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खजुराहो सीट पर BJP के VD शर्मा की फाइट SP के बाहुबली से, जानें-किसके क्या सियासी समीकरण - khajuraho seat political equations

मध्यप्रदेश की खजुराहो लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी ने यूपी के बाहुबली दीपनारायण सिंह यादव की पत्नी मीरा यादव को उम्मीदवार बनाया है. उनका मुकाबला बीजेपी के वीडी शर्मा से होगा. कांग्रेस ने ये सीट सपा को सौंपी है. बीजेपी के सामने सपा कितनी फाइट करेगी, क्या बीजेपी को कोई खतरा है. आइए समझते हैं खजुराहो सीट का सियासी समीकरण.

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Apr 3, 2024, 12:57 PM IST

khajuraho seat political equations
खजुराहो सीट पर बीजेपी के वीडी शर्मा की फाइट सपा के बाहुबली से
खजुराहो सीट पर समाजवादी पार्टी का दावा

सागर। मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड की खजुराहो लोकसभा सीट सुर्खियों में है. एक तरफ खजुराहो से सत्ताधारी दल बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा मैदान में है तो इंडिया गठबंधन की तरफ से समाजवादी पार्टी के ने यूपी के बुंदेलखंड के बाहुबलि दीपनारायण सिंह यादव की पत्नी मीरा यादव को मैदान में उतारा है. वैसे तो खजुराहो सीट पर लंबे समय से भाजपा का दबदबा है, लेकिन सपा और कांग्रेस के गठजोड के चलते भाजपा के लिए परेशानी खड़ी हो सकती है. हालांकि पिछला चुनाव वीडी शर्मा ने करीब 5 लाख वोटों से जीता था. लेकिन तब पुलवामा की लहर के साथ खजुराहो में कोई गठबंधन नहीं था. इस बार समाजवादी पार्टी ने ऐसे चेहरे को मैदान में उतारा है, जिसका यूपी के बुंदेलखंड में खासा प्रभाव है और मध्यप्रदेश की बुंदेलखंड की राजनीति में पिछले कई सालों से दखल है. 2008 में मीरा यादव निवाडी से सपा के टिकट पर चुनाव भी जीत चुकी हैं.

खजुराहो लोकसभा सीट में कौन सी विधानसभा सीटें

खजुराहो लोकसभा सीट 1957 में अस्तित्व में आयी. छतरपुर और टीकमगढ जिले की चार-चार सीटों को मिलाकर खजुराहो सीट का गठन किया गया. 1977 में लागू परिसीमन के बाद खजुराहो सीट फिर अस्तित्व में आयी और इसमें टीकमगढ, पन्ना और छतरपुर की आठ विधानसभा शामिल थीं. लेकिन 2008 में परिसीमन के बाद खजुराहो सीट में छतरपुर जिले की दो चंदला और राजनगर, पन्ना जिले की तीनों पन्ना, गुन्नौर और पवई और कटनी की मुडवारा,विजराघोगढ और बहोरीबंद शामिल है.

कैसा है खजुराहो लोकसभा सीट का मिजाज

खजुराहो लोकसभा में कुल मतदाता 18 लाख 31 हजार 837 हैं. 2008 के परिसीमन के बाद तीनों चुनाव भाजपा ने जीते हैं. लोकसभा चुनाव 2009 में भाजपा प्रत्याशी जितेन्द्र सिंह बुंदेला ने कड़ी टक्कर के बीच कांग्रेस के राजा पटैरिया को 28 हजार 332 वोटों से चुनाव हराया था. 2014 में भाजपा प्रत्याशी नागेन्द्र सिंह नागौद ने कांग्रेस के राजा पटैरिया को 2 लाख 27 हजार 476 वोटों से हराया. लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा को 8 लाख 11 हजार 135 मत मिले. उन्होने कांग्रेस की कविता सिंह नातीराजा को 4 लाख 92 हजार 382 मतों से हराया. यहां से सत्यव्रत चतुर्वेदी, विद्यावती चतुर्वेदी के अलावा उमाभारती और रामकृष्ण कुसमारिया सांसद रहे हैं.

