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Rajasthan: जानिए 'पूंछरी के लौठा' की कहानी, जिनके मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा भी हैं अनन्य भक्त

आइए जानते हैं पूंछरी का लौठा से जुड़ी द्वापर युगीन कहानी और किवदंती.

'पूंछरी के लौठा' की कहानी
'पूंछरी के लौठा' की कहानी (ETV Bharat Bharatpur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 2 hours ago

भरतपुर : बृज क्षेत्र का कण-कण भगवान श्री कृष्ण के अवतार, उनकी लीलाओं का गवाह है. उत्तर प्रदेश और राजस्थान की सीमा में स्थित गोवर्धन पर्वत (गिरिराज जी) की सप्तकोशीय परिक्रमा लगाई जाती है. इसी परिक्रमा स्थल में एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल पूंछरी का लौठा भी स्थित है. पौराणिक महत्व के इस धार्मिक स्थल से हजारों-लाखों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है. इतना ही नहीं राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा भी पूंछरी का लौठा के अनन्य भक्त हैं.

पंडित प्रेमी शर्मा ने बताया कि गोवर्धन की सप्तकोशीय परिक्रमा मार्ग में स्थित धार्मिक स्थल पूंछरी का लौठा को लेकर कई प्रकार की किवदंतियां प्रचलित हैं. सप्तकोशीय परिक्रमा देने वाले श्रद्धालु पूंछरी का लौठा के मंदिर में दर्शन कर के ही आगे बढ़ते हैं. इस धार्मिक स्थल का इतिहास भगवान श्री कृष्ण के अवतार के समय यानी द्वापर युग से जुड़ा हुआ बताते हैं. मान्यता है कि पूंछरी का लौठा भगवान शंकर का ही स्वरूप हैं. ये सतयुग में भगवान शंकर, त्रेता युग में हनुमान जी और द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण के बाल सखा मधु मंगल थे.

पढ़ें. देर रात पूंछरी पहुंचे सीएम भजनलाल शर्मा, आज श्रीनाथ जी मंदिर की पूजा-अर्चना - BHAJANLAL VISIT SHRINATHJI TEMPLE

ऐसी किवदंतियां : पंडित प्रेमी शर्मा ने बताया कि पूंछरी का लौठा धार्मिक स्थल को लेकर इतिहास में कई प्रकार की किवदंतियां प्रचलित हैं. बताया जाता है कि जब भगवान श्री कृष्ण नंदगांव छोड़कर कंस से युद्ध करने के लिए मथुरा जा रहे थे, तो गोपियां उनके रथ के पीछे-पीछे दौड़ती गईं, लेकिन भगवान श्री कृष्ण का रथ गोपियों की नजरों से ओझल हो गया. तभी गोपियों को एक व्यक्ति बैठा हुआ नजर आया. गोपियों ने आपस में एक-दूसरी सखी से कहा कि इस व्यक्ति से पूछो कि भगवान श्री कृष्ण का रथ किधर गया. ऐसा बोलकर सभी सखी एक दूसरी से तू पूछ री, तू पूछ री कहने लगीं. तब से इस स्थान का नाम पूंछरी का लौठा पड़ गया.

पंडित शर्मा ने बताया जाता है कि वर्तमान के पूंछरी का लौठा द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण के बाल सखा मधुमंगल थे. एक बार भगवान श्री कृष्ण अपने सखाओं के साथ लुका-छुपी खेल रहे थे. इस दौरान मधुमंगल छुप गए और भगवान कृष्ण उन्हें ढूंढ़ने लगे, लेकिन तभी अन्य सखाओं के बुलाने पर भगवान कृष्ण उनके साथ खेलने लगे और सखा मधुमंगल को ढूंढ़ना भूल गए. मान्यता है कि तभी से मधुमंगल आज तक पूंछरी का लौठा में भगवान कृष्ण की प्रतीक्षा कर रहे हैं. मान्यता यह भी है कि गोवर्धन पर्वत का आकार बैठी हुई गाय के आकार जैसा है. गाय की पूंछ के आकार वाला भाग पूंछरी का लौठा है, जिसके चलते भक्तगण इस स्थान को गाय की पूंछ के रूप में मानते हुए पूजा करते हैं. मान्यता है कि गोवर्धन पर्वत की इस सप्तकोशीय परिक्रमा देने आने वाले श्रद्धालु जब थक जाते हैं तो पूंछरी का लौठा श्रृद्धालुओं को पराक्रम पूर्ण करने की शक्ति प्रदान करते हैं.

