ETV Bharat / state

यूपी की लोकसभा सीटों पर जो जीता वो सिकंदर, बाकी की जमानत 'अंदर' - Lok Sabha Election 2024

Candidate Security Deposit: लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी को कितनी जमा करनी होती है जमानत राशि, कम से कम कितने वोट मिलने पर जमानत राशि वापस हो सकती है, कितने पर जब्त हो जाती है, आईए जानते हैं इन्हीं सवालों के जवाब.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Apr 23, 2024, 2:05 PM IST

प्रयागराज: Candidate Security Deposit: लोकसभा चुनाव को लेकर एक खास बात यूपी से सामने आई है. इतिहास पर नजर डालें तो यूपी की 80 लोकसभा सीटों पर अब तक जो चुनाव हुए हैं, उनमें जो जीता वो तो सिकंदर होता है लेकिन, बाकी ज्यादतर की जमानत राशि जब्त हो जाती है.

यूपी में लोकसभा चुनाव लड़ने वाले ज्यादातर प्रत्याशी अपनी जमानत जब्त करवा लेते हैं. आजादी के बाद से अब तक हुए ज्यादातर चुनावों में उम्मीदवारों की जमानत जब्त होती रही है. 2019 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की 80 सीटों पर कुल 979 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे थे जिसमें से 819 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गयी थी.

लोकसभा विधानसभा समेत कई चुनाव में प्रत्याशियों को चुनाव लड़ने के लिए जमानत राशि जमा करवाई जाती है. चुनाव में लड़ने वाले सभी प्रत्याशियों को नामांकन के दौरान जमानत राशि जमा करनी होती है. चुनाव में जीतने वाले प्रत्याशी के छठवें हिस्से के बराबर वोट पाने वाले व्यक्ति की ही जमानत राशि बचती है.

बाकी सभी की जमानत राशि जब्त हो जाती है. यूपी में जमानत जब्त होने वालों में सबसे ज्यादा संख्या निर्दलीय प्रत्याशियों की रही है. उसके बाद क्षेत्रीय दल और पंजीकृत गैर मान्यता प्राप्त दलों की संख्या रही है.

लोकसभा चुनाव में उतरने वाले नेताओं में से ज्यादातर को जनता इतना भी पसंद नहीं करती कि वो अपनी जमानत तक बचाने भर के बराबर वोट हासिल कर पाएं. 1951 के पहले लोकसभा चुनाव से लेकर अब तक ज्यादातर नेताओं की जमानत जब्त होने का सिलसिला लगातार जारी है.

बात करें तो अभी तक हुए सभी चुनाव में 1996 के चुनाव में सबसे ज्यादा 92.87 प्रतिशत नेताओं की जमानत जब्त हुई थी. जबकि 1957 में हुए लोकसभा चुनाव में सबसे कम 30.13 प्रतिशत प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई थी.

यही नहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में तो देश भर के 85.95 फीसदी नेताओं की जमानत जब्त हो गयी थी. 543 लोकसभा सीटों के लिए कुल 8054 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे थे, जिसमें से 6923 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गयी थी.

पिछले लोकसभा चुनाव में मैदान में उतरे 8054 प्रत्याशियों में से 1454 प्रत्याशी राष्ट्रीय पार्टियों के रहे, जिनमें से 670 प्रत्याशी की जमानत जब्त हो गयी थी. इसी तरह से निर्दलीय चुनाव लड़े 3461 में से 3449 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई थी.

2019 के लोकसभा चुनाव में 979 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे थे जिसमें से 819 प्रत्याशी यानी 83.65 प्रत्याशी अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए थे. इसी प्रकार से 2014 के चुनाव में 1288 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे थे जिसमें से 1087 प्रत्याशियों 84.39 प्रतिशत की जमानत जब्त हो गयी थी.

