नई दिल्ली: सोशल मीडिया में अपनी पहुंच बढ़ाने और इसके प्रबंधन के लिए उपराज्यपाल सचिवालय एक सोशल मीडिया एजेंसी को नियुक्त करने की प्रक्रिया में है. उपराज्यपाल सचिवालय के अनुसार, ये एजेंसी आम जनता से जुड़े अत्यंत महत्वपूर्ण विषयों से निपटता है, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ आवास, बुनियादी ढांचे का विकास, शहर का उन्नयन और कानून व्यवस्था, सुरक्षा और पुलिस व्यवस्था शामिल है.
दरअसल, हरित स्थलों का विकास, विरासत स्थलों और इमारतों के जीर्णोद्धार, नालों की सफाई, यातायात, पार्किंग प्रबंधन और प्रदूषण नियंत्रण, गांवों का विकास आदि जैसे कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट सीधे तौर पर उपराज्यपाल की देखरेख में चल रहे हैं, जिनमें जनता की भागीदारी और उनके फीडबैक की आवश्यकता होती है.
दिल्ली के विभिन्न शहरी निकायों, दिल्ली सरकार व दिल्ली की अन्य एजेंसियों और बड़े स्तर पर यहां के निवासियों के बीच समन्वय बनाने के लिए भी, यह सचिवालय एक फोरम के रूप में काम करता है. इन सभी कार्यों में दिल्ली की जनता के साथ लगातार बातचीत और विचार-विमर्श की आवश्यकता होती है. साथ ही ऐसे समय में, जब विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर अक्सर निहित स्वार्थ साधने के लिए कुछ लोगों द्वारा फर्जी खबरों और झूठ का प्रचार किया जाता है, तो यह आवश्यक हो जाता है कि सचिवालय द्वारा लोगों को सही जानकारी देकर, इससे सही तरीके से निपटा जाए.
सोशल मीडिया एजेंसी की नियुक्ति की निविदा, जिसकी राशि सालाना 1.5 करोड़ रुपए है, को संबंधित प्लेटफार्म पर पारदर्शी रूप से पोस्ट किया गया और ऐसा करने के लिए उपरोक्त उल्लिखित उद्देश्यों और कारणों को भी निविदा दस्तावेज में रेखांकित किया गया है. उपराज्यपाल सचिवालय ने, दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज द्वारा मंगलवार को प्रेस कांफ्रेंस कर दिए गए बयान और उसमें उनके द्वारा इस्तेमाल की गई भाषा पर कड़ी आपत्ति जताई है. उन्होंने जिन शब्दों का चयन अपने बयान में किया है, वह अनुचित, अपमानजनक और भ्रामक हैं. सचिवालय इस मामले में कानूनी कार्रवाई करेगा.
गौरतलब है कि मंगलवार को सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज की तरफ से एक बयान आया है. उपराज्यपाल सचिवालय का मानना है कि उस सरकार ने 2019-2023 के दौरान विज्ञापन पर जनता के 1900 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, जो अनुचित है. इस अवधि में महामारी के कारण दो साल का गंभीर वित्तीय संकट भी शामिल है. वर्ष 2023-2024 के लिए सरकार के प्रचार का बजट 557.24 करोड़ रुपये था. जबकि आप सरकार के 1900 करोड़ रुपये की तुलना में, पूर्व मुख्यमंत्री स्व. शीला दीक्षित के 2009-2010 से 2013-2014 के, 5 वर्षों के कार्यकाल के दौरान यह राशि मात्र 87.5 करोड़ रुपये थी.
- ये भी पढ़ें: 'अस्पतालों में डॉक्टर्स की नियुक्ति पर बहाना...'; मंत्री सौरभ भारद्वाज के आरोपों को LG ने बताया झूठा, शर्मनाक
इस सरकार ने, अपने नेता और अपनी राजनीतिक पार्टी (आप) के महिमामंडन के लिए, विज्ञापन पर प्रति माह औसतन 36 करोड़ रुपये और प्रति दिन 1.2 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. जबकि प्रदूषण, स्वास्थ्य और नागरिक बुनियादी ढांचे के मामले में, दिल्ली की नारकीय स्थिति सर्वविदित है. इस तरह के बयान उस सरकार के मंत्री की तरफ से आते हैं, जो केवल विज्ञप्ति जारी करने के लिए एक एजेंसी को प्रति माह 30 लाख रुपये (प्रति दिन एक लाख), अपने राजनीतिक कार्यक्रमों की लाइव स्ट्रीमिंग के लिए एक एजेंसी को सालाना 14 करोड़ रुपये, एक पीआर एजेंसी पर सालाना 4 करोड़ रुपये और सोशल मीडिया एजेंसी पर सालाना 2 करोड़ रुपये खर्च करती है.