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खजुराहो में देश का सबसे अनूठा गांव बसाया गया, नाम है 'आदिवर्त लोक', देखें तस्वीरें - Khajuraho Cultural Village

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 5, 2024, 3:25 PM IST

Updated : Jul 5, 2024, 4:12 PM IST

आदिवासी संस्कृति को बढ़ावा देने खजुराहो में कल्चरल विलेज बसाया जा रहा है. इस कल्चरल विलेज में प्रदेश के सभी अंचल की परंपराओं और रहन-सहन की झलक देखने मिलेगी. इस कल्चरल विलेज का काम लगभग अंतिम दौर में चल रहा है. इसे आदिवर्त गांव नाम दिया गया है.

KHAJURAHO CULTURAL VILLAGE
'आदिवर्त' में दिखेगी आदिवासी परंपराओं की झलक (ETV Bharat)

सागर। मध्य प्रदेश की जनजातीय और सांस्कृतिक लोक परंपरा की इंटरनेशनल ब्रांडिंग के लिए विश्व पर्यटन स्थल खजुराहो पर जनजातीय देवलोक के साथ सांस्कृतिक गांव (कल्चरल विलेज) बसाया जा रहा है. करीब 7 एकड़ में बसाए जा रहे कल्चरल विलेज में प्रदेश के सभी अंचल की लोक परंपराओं और रहन-सहन के साथ आवास की झलक देखने के लिए मिलेगी. कल्चरल विलेज का निर्माण कार्य अंतिम दौर में है और बारिश के बाद लोकार्पण की तैयारी चल रही है. मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड, विंध्य, महाकौशल और मालवा की जनजातीय झलक यहां देखने को मिलेगी. प्रदेश की सात जनजातीय बैगा, भील कोरकू, सहरिया, भरिया और कोल जनजातियों की लोक परंपराएं रहन-सहन विदेशी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र होंगी.

KHAJURAHO CULTURAL VILLAGE
खजुराहो में आदिवासी परंपराओं की झलक (ETV Bharat)

बुंदेलखंड के खजुराहो का चयन क्यों

विश्व पर्यटन स्थल खजुराहो में सरकार का संस्कृति विभाग राजधानी भोपाल स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय की तर्ज पर कल्चरल विलेज में जनजातीय देवलोक का निर्माण कर रहा है. कल्चरल विलेज के म्यूजियम का निर्माण पहले ही हो चुका है, लेकिन जनजातीय देवलोक और सांस्कृतिक गांव का नजारा लोगों को बारिश के बाद देखने मिलेगा. जब निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा. कल्चरल विलेज को खजुराहो में बनाने के पीछे संस्कृति विभाग का तर्क है कि खजुराहो भारतीय स्थापत्य और मूर्ति कला का बेजोड़ नमूना है और पूरे विश्व में खजुराहो मूर्ति कला के लिए प्रसिद्ध है. साथ ही यहां दुनिया भर के पर्यटक खजुराहो के मंदिर देखने के लिए पहुंचते हैं. ऐसे में मध्य प्रदेश की आदिवासी संस्कृति को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने के लिए खजुराहो से अच्छा कोई स्थान नहीं हो सकता है.

KHAJURAHO CULTURAL VILLAGE
कल्चरल विलेज आदिवर्त (ETV Bharat)

आदिवर्त में जनजातीय झलक

खजुराहो में स्थापत्य और मूर्ति कला की मिसाल पुरातात्विक और ऐतिहासिक मंदिर के साथ-साथ मध्य प्रदेश की जनजातीय संस्कृति, उनके देवी-देवता और परंपराओं की झलक कल्चरल विलेज और जनजातीय देवलोक में देखने मिलेगी. यहां मध्य प्रदेश की प्रमुख सात जनजाति बैगा, गौंड़़, भील, कोरकू, सहरिया, भरिया और कोल जनजाति की झलक आदिवासी गांव "आदिवर्त" में देखने मिलेगी. यहां प्रमुख रूप से बुंदेलखंड, बघेलखंड, महाकौशल और मालवा की जनजातीय जीवन, रहन-सहन और लोक परंपराओं को विदेशी पर्यटक देख सकेंगे. सात जनजातियों की 43 उपजातियों की पहचान, परंपरा और प्रतीक चिन्ह यहां एक ही स्थान पर देखने मिलेंगे. आदिवासी कलाकृतियां, हस्तशिल्प, आभूषण और चित्रकला जनजातीय लोक में देखने के लिए मिलेगी.

MP CULTURAL VILLAGE BRANDING
एमपी में कल्चरल विलेज का निर्माण (ETV Bharat)

संस्कृति संवर्धन के लिए गुरूकुल की स्थापना

संस्कृति एवं पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव शिव शेखर शुक्ला बताते हैं कि 'मध्य प्रदेश की जनजातीय विरासत को दुनिया भर से परिचित कराने के लिए हमारा विभाग लंबे समय से जनजातीय देवलोक की अवधारणा पर काम कर रहा था. मध्य प्रदेश में विदेशी पर्यटक सबसे ज्यादा खजुराहो पहुंचते हैं. ऐसे में मध्य प्रदेश की जनजातीय संस्कृति से उन्हें रूबरू कराने के लिए जनजातीय देवलोक का निर्माण किया जा रहा है. ग्रेनाइट पत्थर पर शिल्पकारी, पुरातात्विक और ऐतिहासिक मंदिरों के साथ-साथ जनजातीय लोक परंपरा और देवस्थल यहां आसानी से देखने मिलेंगें. खजुराहो आने वाले पर्यटकों के लिए मंदिर के अलावा विशेष आकर्षण होगा. यहां नई पीढ़ी को आदिवासी लोक परंपराओं से परिचित कराने और लुप्त होती आदिवासी कला संस्कृति के संरक्षण संवर्धन के लिए गुरुकुल की भी स्थापना की जाएगी. जहां नई पीढ़ी को जनजातीय कलाओं का प्रशिक्षण दिया जाएगा.

