नई दिल्ली: दिल्ली नगर निगम के 12 जोन के चेयरमैन, डिप्टी चेयरमैन और स्टैंडिंग कमेटी के मेंबर के चुनाव, राजनीतिक और प्रशासनिक खींचतान के बाद संपन्न हो गए. एमसीडी में विपक्ष में बैठी बीजेपी सात सीटों पर कब्जा करने में कामयाब हुई, तो सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी पांच जोन में ही सिमटकर रह गई. इन वार्ड कमेटियों के चुनाव के बाद निगम इतिहास में यह पहली बार हुआ है, जब जोन के इन तीनों पदों का चुनाव डिप्टी कमिश्नर्स ने बतौर पीठासीन अधिकारी करवाया. निगम के गठन के बाद से अब तक पीठासीन अधिकारी वरिष्ठ पार्षद ही नॉमिनेट होते आए हैं.
उपराज्यपाल ने किया हस्तक्षेप: विभिन्न निगम जोन के चुनाव में सिर्फ डिप्टी कमिश्नर्स को पीठासीन अधिकारी नियुक्त करना ही नहीं किया गया, बल्कि चुनाव कराने के लिए केंद्र सरकार और उपराज्यपाल को हस्तक्षेप कर आदेश जारी करना पड़ा. ऐसा भी पहली बार हुआ. आमतौर पर निगम सचिव की तरफ से चुनाव प्रक्रिया का शेड्यूल जारी किया जाता है और उस निर्धारित प्रक्रिया में ही यह सबकुछ संपन्न होता है. पहली बार ऐसा हुआ कि सभी 12 जोन के चुनाव कराने के लिए नियुक्त किए जाने वाले पीठासीन अधिकारी की घोषणा करने से मेयर शैली ओबरॉय ने इनकार कर दिया. इससे पहले निगम के वार्ड कमेटियों के चुनाव को लेकर ऐसा वाकया कभी सामने नहीं आया.
असमंजस की स्थिति पैदा हुई: मेयर के इस फैसले के बाद 4 सितंबर को इस चुनाव को लेकर असमजंस की स्थिति पैदा हो गई थी. इसके बाद पहली बार केंद्र सरकार के आदेश के बाद उपराज्यपाल ने अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए प्रशासनिक अधिकारियों को जोनल चुनाव कराने को ठासीन अधिकारी नियुक्त किया. उपराज्यपाल वीके सक्सेना की ओर से सभी जोनों के निगम उपायुक्तों को पीठासीन अधिकारी नियुक्त किया गया जोकि चौंकाने वाला तो रहा, लेकिन राजनीतिक संकट से निपटने के लिए जरूरी भी माना गया.
पहली बार की गई लाइव स्ट्रीमिंग: दरअसल मेयर शैली ओबरॉय के इनकार करने से पहले एमसीडी इन 12 जोनों के चुनाव कराने के लिए पूरी तैयारी कर जा चुकी थी. एमसीडी की तरफ से इन चुनावों को यूट्यूब चैनल के जरिए वेबकास्ट भी किया गया. अभी तक इन चुनावों की लाइव स्ट्रीमिंग कभी नहीं की गई थी.
एमसीडी के पूर्व अधिकारी ने कही ये बात: मामले पर जब दिल्ली नगर निगम के पूर्व प्रेस एवं सूचना निदेशक योगेंद्र मान से बात की गई, तो उन्होंने बताया कि तीन दशक से ज्यादा समय तक एमसीडी में रहने के दौरान उन्होंने ऐसा वाकया पहले कभी नहीं देखा. उन्होंने कहा कि निगम में एक व्यवस्था है, जिसका अनुपालन करना होता है. आमतौर पर पीठासीन अधिकारी वरिष्ठ पार्षद नियुक्त किए जाते हैं और वह ही सभी जोनों के चुनाव करवाते हैं. लेकिन पहली बार अलग व्यवस्था देखी गई.
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उन्होंने बताया कि दिल्ली की मेयर डॉ. शैली ओबरॉय का जोन के तीनों पदों के चुनाव कराने की तारीख से कुछ घंटे पहले पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति से इनकार करना सही नहीं है. अगर उनको निगम सचिवालय की ओर से जारी शेड्यूल पर आपत्ति थी, तो नॉमिनेशन की प्रक्रिया संपन्न होने से पहले जताई जाती. अब चुनाव से पहले पीठासीन अधिकारी यह कहकर मना करना कि नॉमिनेशन के लिए वक्त नहीं दिया गया, यह पीठासीन अधिकारी नियुक्त करने से इनकार करने की सही दलील नहीं है.
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