भागलपुर: बिहार में आगामी लोकसभा चुनाव की सुगबुगाहट तेज हो चुकी है. राजनीतिक पार्टियों के नेताओं ने चुनावी तैयारी भी शुरू कर दी है. वहीं सियासी गलियारों में लोकसभा सीटों के इतिहास और समीकरण पर भी चर्चा तेज हो चुकी है. वहीं भागलपुर में रणनीति बननी शुरू हो गई है. इसमें चाहे एनडीए के नेता हो या फिर विपक्षी दल इंडिया गठबंधन के नेता लगातार बयानबाजी का दौर जारी है. एनडीए से यह सीट एक बार फिर से जदयू के खाते में गई है तो महागठबंधन में सीट कांग्रेस के खाते में गई है.
भागलपुर लोकसभा सीट का इतिहास: भागलपुर लोकसभा सीट पर 26 अप्रैल को दूसरे चरण में मतदान होगा. वर्तमान में इस सीट से जदयू के अजय कुमार मंडल सांसद हैं और इस बार भी इन्हें ही मैदान में उतारा गया है. वहीं महागठबंधन में यह सीट कांग्रेस के खाते में गई है और कांग्रेस ने अजीत शर्मा को मैदान में उतारा है. भागलपुर लोकसभा सीट के चुनावी सफर की बात करें तो कांग्रेस का ही दबदबा देखने को मिलता था, लेकिन 1990 के बाद समीकरण पूरी तरह से बदल गए हैं. बीजेपी, जनता दल और जेडीयू उम्मीदवारों ने कई चुनाव जीते हैं. यहां के पहले एमपी बनारसी प्रसाद झुनझुनवाला थे. कांग्रेस की टिकट पर 1957 में झुनझुनवाला ने चुनाव लड़ा और जीता था.
बिहार के सबसे पुराने जिलों में शामिल: बता दें कि भागलपुर की पहचान काफी पुरानी रही है. भागलपुर को अंग प्रदेश की राजधानी के रूप में जाना जाता था. यह यह क्षेत्र अपनी सिल्क को लेकर पूरे विश्व में विख्यात है. आपको बता दें कि भागलपुर में तसर सिल्क का उत्पादन किया जाता है. पूर्व में बिहार के सीएम रहे भगवत झा आजाद की भागलपुर कर्मभूमि भी रही है. वह भागलपुर में करीब 5 बार सांसद रह चुके हैं.
भागलपुर.. एक भी फूड प्रोसेसिंग यूनिट नहीं: बता दें कि भागलपुर के क्षेत्र में कोशी एवं गंगा नदी का संगम भी होता है. इलाके में केला, मकई एवम आम का भरपूर उत्पादन होता है लेकिन अभी तक भागलपुर में एक भी फूड प्रोसेसिंग यूनिट नहीं लग पाया है. भागलपुर को स्मार्ट सिटी में चयनित जरूर किया गया है लेकिन अब तक कुछ खास भागलपुर को नहीं मिल पाया है.
सीट पर कब किसका कब्जा: 1957 से 1977 तक इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा. 1977 में सीट बीजेपी के खाते में चली गई. वहीं 1980 से 1989 तक फिर से कांग्रेस ने अपनी पकड़ बना ली. साल 1998 में भागलपुर लोकसभा सीट पर बीजेपी ने कब्जा किया. 2004 में बीजेपी के सुशील कुमार मोदी ने सीपीआईएम के सुबोध रॉय को हराया. वहीं 2009 में आरजेडी के शकुनी चौधरी की हार हुई और बीजेपी प्रत्याशी के तौर पर सैयद शाहनवाज हुसैन की जीत हुई. लेकिन 2014 में मोदी लहर के बावजूद सीट बीजेपी के हाथ से निकल गई और आरजेडी के शैलेश कुमार मंडल की जीत हुई. 2019 में जेडीयू के अजय कुमार मंडल ने सीट पर कब्जा किया और आरजेडी के शैलेश कुमार को हराया.
मतदाताओं की संख्या: भागलपुर लोकसभा सीट में सरकारी आंकड़ों के हिसाब से पुरुषों की संख्या 1207575, महिलाओं की संख्या 1122971 और थर्ड जेंडर की संख्या 132 है. वहीं हम बात करें नए युवा वोटरों की तो 36803 वोटर नए बने हैं. जिले में कुल वोटरों की संख्या करीब 2330678 है.
राजनीतिक पार्टियों के आंकड़े: वहीं राजनीतिक पार्टियों से मिले आंकड़ों के हिसाब से मुस्लिम मतदाता 3 लाख एवं यादव समाज के मतदाता भी 3 लाख हैं. वहीं गंगोटा 2 लाख, वैश्य डेढ़ लाख, सवर्ण समाज से ढाई लाख मतदाता हैं. वहीं कुशवाहा समाज डेढ़ लाख, पिछड़ा एवं महादलित की संख्या भी 3 लाख के करीब है.
6 विधानसभा क्षेत्र: बता दें कि भागलपुर लोकसभा सीट पर अब तक यादवों और मुसलमानों के गठबंधन के बाद एक ही बार राजद को जीतने का मौका मिला है. भागलपुर लोकसभा में कुल 6 विधानसभा क्षेत्र हैं जिसमें बिहपुर, गोपालपुर, पीरपैंती, कहलगांव, भागलपुर एवं नाथनगर है.
"विकास और सम्मान के आधार पर वोटिंग किया जाएगा. दोनों प्रत्याशी में कोई टक्कर नहीं है. अजय मंडल की जीत मोदी जी के नाम पर हो जाएगी. हिंदुस्तानी दब्बू बनकर रह रहे थे उनको मोदी ने जुबान दी. हिंदुत्व को महत्व दिया गया. लोगों के डर को दूर किया गया. भागलपुर लोकसभा क्षेत्र में बहुत विकास हुआ है."- सुभाष शर्मा, मतदाता
NDA Vs इंडिया गठबंधन : इस बार लोकसभा चुनाव में INDIA बनाम NDA का दिलचस्प मुकाबला होने जा रहा है. भागलपुर की जनता की मिली जुली प्रतिक्रिया सामने आई है. कुछ मतदाता एनडीए के सपोर्ट में हैं तो कुछ कांग्रेस प्रत्याशी अजीत शर्मा को लोकल और अच्छे नेता मानते हैं. ऐसे में इस सीट पर मुकाबला काफी दिलचस्प होने जा रहा है.
"पूरे हिंदुस्तान में मोदी जी के नाम पर चुनाव होगा, मोदीजी वर्सेस ऑल होगा. विपक्ष एकत्रित हो रहे हैं लेकिन जनता समझ चुकी है कि देश का सपूत कौन है. देश में एक ही चेहरा मोदीजी का है."- स्थानीय निवासी
'बीजेपी की जीत होगी': वहीं स्थानीय निवासी ओमप्रकाश कहना है कि विकास के मुद्दे पर चुनाव होगा. बीजेपी की जीत सुनिश्चित है. भागलपुर से कांग्रेस का जीतना असंभव है. अजीत शर्मा की जीत असंभव है.
"अजय मंडल और अजीत शर्मा के बीच टक्कर होगी. अजय मंडल दो बार विधायक और एक बार सांसद रहे हैं. जो कहते हैं कि अजय मंडल क्षेत्र में नहीं दिखते वो झूठ बोलते हैं. वह बहुत अच्छे व्यक्ति हैं. कोई हावी नहीं होगा. मोदी के दूत के रूप में अजय मंडल हैं."- मतदाता
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