कोटा. लोकसभा चुनाव में कोटा-बूंदी लोकसभा सीट पर इस बार पूरे देश की निगाहें हैं. लोकसभा अध्यक्ष और भाजपा प्रत्याशी ओम बिरला को कांग्रेस के प्रहलाद गुंजल टक्कर दे रहे हैं, जो 2 माह पहले भाजपा पार्टी के ही सदस्य थे. ऐसे में इस बार इस सीट पर कांटे की टक्कर देखी जा रही है. दोनों के बीच रोमांचक मुकाबला देखा जा सकता है. क्षेत्र के हर गांव- ढाणी, कस्बे-नगर, चाय की थड़ियों और चौपालों पर बस इसी बात की चर्चा है कि क्या ओम बिरला हैट्रिक लगा पाएंगे या इस सीट से नया चेहरा संसद पहुंचेगा. स्थानीय लोग बताते हैं कि ऐसा मुकाबला बीते 15 साल में कोटा-बूंदी लोकसभा क्षेत्र में नहीं हुआ है. दोनों ही कैंडिडेट काफी मजबूत हैं.
वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक धीतेंद्र शर्मा का कहना है कि दोनों चेहरे 21 साल पहले विधायक चुने गए थे. दोनों लंबे समय से हाड़ौती में राजनीति कर रहे हैं. गांव-ढाणी में दोनों ही मशहूर है. दोनों का प्रचार भी जोरो-शोरो से चल रहा है. ऐसे में हार जीत का अंतर सीमित रहना तय है.
15 दावेदार मैदान में, मुकाबला बिरला और गुंजल में : कोटा बूंदी लोकसभा सीट पर ओम बिरला और प्रहलाद गुंजल के अलावा बहुजन समाजवादी पार्टी से धनराज यादव, एकम संस्थान भारत दल से आशीष योगी, राइट टू रिकॉल पार्टी से तरुण गोचर, भारतीय जवान किसान पार्टी से बलदेव सिंह फौजी, निर्दलीय अब्दुल आसिफ चुनाव लड़ रहे हैं. इसी प्रकार ओम प्रकाश शाक्यवाल, कमल कुमार बैरवा, कैलाशी अनिल जैन, भंवर कुमार रावल, मोइनुद्दीन, रामनाथ मेहरा, लक्ष्मी चंद और सत्येंद्र कुमार जैन चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच देखा जा रहा है.
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मुस्लिम, मीणा, ब्राह्मण व गुर्जर मतदाताओं की भरमार : कोटा बूंदी लोकसभा सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 20.88 लाख है. इनमें पुरुष मतदाता 10.73 और महिला मतदाता 10.15 हैं, जबकि थर्ड जेंडर मतदाता 38 वोटर हैं. जातिगत समीकरण की बात की जाए तो सबसे ज्यादा मुस्लिम मतदाता करीब 2.70 लाख है. इसके बाद मीणा मतदाता 2.25 लाख और ब्राह्मण 2.05 लाख है. गुंजल खुद गुर्जर जाति से आते हैं. गुर्जर मतदाता भी इस सीट पर 1.90 लाख के आसपास है. ऐसे में अभी तक गुर्जर मतदाताओं को बीजेपी का कोर वोटर माना जाता रहा है. गुर्जर मतदाताओं की संख्या लाडपुरा, केशोरायपाटन, बूंदी और रामगंजमंडी विधानसभा में अधिक है.
ओबीसी वोटर्स का बड़ा तबका : कैटेगरी के अनुसार बात की जाए तो सबसे बड़ा तबका ओबीसी वर्ग का है. इसमें 5.80 लाख वोटर हैं, जिनमें सबसे बड़ा तबका गुर्जर वर्ग का 1.9 लाख है. इसके बाद माली 1.20 लाख और फिर 1.05 लाख धाकड़ मतदाता है. इसके अलावा कुम्हार, बंजारा, नाई, बैरागी, कश्यप, तेली, खाती, कुशवाहा, अहीर, यादव और जाट सहित कई जातियां हैं. दूसरे नंबर पर जनरल मतदाता 5.10 लाख है. इनमें 2.05 लाख ब्राह्मण मतदाता है. फिर वैश्य 1.15 लाख और राजपूत 1.10 लाख है. शेष में सिंधी, पंजाबी, कायस्थ और ईसाई है.
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4.6 लाख मतदाता अनुसूचित जाति के : तीसरे नंबर पर मतदाताओं की सबसे बड़ी तादाद अनुसूचित जाति की है. इनकी संख्या 4.6 लाख के आसपास है. इनमें 1.35 लाख बैरवा और 1.20 लाख मेघवाल वोटर हैं, जबकि अन्य जातियों में रैगर, नायक, मेहरा, धोबी, वाल्मीकि, कोली, लश्करी, बागड़ी और खटीक सहित कई जातियां हैं. अनुसूचित जनजाति के वोटर की बात की जाए तो 2.65 लाख है. इनमें सबसे बड़ी जाति मीणा 2.25 लाख है, इसके अलावा करीब 39 हजार के आसपास भील है, जबकि कुछ 200 से 300 के आसपास सहरिया मतदाता भी है.