सागर। मध्य प्रदेश की जनजातीय और सांस्कृतिक लोक परंपरा की इंटरनेशनल ब्रांडिंग के लिए विश्व पर्यटन स्थल खजुराहो पर जनजातीय देवलोक के साथ सांस्कृतिक गांव (कल्चरल विलेज) बसाया जा रहा है. करीब 7 एकड़ में बसाए जा रहे कल्चरल विलेज में प्रदेश के सभी अंचल की लोक परंपराओं और रहन-सहन के साथ आवास की झलक देखने के लिए मिलेगी. कल्चरल विलेज का निर्माण कार्य अंतिम दौर में है और बारिश के बाद लोकार्पण की तैयारी चल रही है. मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड, विंध्य, महाकौशल और मालवा की जनजातीय झलक यहां देखने को मिलेगी. प्रदेश की सात जनजातीय बैगा, भील कोरकू, सहरिया, भरिया और कोल जनजातियों की लोक परंपराएं रहन-सहन विदेशी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र होंगी.

KHAJURAHO CULTURAL VILLAGE
खजुराहो में आदिवासी परंपराओं की झलक (ETV Bharat)

बुंदेलखंड के खजुराहो का चयन क्यों

विश्व पर्यटन स्थल खजुराहो में सरकार का संस्कृति विभाग राजधानी भोपाल स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय की तर्ज पर कल्चरल विलेज में जनजातीय देवलोक का निर्माण कर रहा है. कल्चरल विलेज के म्यूजियम का निर्माण पहले ही हो चुका है, लेकिन जनजातीय देवलोक और सांस्कृतिक गांव का नजारा लोगों को बारिश के बाद देखने मिलेगा. जब निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा. कल्चरल विलेज को खजुराहो में बनाने के पीछे संस्कृति विभाग का तर्क है कि खजुराहो भारतीय स्थापत्य और मूर्ति कला का बेजोड़ नमूना है और पूरे विश्व में खजुराहो मूर्ति कला के लिए प्रसिद्ध है. साथ ही यहां दुनिया भर के पर्यटक खजुराहो के मंदिर देखने के लिए पहुंचते हैं. ऐसे में मध्य प्रदेश की आदिवासी संस्कृति को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने के लिए खजुराहो से अच्छा कोई स्थान नहीं हो सकता है.

KHAJURAHO CULTURAL VILLAGE
कल्चरल विलेज आदिवर्त (ETV Bharat)

आदिवर्त में जनजातीय झलक

खजुराहो में स्थापत्य और मूर्ति कला की मिसाल पुरातात्विक और ऐतिहासिक मंदिर के साथ-साथ मध्य प्रदेश की जनजातीय संस्कृति, उनके देवी-देवता और परंपराओं की झलक कल्चरल विलेज और जनजातीय देवलोक में देखने मिलेगी. यहां मध्य प्रदेश की प्रमुख सात जनजाति बैगा, गौंड़़, भील, कोरकू, सहरिया, भरिया और कोल जनजाति की झलक आदिवासी गांव "आदिवर्त" में देखने मिलेगी. यहां प्रमुख रूप से बुंदेलखंड, बघेलखंड, महाकौशल और मालवा की जनजातीय जीवन, रहन-सहन और लोक परंपराओं को विदेशी पर्यटक देख सकेंगे. सात जनजातियों की 43 उपजातियों की पहचान, परंपरा और प्रतीक चिन्ह यहां एक ही स्थान पर देखने मिलेंगे. आदिवासी कलाकृतियां, हस्तशिल्प, आभूषण और चित्रकला जनजातीय लोक में देखने के लिए मिलेगी.

MP CULTURAL VILLAGE BRANDING
एमपी में कल्चरल विलेज का निर्माण (ETV Bharat)

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संस्कृति संवर्धन के लिए गुरूकुल की स्थापना

संस्कृति एवं पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव शिव शेखर शुक्ला बताते हैं कि 'मध्य प्रदेश की जनजातीय विरासत को दुनिया भर से परिचित कराने के लिए हमारा विभाग लंबे समय से जनजातीय देवलोक की अवधारणा पर काम कर रहा था. मध्य प्रदेश में विदेशी पर्यटक सबसे ज्यादा खजुराहो पहुंचते हैं. ऐसे में मध्य प्रदेश की जनजातीय संस्कृति से उन्हें रूबरू कराने के लिए जनजातीय देवलोक का निर्माण किया जा रहा है. ग्रेनाइट पत्थर पर शिल्पकारी, पुरातात्विक और ऐतिहासिक मंदिरों के साथ-साथ जनजातीय लोक परंपरा और देवस्थल यहां आसानी से देखने मिलेंगें. खजुराहो आने वाले पर्यटकों के लिए मंदिर के अलावा विशेष आकर्षण होगा. यहां नई पीढ़ी को आदिवासी लोक परंपराओं से परिचित कराने और लुप्त होती आदिवासी कला संस्कृति के संरक्षण संवर्धन के लिए गुरुकुल की भी स्थापना की जाएगी. जहां नई पीढ़ी को जनजातीय कलाओं का प्रशिक्षण दिया जाएगा.

Last Updated : Jul 5, 2024, 4:12 PM IST
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