कैसा है खजुराहो लोकसभा सीट में जातीय समीकरण

खजुराहो लोकसभा सीट पर जातीय समीकरण उलझे हुए हैं. खजुराहो में बुंदेलखंड और महाकौशल अंचल के इलाके आते हैं और ब्राह्मण और ठाकुरों के वर्चस्व वाली सीट है. इसके अलावा पिछडा वर्ग में यादव और पटेल समुदाय भी निर्णायक स्थिति में है. ज्यादातर इस सीट पर कांग्रेस और भाजपा ब्राह्मण को ही टिकट देते आए हैं. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मुरैना के रहने वाले हैं, लेकिन ब्राह्मण होने के नाते 2019 में खजुराहो सीट से चुनाव लड़े. इस इलाके में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के मतदाता भी निर्णायक स्थिति में है. 2011 की जनगणना के अनुसार इलाके में करीब 18 फीसदी अनुसूचित जाति और 15 फीसदी अनुसूचित जनजाति के वोटर है. माना जा रहा है कि पीडीए के राजनीतिक समीकरण के चलते समाजवादी पार्टी यहां चुनाव जीतना चाह रही है. पिछडा, दलित और आदिवासी वोट अगर सपा को मिलते हैं, तो बीजेपी के लिए चुनौती होगी. आमतौर पर ये वोटर कांग्रेस की तरफ झुकाव वाला माना जाता है और कांग्रेस के लिए सपा को वोट शिफ्ट कराना बड़ी चुनौती होगी.

सपा प्रत्याशी मीरा दीपनारायण सिंह यादव का सियासी सफर

खजुराहो सीट से समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी मीरा यादव यूपी के बाहुबली नेता दीपनारायण सिंह यादव की पत्नी हैं. उत्तरप्रदेश के बुंदेलखंड के झांसी के मोठ इलाके के बुडावली गांव के दीपनारायणसिंह यादव अखिलेश यादव के करीबी हैं. दीपनारायण सिंह यादव 1986 में बुंदेलखंड डिग्री कॉलेज के सबसे कम उम्र के छात्रसंघ अध्यक्ष बने थे. दीपनारायण सिंह यादव जहां यूपी की गरोठ सीट से 2007 और 2012 में दो बार विधायक बने, तो उनकी पत्नी मीरा यादव मध्यप्रदेश की निवाड़ी सीट से सपा के टिकट पर 2008 में चुनाव जीती. हालांकि 1998 निवाड़ी सीट से दीप नारायण सिंह यादव खुद चुनाव हार गए थे. समाजवादी पार्टी के राज में दीपनारायण यादव का खनन व्यावसाय में एकछत्र राज था. यूपी में भाजपा राज में दीपनारायण सिंह यादव तब सुर्खियों में आए जब सितंबर 2022 में कुख्यात अपराधी लेखराज सिंह यादव को पुलिस अभिरक्षा से जेल से छुड़ाने की कोशिश में 7 माह 10 दिन जेल में रहना पड़ा. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव उनसे मिलने जेल पहुंचे थे. दीपनारायण सिंह यादव के पास करीब 500 करोड़ की चल-अचल संपत्ति को कुर्क किया गया. वहीं दीपनारायण सिंह यादव पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का मामला भी दर्ज किया गया.

खजुराहो में इंडिया गठबंधन की राह नहीं आसान

गठबंधन के तहत कांग्रेस ने भले ही ये सीट समाजवादी पार्टी को दे दी और यादव वोटबैंक के सहारे भाजपा को टक्कर देने की रणनीति हो, लेकिन पिछले आंकडों पर गौर करें, तो समाजवादी पार्टी का प्रदर्शन खजुराहो सीट पर बहुत बेहतर नहीं रहा है. ऐसे में सारा दारोमदार कांग्रेस के ऊपर होगा कि वो गठबंधन के तहत अपनी वोट शिफ्ट कराए. 2019 के चुनाव में समाजवादी पार्टी के वीर सिंह पटेल को महज 40 हजार 77 वोट मिले थे. जबकि कांग्रेस की कविता सिंह 3 लाख 18 हजार वोट मिले थे. इस आधार पर आकलन करें, तो सपा और कांग्रेस के वोट मिलाने पर भाजपा प्रत्याशी को दोगुने वोट हासिल हुए थे. इसलिए समाजवादी पार्टी के लिए खजुराहो सीट इतनी ज्यादा आसान नहीं है.

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खजुराहो सीट को लेकर क्या कहना है समाजवादी पार्टी का

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता यश भारतीय का कहना है कि खजुराहो सीट का टिकट जनता की मांग पर बदला गया. पहले मनोज यादव को टिकट दिया गया. वह पार्टी के वरिष्ठ कार्यकता हैं. पहले भी 2014 में लोकसभा चुनाव लड़े थे और बिजावर में भी 2023 विधानसभा चुनाव लड़े थे. लेकिन भाजपा का जिस तरह से चुनाव लड़ने का चरित्र और मुकाबला भाजपा प्रदेशाध्यक्ष से है. इसलिए मजबूत प्रत्याशी की जरूरत थी और जनता की मांग थी कि दीपनारायण सिंह यादव को चुनाव लड़ाया जाए. दीपनारायण सिंह यादव की पत्नी मीरा यादव भी राजनीति में सक्रिय हैं और 2008 में निवाडी से विधायक रही हैं.