पढ़ें. सीएम भजनलाल बोले- राजस्थान और MP सरकार मिलकर करेंगी कृष्ण गमन पथ का निर्माण, पथ में पड़ने वाले मंदिरों का करेंगे विकास

राजस्थान के सीएम अनन्य भक्त : पूंछरी का लौठा के लाखों भक्त हैं. राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा खुद पूंछरी का लौठा और श्रीनाथ जी के अनन्य भक्त हैं. मुख्यमंत्री बनने से पहले भजनलाल शर्मा नियमित रूप से हर माह पूंछरी का लौठा व श्रीनाथ जी के दर्शन करते थे. इतना ही नहीं मुख्यमंत्री बनने के बाद भी भजनलाल शर्मा नियमित रूप से पूजा और दर्शन करने के लिए पूंछरी का लौठा पहुंचते हैं.

भरतपुर : बृज क्षेत्र का कण-कण भगवान श्री कृष्ण के अवतार, उनकी लीलाओं का गवाह है. उत्तर प्रदेश और राजस्थान की सीमा में स्थित गोवर्धन पर्वत (गिरिराज जी) की सप्तकोशीय परिक्रमा लगाई जाती है. इसी परिक्रमा स्थल में एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल पूंछरी का लौठा भी स्थित है. पौराणिक महत्व के इस धार्मिक स्थल से हजारों-लाखों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है. इतना ही नहीं राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा भी पूंछरी का लौठा के अनन्य भक्त हैं.

पंडित प्रेमी शर्मा ने बताया कि गोवर्धन की सप्तकोशीय परिक्रमा मार्ग में स्थित धार्मिक स्थल पूंछरी का लौठा को लेकर कई प्रकार की किवदंतियां प्रचलित हैं. सप्तकोशीय परिक्रमा देने वाले श्रद्धालु पूंछरी का लौठा के मंदिर में दर्शन कर के ही आगे बढ़ते हैं. इस धार्मिक स्थल का इतिहास भगवान श्री कृष्ण के अवतार के समय यानी द्वापर युग से जुड़ा हुआ बताते हैं. मान्यता है कि पूंछरी का लौठा भगवान शंकर का ही स्वरूप हैं. ये सतयुग में भगवान शंकर, त्रेता युग में हनुमान जी और द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण के बाल सखा मधु मंगल थे.

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ऐसी किवदंतियां : पंडित प्रेमी शर्मा ने बताया कि पूंछरी का लौठा धार्मिक स्थल को लेकर इतिहास में कई प्रकार की किवदंतियां प्रचलित हैं. बताया जाता है कि जब भगवान श्री कृष्ण नंदगांव छोड़कर कंस से युद्ध करने के लिए मथुरा जा रहे थे, तो गोपियां उनके रथ के पीछे-पीछे दौड़ती गईं, लेकिन भगवान श्री कृष्ण का रथ गोपियों की नजरों से ओझल हो गया. तभी गोपियों को एक व्यक्ति बैठा हुआ नजर आया. गोपियों ने आपस में एक-दूसरी सखी से कहा कि इस व्यक्ति से पूछो कि भगवान श्री कृष्ण का रथ किधर गया. ऐसा बोलकर सभी सखी एक दूसरी से तू पूछ री, तू पूछ री कहने लगीं. तब से इस स्थान का नाम पूंछरी का लौठा पड़ गया.

पंडित शर्मा ने बताया जाता है कि वर्तमान के पूंछरी का लौठा द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण के बाल सखा मधुमंगल थे. एक बार भगवान श्री कृष्ण अपने सखाओं के साथ लुका-छुपी खेल रहे थे. इस दौरान मधुमंगल छुप गए और भगवान कृष्ण उन्हें ढूंढ़ने लगे, लेकिन तभी अन्य सखाओं के बुलाने पर भगवान कृष्ण उनके साथ खेलने लगे और सखा मधुमंगल को ढूंढ़ना भूल गए. मान्यता है कि तभी से मधुमंगल आज तक पूंछरी का लौठा में भगवान कृष्ण की प्रतीक्षा कर रहे हैं. मान्यता यह भी है कि गोवर्धन पर्वत का आकार बैठी हुई गाय के आकार जैसा है. गाय की पूंछ के आकार वाला भाग पूंछरी का लौठा है, जिसके चलते भक्तगण इस स्थान को गाय की पूंछ के रूप में मानते हुए पूजा करते हैं. मान्यता है कि गोवर्धन पर्वत की इस सप्तकोशीय परिक्रमा देने आने वाले श्रद्धालु जब थक जाते हैं तो पूंछरी का लौठा श्रृद्धालुओं को पराक्रम पूर्ण करने की शक्ति प्रदान करते हैं.

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राजस्थान के सीएम अनन्य भक्त : पूंछरी का लौठा के लाखों भक्त हैं. राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा खुद पूंछरी का लौठा और श्रीनाथ जी के अनन्य भक्त हैं. मुख्यमंत्री बनने से पहले भजनलाल शर्मा नियमित रूप से हर माह पूंछरी का लौठा व श्रीनाथ जी के दर्शन करते थे. इतना ही नहीं मुख्यमंत्री बनने के बाद भी भजनलाल शर्मा नियमित रूप से पूजा और दर्शन करने के लिए पूंछरी का लौठा पहुंचते हैं.

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