ऐसे ही 2009 के चुनाव में 1368 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे थे, जिसमें से 1155 प्रत्याशी 84.42 प्रतिशत नेता चुनाव में अपनी जमानत नहीं बचा पाए.जबकि 2004 के लोकसभा चुनाव में 1138 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे थे जिसमें से 907 प्रत्याशी 79.70 प्रतिशत उम्मीदवार चुनाव हार गए थे.

वहीं प्रयागराज की दोनों सीटों पर चुनाव लड़ने वाले विजेता और उपविजेता के साथ एक ही प्रत्याशी जमानत बचा पाते हैं जबकि ज्यादातर चुनावों में सिर्फ विजेता और उपविजेता की ही जमानत बच पाती है.

भारत निर्वाचन आयोग के मुताबिक हर चुनाव के लिए जमानत राशि जमा करना अनिवार्य है. यह एक नियम के तहत है. बिना जमानत राशि के नामांकन मान्य नहीं माना जाता है. सामान्य और आरक्षित वर्ग के लिए जमानत की राशि अलग-अलग तय की गयी है.

जमानत की राशि निर्वाचन आयोग द्वारा तय की जाती है. इन दिनों चल रहे लोकसभा चुनाव 2024 के लिए एससी एसटी कैटेगरी के लिए जहां जमानत राशि 12,500 रुपए है. वहीं अन्य वर्ग के लिए यह जमानत राशि 25000 रुपए है.

इसी प्रकार से विधानसभा चुनाव के लिए सामान्य वर्ग के उम्मीदवार को जहां 10,000 रुपये जमानत राशि के रूप में जमा करने पड़ते हैं. वहीं एससी एसटी वर्ग के उम्मीदवारों के लिए यह रकम 5000 रुपये तय की गई है.

राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के लिए जमानत की राशि एक समान रखी गई है. राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव लड़ने वाले हर उम्मीदवार को जमानत राशि के रूप में 15,000 रुपये जमा करने पड़ते हैं. यह जमानत राशि चुनाव जीतने वाले प्रत्याशी को मिले वोट के छठवे भाग 16.6% के बराबर वोट न पाने पर जब्त कर ली जाती है.

ये भी पढ़ेंः सपा के गढ़ कन्नौज में लालू के दामाद की दहाड़ को क्या शांत कर पाएगी बीजेपी?

प्रयागराज: Candidate Security Deposit: लोकसभा चुनाव को लेकर एक खास बात यूपी से सामने आई है. इतिहास पर नजर डालें तो यूपी की 80 लोकसभा सीटों पर अब तक जो चुनाव हुए हैं, उनमें जो जीता वो तो सिकंदर होता है लेकिन, बाकी ज्यादतर की जमानत राशि जब्त हो जाती है.

यूपी में लोकसभा चुनाव लड़ने वाले ज्यादातर प्रत्याशी अपनी जमानत जब्त करवा लेते हैं. आजादी के बाद से अब तक हुए ज्यादातर चुनावों में उम्मीदवारों की जमानत जब्त होती रही है. 2019 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की 80 सीटों पर कुल 979 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे थे जिसमें से 819 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गयी थी.

लोकसभा विधानसभा समेत कई चुनाव में प्रत्याशियों को चुनाव लड़ने के लिए जमानत राशि जमा करवाई जाती है. चुनाव में लड़ने वाले सभी प्रत्याशियों को नामांकन के दौरान जमानत राशि जमा करनी होती है. चुनाव में जीतने वाले प्रत्याशी के छठवें हिस्से के बराबर वोट पाने वाले व्यक्ति की ही जमानत राशि बचती है.

बाकी सभी की जमानत राशि जब्त हो जाती है. यूपी में जमानत जब्त होने वालों में सबसे ज्यादा संख्या निर्दलीय प्रत्याशियों की रही है. उसके बाद क्षेत्रीय दल और पंजीकृत गैर मान्यता प्राप्त दलों की संख्या रही है.