खजुराहो सीट पर समाजवादी पार्टी का दावा

सागर। मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड की खजुराहो लोकसभा सीट सुर्खियों में है. एक तरफ खजुराहो से सत्ताधारी दल बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा मैदान में है तो इंडिया गठबंधन की तरफ से समाजवादी पार्टी के ने यूपी के बुंदेलखंड के बाहुबलि दीपनारायण सिंह यादव की पत्नी मीरा यादव को मैदान में उतारा है. वैसे तो खजुराहो सीट पर लंबे समय से भाजपा का दबदबा है, लेकिन सपा और कांग्रेस के गठजोड के चलते भाजपा के लिए परेशानी खड़ी हो सकती है. हालांकि पिछला चुनाव वीडी शर्मा ने करीब 5 लाख वोटों से जीता था. लेकिन तब पुलवामा की लहर के साथ खजुराहो में कोई गठबंधन नहीं था. इस बार समाजवादी पार्टी ने ऐसे चेहरे को मैदान में उतारा है, जिसका यूपी के बुंदेलखंड में खासा प्रभाव है और मध्यप्रदेश की बुंदेलखंड की राजनीति में पिछले कई सालों से दखल है. 2008 में मीरा यादव निवाडी से सपा के टिकट पर चुनाव भी जीत चुकी हैं.

खजुराहो लोकसभा सीट में कौन सी विधानसभा सीटें

खजुराहो लोकसभा सीट 1957 में अस्तित्व में आयी. छतरपुर और टीकमगढ जिले की चार-चार सीटों को मिलाकर खजुराहो सीट का गठन किया गया. 1977 में लागू परिसीमन के बाद खजुराहो सीट फिर अस्तित्व में आयी और इसमें टीकमगढ, पन्ना और छतरपुर की आठ विधानसभा शामिल थीं. लेकिन 2008 में परिसीमन के बाद खजुराहो सीट में छतरपुर जिले की दो चंदला और राजनगर, पन्ना जिले की तीनों पन्ना, गुन्नौर और पवई और कटनी की मुडवारा,विजराघोगढ और बहोरीबंद शामिल है.

कैसा है खजुराहो लोकसभा सीट का मिजाज

खजुराहो लोकसभा में कुल मतदाता 18 लाख 31 हजार 837 हैं. 2008 के परिसीमन के बाद तीनों चुनाव भाजपा ने जीते हैं. लोकसभा चुनाव 2009 में भाजपा प्रत्याशी जितेन्द्र सिंह बुंदेला ने कड़ी टक्कर के बीच कांग्रेस के राजा पटैरिया को 28 हजार 332 वोटों से चुनाव हराया था. 2014 में भाजपा प्रत्याशी नागेन्द्र सिंह नागौद ने कांग्रेस के राजा पटैरिया को 2 लाख 27 हजार 476 वोटों से हराया. लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा को 8 लाख 11 हजार 135 मत मिले. उन्होने कांग्रेस की कविता सिंह नातीराजा को 4 लाख 92 हजार 382 मतों से हराया. यहां से सत्यव्रत चतुर्वेदी, विद्यावती चतुर्वेदी के अलावा उमाभारती और रामकृष्ण कुसमारिया सांसद रहे हैं.

कैसा है खजुराहो लोकसभा सीट में जातीय समीकरण

खजुराहो लोकसभा सीट पर जातीय समीकरण उलझे हुए हैं. खजुराहो में बुंदेलखंड और महाकौशल अंचल के इलाके आते हैं और ब्राह्मण और ठाकुरों के वर्चस्व वाली सीट है. इसके अलावा पिछडा वर्ग में यादव और पटेल समुदाय भी निर्णायक स्थिति में है. ज्यादातर इस सीट पर कांग्रेस और भाजपा ब्राह्मण को ही टिकट देते आए हैं. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मुरैना के रहने वाले हैं, लेकिन ब्राह्मण होने के नाते 2019 में खजुराहो सीट से चुनाव लड़े. इस इलाके में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के मतदाता भी निर्णायक स्थिति में है. 2011 की जनगणना के अनुसार इलाके में करीब 18 फीसदी अनुसूचित जाति और 15 फीसदी अनुसूचित जनजाति के वोटर है. माना जा रहा है कि पीडीए के राजनीतिक समीकरण के चलते समाजवादी पार्टी यहां चुनाव जीतना चाह रही है. पिछडा, दलित और आदिवासी वोट अगर सपा को मिलते हैं, तो बीजेपी के लिए चुनौती होगी. आमतौर पर ये वोटर कांग्रेस की तरफ झुकाव वाला माना जाता है और कांग्रेस के लिए सपा को वोट शिफ्ट कराना बड़ी चुनौती होगी.

