश्विनी कुमार की खिंचाई करने के एक दिन बाद, उन्होंने पलटवार करते हुए उन पर इस मुद्दे पर "राजनीति" करने का आरोप लगाया. कुमार ने आगे आरोप लगाया कि दिल्ली नगर निगम की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था, स्थायी समिति के गठन में देरी के कारण कई अन्य परियोजनाओं को रोक दिया गया है.

कुमार ने पीटीआई से कहा, "मेयर सिर्फ राजनीति कर रही हैं. उन्होंने दिल्ली सरकार से निगम के वित्तीय बकाए को सुरक्षित करने के लिए कुछ नहीं किया, जिससे एमसीडी गहरे वित्तीय संकट में है." बता दें, शेली ओबेरॉय ने रविवार को पूरी दिल्ली, खासकर पश्चिमी जोन और मध्य जोन में कूड़ा निस्तारण की "बिगड़ती स्थिति" को लेकर एमसीडी कमिश्नर की आलोचना की और उन्हें कचरे का बेहतर संग्रह और निकासी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया.

मेयर ने दैनिक निरीक्षण करने का दिया आदेशः उन्होंने पत्र में कहा कि पिछले कुछ दिनों से इन इलाकों में कूड़ा संग्रह अनियमित है, जिसके परिणामस्वरूप सड़कों और कूड़ेदानों पर कूड़ा जमा हो गया है. ओबेरॉय ने कहा कि सड़ते हुए कचरे से आने वाली बदबू असहनीय है. उन्होंने इस बारे में कई बार कमिश्नर को अवगत कराया है, लेकिन कुछ नहीं हुआ. पत्र में उन्होंने एमसीडी कमिश्नर को 20 अगस्त से 2 सितंबर तक एमसीडी के 12 क्षेत्रों में उचित सफाई और स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए दैनिक निरीक्षण के लिए उनके साथ जाने का निर्देश दिया.

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ओबेरॉय ने कहा था, "कचरा संग्रहण और निपटान एमसीडी कमिश्नर की व्यक्तिगत जिम्मेदारी होगी, जो शहर के किसी भी हिस्से में किसी भी तरह की अस्वच्छ स्थिति के लिए जिम्मेदार होंगे." एक अधिकारी के अनुसार, मध्य दिल्ली क्षेत्र में कचरा निपटान रियायतकर्ता की विस्तारित अनुबंध अवधि 25 जुलाई को समाप्त हो गई. पश्चिमी दिल्ली क्षेत्र में, नगर निकाय को किराए पर ली गई एजेंसी के साथ भुगतान संबंधी मुद्दों का सामना करना पड़ रहा है. 5 करोड़ रुपये और उससे अधिक के व्यय वाले प्रस्तावों को स्थायी समिति की मंजूरी की आवश्यकता होती है, जो लगभग 1.5 वर्षों से लंबित है."

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Last Updated : Aug 19, 2024, 8:13 PM IST
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