लोकसभा चुनाव में उतरने वाले नेताओं में से ज्यादातर को जनता इतना भी पसंद नहीं करती कि वो अपनी जमानत तक बचाने भर के बराबर वोट हासिल कर पाएं. 1951 के पहले लोकसभा चुनाव से लेकर अब तक ज्यादातर नेताओं की जमानत जब्त होने का सिलसिला लगातार जारी है.

बात करें तो अभी तक हुए सभी चुनाव में 1996 के चुनाव में सबसे ज्यादा 92.87 प्रतिशत नेताओं की जमानत जब्त हुई थी. जबकि 1957 में हुए लोकसभा चुनाव में सबसे कम 30.13 प्रतिशत प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई थी.

यही नहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में तो देश भर के 85.95 फीसदी नेताओं की जमानत जब्त हो गयी थी. 543 लोकसभा सीटों के लिए कुल 8054 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे थे, जिसमें से 6923 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गयी थी.

पिछले लोकसभा चुनाव में मैदान में उतरे 8054 प्रत्याशियों में से 1454 प्रत्याशी राष्ट्रीय पार्टियों के रहे, जिनमें से 670 प्रत्याशी की जमानत जब्त हो गयी थी. इसी तरह से निर्दलीय चुनाव लड़े 3461 में से 3449 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई थी.

2019 के लोकसभा चुनाव में 979 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे थे जिसमें से 819 प्रत्याशी यानी 83.65 प्रत्याशी अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए थे. इसी प्रकार से 2014 के चुनाव में 1288 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे थे जिसमें से 1087 प्रत्याशियों 84.39 प्रतिशत की जमानत जब्त हो गयी थी.

ऐसे ही 2009 के चुनाव में 1368 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे थे, जिसमें से 1155 प्रत्याशी 84.42 प्रतिशत नेता चुनाव में अपनी जमानत नहीं बचा पाए.जबकि 2004 के लोकसभा चुनाव में 1138 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे थे जिसमें से 907 प्रत्याशी 79.70 प्रतिशत उम्मीदवार चुनाव हार गए थे.

वहीं प्रयागराज की दोनों सीटों पर चुनाव लड़ने वाले विजेता और उपविजेता के साथ एक ही प्रत्याशी जमानत बचा पाते हैं जबकि ज्यादातर चुनावों में सिर्फ विजेता और उपविजेता की ही जमानत बच पाती है.

भारत निर्वाचन आयोग के मुताबिक हर चुनाव के लिए जमानत राशि जमा करना अनिवार्य है. यह एक नियम के तहत है. बिना जमानत राशि के नामांकन मान्य नहीं माना जाता है. सामान्य और आरक्षित वर्ग के लिए जमानत की राशि अलग-अलग तय की गयी है.

जमानत की राशि निर्वाचन आयोग द्वारा तय की जाती है. इन दिनों चल रहे लोकसभा चुनाव 2024 के लिए एससी एसटी कैटेगरी के लिए जहां जमानत राशि 12,500 रुपए है. वहीं अन्य वर्ग के लिए यह जमानत राशि 25000 रुपए है.

इसी प्रकार से विधानसभा चुनाव के लिए सामान्य वर्ग के उम्मीदवार को जहां 10,000 रुपये जमानत राशि के रूप में जमा करने पड़ते हैं. वहीं एससी एसटी वर्ग के उम्मीदवारों के लिए यह रकम 5000 रुपये तय की गई है.

राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के लिए जमानत की राशि एक समान रखी गई है. राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव लड़ने वाले हर उम्मीदवार को जमानत राशि के रूप में 15,000 रुपये जमा करने पड़ते हैं. यह जमानत राशि चुनाव जीतने वाले प्रत्याशी को मिले वोट के छठवे भाग 16.6% के बराबर वोट न पाने पर जब्त कर ली जाती है.

ये भी पढ़ेंः सपा के गढ़ कन्नौज में लालू के दामाद की दहाड़ को क्या शांत कर पाएगी बीजेपी?

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.