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गणेश पूजन के साथ शुरू हुआ भगवान जगन्नाथ रथयात्रा महोत्सव, 17 को होगी वरमाला - Jagannath Rath Yatra

अलवर में भगवान जगन्नाथ रथयात्रा महोत्सव की शुरुआत हो गई है. भगवान जगन्नाथ के रथ यात्रा महोत्सव का 17 दिवसीय कार्यक्रम का गुरुवार को सुबह 8:30 बजे पुराना कटला सुभाष चौक स्थित जगन्नाथ मंदिर में गणेश पूजन के साथ शुभारंभ हो गया.

जगन्नाथ रथयात्रा महोत्सव
जगन्नाथ रथयात्रा महोत्सव (ETV Bharat Alwar)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jul 4, 2024, 3:44 PM IST

भगवान जगन्नाथ रथयात्रा महोत्सव (ETV Bharat Alwar)

अलवर. जन-जन के आराध्य कहे जाने वाले भगवान जगन्नाथ रथयात्रा महोत्सव अलवर में गुरुवार को गणेश पूजन के साथ विधिवत रूप से शुरू हो गया. रथ यात्रा महोत्सव के लिए मंदिर व मेला समिति की ओर से पूरी तैयारी कर ली गई है. अलवर शहर में निकलने वाली इस भव्य रथ यात्रा का सभी शहारवासी ही नहीं बल्कि जिले वासियों को भी इंतजार रहता है. जगन्नाथ मंदिर के महंत पुष्पेंद्र शर्मा ने बताया कि भगवान जगन्नाथ के रथ यात्रा महोत्सव का 17 दिवसीय कार्यक्रम का गुरुवार को सुबह 8:30 बजे पुराना कटला सुभाष चौक स्थित जगन्नाथ मंदिर में गणेश पूजन के साथ ही शुभारंभ हो गया. गणेश पूजन में 11 पंडितों द्वारा मंत्रों का जाप कर भगवान गणेश को न्यौता दिया गया.

पुष्पेंद्र शर्मा ने बताया कि 17 दिवसीय रथ यात्रा महोत्सव के दौरान 21 जुलाई तक विभिन्न कार्यक्रमों का दौर जारी रहेगा. उन्होंने कहा कि भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा 15 जुलाई और माता जानकी की रथ यात्रा 17 जुलाई को रूपबास स्थित रूपहरि मंदिर पहुंचेगी, जहां 17 जुलाई को रात्रि 10 बजे वरमाला महोत्सव का आयोजन होगा. इससे पहले 14 जुलाई को सीताराम जी की सवारी रूपहरि मंदिर पहुंचेगी. ऐसी मान्यता है कि रूपहरि मंदिर पहुंचकर सीताराम जी वरमाला महोत्सव की तैयारी को अंतिम रूप देते हैं और भगवान जगन्नाथ की अगवानी करते हैं.

इसे भी पढ़ें- भगवान का हुआ 108 कलशों से पंचामृत अभिषेक, 15 दिन तक गर्भ गृह में गए भगवान जगन्नाथ - ALWAR JAGANNATH RATH YATRA 2024

विधिवत रूप से होंगे सभी कार्यक्रम संपूर्ण : पुष्पेंद्र शर्मा ने बताया कि गुरुवार को गणेश पूजन के साथ रथ यात्रा महोत्सव की शुरुआत हुई. इसके बाद भगवान को कंगन डोरा बांधना, जगन्नाथ का भात, महिला संगीत, बारात की विदाई, वर वधु के पाणिग्रहण संस्कार, बारात की विदाई एवं वधू की मुंह दिखाई आदि रसमें विधि-विधान के साथ निभाई जाएंगी. पुष्पेंद्र शर्मा ने बताया कि 7 जुलाई को भगवान का दोज पूजन किया जाएगा. इसी दिन भगवान जगन्नाथ को कंगन डोरे बांधे जाएंगे. महंत पुष्पेंद्र शर्मा ने बताया कि भगवान जगन्नाथ को इंदौर से आई मौली का डोरा बांध गया. दुबई व कन्नौज की इत्र से श्रृंगार किया गया. यह सभी चीज मेले को देखते हुए भक्तों की ओर से भगवान के लिए भेंट की गई हैं.

भगवान जगन्नाथ रथयात्रा महोत्सव (ETV Bharat Alwar)

अलवर. जन-जन के आराध्य कहे जाने वाले भगवान जगन्नाथ रथयात्रा महोत्सव अलवर में गुरुवार को गणेश पूजन के साथ विधिवत रूप से शुरू हो गया. रथ यात्रा महोत्सव के लिए मंदिर व मेला समिति की ओर से पूरी तैयारी कर ली गई है. अलवर शहर में निकलने वाली इस भव्य रथ यात्रा का सभी शहारवासी ही नहीं बल्कि जिले वासियों को भी इंतजार रहता है. जगन्नाथ मंदिर के महंत पुष्पेंद्र शर्मा ने बताया कि भगवान जगन्नाथ के रथ यात्रा महोत्सव का 17 दिवसीय कार्यक्रम का गुरुवार को सुबह 8:30 बजे पुराना कटला सुभाष चौक स्थित जगन्नाथ मंदिर में गणेश पूजन के साथ ही शुभारंभ हो गया. गणेश पूजन में 11 पंडितों द्वारा मंत्रों का जाप कर भगवान गणेश को न्यौता दिया गया.

पुष्पेंद्र शर्मा ने बताया कि 17 दिवसीय रथ यात्रा महोत्सव के दौरान 21 जुलाई तक विभिन्न कार्यक्रमों का दौर जारी रहेगा. उन्होंने कहा कि भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा 15 जुलाई और माता जानकी की रथ यात्रा 17 जुलाई को रूपबास स्थित रूपहरि मंदिर पहुंचेगी, जहां 17 जुलाई को रात्रि 10 बजे वरमाला महोत्सव का आयोजन होगा. इससे पहले 14 जुलाई को सीताराम जी की सवारी रूपहरि मंदिर पहुंचेगी. ऐसी मान्यता है कि रूपहरि मंदिर पहुंचकर सीताराम जी वरमाला महोत्सव की तैयारी को अंतिम रूप देते हैं और भगवान जगन्नाथ की अगवानी करते हैं.

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विधिवत रूप से होंगे सभी कार्यक्रम संपूर्ण : पुष्पेंद्र शर्मा ने बताया कि गुरुवार को गणेश पूजन के साथ रथ यात्रा महोत्सव की शुरुआत हुई. इसके बाद भगवान को कंगन डोरा बांधना, जगन्नाथ का भात, महिला संगीत, बारात की विदाई, वर वधु के पाणिग्रहण संस्कार, बारात की विदाई एवं वधू की मुंह दिखाई आदि रसमें विधि-विधान के साथ निभाई जाएंगी. पुष्पेंद्र शर्मा ने बताया कि 7 जुलाई को भगवान का दोज पूजन किया जाएगा. इसी दिन भगवान जगन्नाथ को कंगन डोरे बांधे जाएंगे. महंत पुष्पेंद्र शर्मा ने बताया कि भगवान जगन्नाथ को इंदौर से आई मौली का डोरा बांध गया. दुबई व कन्नौज की इत्र से श्रृंगार किया गया. यह सभी चीज मेले को देखते हुए भक्तों की ओर से भगवान के लिए भेंट की गई हैं.

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