पटनाः 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर बिहार में चुनाव प्रचार जोर पकड़ने लगा है, खासकर जिन सीटों पर जहां पहले या दूसरे चरण में वोटिंग होनी है. गुरुवार को जमुई में चुनावी रैली के जरिये पीएम ने भी NDA के चुनावी अभियान का आगाज कर ही दिया. इस बीच कई सीटों पर हो रहा प्रचार चर्चा में है क्योंकि इन सीटों पर परिवार के लोगों ने ही अपनों को जिताने का जिम्मा उठाया है.
मंत्री संतोष मांझी ने संभााली पिता जीतनराम मांझी के प्रचार की कमानः गया लोकसभा सीट पर पहले ही चरण में 19 अप्रैल को वोटिंग होनी है. नामांकन संपन्न हो चुका है और यहां NDA के जीतनराम मांझी की टक्कर महागठबंधन के कुमार सर्वजीत से है. गया से NDA कैंडिडेट जीतनराम मांझी के प्रचार की कमान संभाल रखी है उनके बेटे और बिहार सरकार में मंत्री संतोष कुमार सुमन ने जो अपने पिता की जीत के लिए इलाके में लगातार जनसंपर्क कर रहे हैं.
बेटी शांभवी के लिए प्रचार में जुटे अशोक चौधरीः वैसे तो समस्तीपुर लोकसभा सीट पर चौथे चरण में 13 मई को वोट डाले जाएंगे, लेकिन यहां चुनाव प्रचार जोर पकड़ चुका है. समस्तीपुर से NDA के बैनर तले एलजेपीआर के टिकट पर शांभवी चौधरी चुनाव लड़ रही हैं, जिनके चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी उनके पिता अशोक चौधरी ने संभाल रखी है. पहली बार चुनाव लड़ रही शांभवी की जीत सुनिश्चित करने के लिए बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी समस्तीपुर में ही कैंप कर रहे हैं.
रोहिणी के प्रचार की कमान सुनील सिंह के हाथः वहीं सारण लोकसभा सीट से किस्मत आजमा रहीं लालू की बेटी रोहिणी आचार्य के प्रचार की कमा संभाल रखी है राबड़ी देवी के मुंहबोले भाई एमएलसी सुनील कुमार सिंह ने. सुनील सिंह का कहना है कि सारण में कोई लड़ाई नहीं है. रोहिणी आचार्य को लेकर पूरे क्षेत्र में आकर्षण है. जनता इन्हें पसंद कर रही है इसलिए चुनाव जीतने में कोई दिक्कत नहीं है.
लवली के लिए बेटे चेतन आनंद प्रचार में जुटेः शिवहर लोकसभा सीट पर इस बार बाहुबली आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद जेडीयू के टिकट पर चुनाव लड़ रही है और लवली आनंद को जिताने का जिम्मा उनके विधायक बेटे चेतन आनंद ने उठाया है. चेतन आनंद लगातार पूरे लोकसभा क्षेत्र में जनसंपर्क कर रहे हैं और मां लवली आनंद को जिताने की अपील कर रहे हैं.
'अब कार्यकर्ताओं पर नहीं रहा भरोसा' !: परिवार के लिए प्रचार के मामले पर पटना विश्वविद्यालय के राजनीतिशास्त्र के प्रोफेसर चंद्रभूषण राय का कहना है कि "बदलते समय के साथ राजनीति में लगातार बदलाव हो रहे हैं. पहले नेताओं को कार्यकर्ताओं और साथियों पर विश्वास होता था लेकिन राजनीति में भी कॉरपोरेट कल्चर आने के बाद अब कार्यकर्ताओं की जगह अभिकर्ताओं ने ली ली है."
'बीजेपी-लेफ्ट में कार्यकर्ताओं पर भरोसा': इस मामले पर बीजेपी नेताओं की राय अलग है. बीजेपी के प्रवक्ता रामसागर सिंह का दावा है कि "इसमें कोई शक नहीं कि राजनीतिक क्षेत्र में विश्वसनीयता घटी है लेकिन अभी भी बीजेपी और लेफ्ट पार्टियों में कार्यकर्ताओं का ही बोलबाला है. यही कारण है कि इन पार्टियों में चुनाव प्रचार की कमान कार्यकर्ताओं के पास ही होती है."
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