सपा प्रत्याशी मीरा दीपनारायण सिंह यादव का सियासी सफर

खजुराहो सीट से समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी मीरा यादव यूपी के बाहुबली नेता दीपनारायण सिंह यादव की पत्नी हैं. उत्तरप्रदेश के बुंदेलखंड के झांसी के मोठ इलाके के बुडावली गांव के दीपनारायणसिंह यादव अखिलेश यादव के करीबी हैं. दीपनारायण सिंह यादव 1986 में बुंदेलखंड डिग्री कॉलेज के सबसे कम उम्र के छात्रसंघ अध्यक्ष बने थे. दीपनारायण सिंह यादव जहां यूपी की गरोठ सीट से 2007 और 2012 में दो बार विधायक बने, तो उनकी पत्नी मीरा यादव मध्यप्रदेश की निवाड़ी सीट से सपा के टिकट पर 2008 में चुनाव जीती. हालांकि 1998 निवाड़ी सीट से दीप नारायण सिंह यादव खुद चुनाव हार गए थे. समाजवादी पार्टी के राज में दीपनारायण यादव का खनन व्यावसाय में एकछत्र राज था. यूपी में भाजपा राज में दीपनारायण सिंह यादव तब सुर्खियों में आए जब सितंबर 2022 में कुख्यात अपराधी लेखराज सिंह यादव को पुलिस अभिरक्षा से जेल से छुड़ाने की कोशिश में 7 माह 10 दिन जेल में रहना पड़ा. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव उनसे मिलने जेल पहुंचे थे. दीपनारायण सिंह यादव के पास करीब 500 करोड़ की चल-अचल संपत्ति को कुर्क किया गया. वहीं दीपनारायण सिंह यादव पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का मामला भी दर्ज किया गया.

खजुराहो में इंडिया गठबंधन की राह नहीं आसान

गठबंधन के तहत कांग्रेस ने भले ही ये सीट समाजवादी पार्टी को दे दी और यादव वोटबैंक के सहारे भाजपा को टक्कर देने की रणनीति हो, लेकिन पिछले आंकडों पर गौर करें, तो समाजवादी पार्टी का प्रदर्शन खजुराहो सीट पर बहुत बेहतर नहीं रहा है. ऐसे में सारा दारोमदार कांग्रेस के ऊपर होगा कि वो गठबंधन के तहत अपनी वोट शिफ्ट कराए. 2019 के चुनाव में समाजवादी पार्टी के वीर सिंह पटेल को महज 40 हजार 77 वोट मिले थे. जबकि कांग्रेस की कविता सिंह 3 लाख 18 हजार वोट मिले थे. इस आधार पर आकलन करें, तो सपा और कांग्रेस के वोट मिलाने पर भाजपा प्रत्याशी को दोगुने वोट हासिल हुए थे. इसलिए समाजवादी पार्टी के लिए खजुराहो सीट इतनी ज्यादा आसान नहीं है.

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खजुराहो सीट को लेकर क्या कहना है समाजवादी पार्टी का

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता यश भारतीय का कहना है कि खजुराहो सीट का टिकट जनता की मांग पर बदला गया. पहले मनोज यादव को टिकट दिया गया. वह पार्टी के वरिष्ठ कार्यकता हैं. पहले भी 2014 में लोकसभा चुनाव लड़े थे और बिजावर में भी 2023 विधानसभा चुनाव लड़े थे. लेकिन भाजपा का जिस तरह से चुनाव लड़ने का चरित्र और मुकाबला भाजपा प्रदेशाध्यक्ष से है. इसलिए मजबूत प्रत्याशी की जरूरत थी और जनता की मांग थी कि दीपनारायण सिंह यादव को चुनाव लड़ाया जाए. दीपनारायण सिंह यादव की पत्नी मीरा यादव भी राजनीति में सक्रिय हैं और 2008 में निवाडी से विधायक रही हैं.

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