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कटनी जिले का एक ऐसा गांव जहां सभी भीख मांगकर करते हैं गुजारा, सरकार पर लगाया ये आरोप

Begging Village in Katni: कटनी जिले के इस गांव के लोगों के लिए ना तो मनरेगा मायने रखता है और ना ही गरीबी रेखा का कार्ड. यहां अपने परिवार का पेट पालने के लिए सभी लोग भीख मांगते हैं. सरकार के दावों की पोल खोलती यह खबर पढ़िए.

katni begging village
भीख मांगकर पालते हैं परिवार का पेट
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 17, 2024, 8:20 PM IST

कटनी जिले के बड़वारा मुख्यालय के पास एक ऐसा गांव जहां सभी मांगते हैं भीख

कटनी। कटनी जिले के बड़वारा मुख्यालय से चंद किलोमीटर दूर इस गांव के लोगों का काम सिर्फ भीख मांगना है. भीख के बाद मिले रुपये पैसे से ही अपने परिवार का पेट पालते हैं. गांव के लोगों की माने तो 90 प्रतिशत लोग भीख मांगकर ही गुजारा करते हैं. उनका आरोप है कि ना तो उन्हें रोजगार मिलता है और ना ही सरकार ने उनके लिए रोजगार उपलब्ध कराया है.

भीख मांगना है इनका पेशा

जैसे रोज लोग अपने काम पर निकलते हैं कोई मजदूरी करने जाता है तो कोई नौकरी करने तो कोई दो पैसे कमाने के लिए फेरी लगाने निकलता है वैसे ही इस गांव के लोग अपना परिवार पालने के लिए भीख मांगने निकलते हैं. कटनी जिले के बड़वारा मुख्यालय से दो से तीन किलोमीटर दूरी पर स्थित है मदारी मोहल्ला. गांव के लोग बताते हैं कि यहां 400 से 500 वोटर हैं और गांव की आबादी लगभग 1000 के ऊपर ही होगी. अधिकांश सभी लोग यानि 90 प्रतिशत से ज्यादा लोग भीख मांगकर ही गुजारा करते हैं और यही इनका पेशा है.

कोई योजना इनके लिए मायने नहीं रखती

मदारी टोला में रहने वाले लोगों का आरोप है कि उन्हें ना तो रोजगार मिलता है और ना ही उनके लिए सरकार ने कोई रोजगार अब तक उपलब्ध कराया है. इनके लिए ना तो मनरेगा मायने रखता है और ना ही गरीबी रेखा का कार्ड. दिन भर में जो मिलता है वही उनके जीवन की गारंटी है. हालत यह है की मोदी की गारंटी भी इनके वजूद पर कोई असर डालती हुई नजर नहीं आती है.

पहले दिखाते थे बंदर का खेल

यह गांव मदारी टोला के नाम से जाना जाता है. बता दें कि एक समय इस इलाके में रहने वाले लोग बंदर पकड़कर उसका खेल दिखाया करते थे यानि मदारी का काम करते थे, लेकिन वन विभाग के दबाव के चलते अब सभी ने बंदर का खेल दिखाना बंद कर दिया है. अब ये लोग सीधे तौर पर भीख मांग कर अपना और परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं.

सरकार के दावों की खुली पोल

वैसे तो सरकार भीख मांगने वाले या गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वालों के लिए तमाम योजनाएं चला रही है लेकिन इन लोगों तक इन योजनाओं का लाभ क्यों नहीं पहुंच रहा है ये सोचने वाली बात है. कहीं न कहीं इन योजनाओं के नहीं पहुंचने से सरकार के दावों की पोल जरूर खुल जाती है.

ये भी पढ़ें:

जनपद सीईओ का दावा

बड़वाह जनपद के सीईओ का कहना है कि मीडिया के माध्यम से मुझे इस बात की जानकारी हुई है. उनका कहना है कि "इस आबादी को मुख्य धारा से जोड़ने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं. जल्द ही मदारी टोला में रहने वाले परिवारों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ा जाएगा."

कटनी जिले के बड़वारा मुख्यालय के पास एक ऐसा गांव जहां सभी मांगते हैं भीख

कटनी। कटनी जिले के बड़वारा मुख्यालय से चंद किलोमीटर दूर इस गांव के लोगों का काम सिर्फ भीख मांगना है. भीख के बाद मिले रुपये पैसे से ही अपने परिवार का पेट पालते हैं. गांव के लोगों की माने तो 90 प्रतिशत लोग भीख मांगकर ही गुजारा करते हैं. उनका आरोप है कि ना तो उन्हें रोजगार मिलता है और ना ही सरकार ने उनके लिए रोजगार उपलब्ध कराया है.

भीख मांगना है इनका पेशा

जैसे रोज लोग अपने काम पर निकलते हैं कोई मजदूरी करने जाता है तो कोई नौकरी करने तो कोई दो पैसे कमाने के लिए फेरी लगाने निकलता है वैसे ही इस गांव के लोग अपना परिवार पालने के लिए भीख मांगने निकलते हैं. कटनी जिले के बड़वारा मुख्यालय से दो से तीन किलोमीटर दूरी पर स्थित है मदारी मोहल्ला. गांव के लोग बताते हैं कि यहां 400 से 500 वोटर हैं और गांव की आबादी लगभग 1000 के ऊपर ही होगी. अधिकांश सभी लोग यानि 90 प्रतिशत से ज्यादा लोग भीख मांगकर ही गुजारा करते हैं और यही इनका पेशा है.

कोई योजना इनके लिए मायने नहीं रखती

मदारी टोला में रहने वाले लोगों का आरोप है कि उन्हें ना तो रोजगार मिलता है और ना ही उनके लिए सरकार ने कोई रोजगार अब तक उपलब्ध कराया है. इनके लिए ना तो मनरेगा मायने रखता है और ना ही गरीबी रेखा का कार्ड. दिन भर में जो मिलता है वही उनके जीवन की गारंटी है. हालत यह है की मोदी की गारंटी भी इनके वजूद पर कोई असर डालती हुई नजर नहीं आती है.

पहले दिखाते थे बंदर का खेल

यह गांव मदारी टोला के नाम से जाना जाता है. बता दें कि एक समय इस इलाके में रहने वाले लोग बंदर पकड़कर उसका खेल दिखाया करते थे यानि मदारी का काम करते थे, लेकिन वन विभाग के दबाव के चलते अब सभी ने बंदर का खेल दिखाना बंद कर दिया है. अब ये लोग सीधे तौर पर भीख मांग कर अपना और परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं.

सरकार के दावों की खुली पोल

वैसे तो सरकार भीख मांगने वाले या गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वालों के लिए तमाम योजनाएं चला रही है लेकिन इन लोगों तक इन योजनाओं का लाभ क्यों नहीं पहुंच रहा है ये सोचने वाली बात है. कहीं न कहीं इन योजनाओं के नहीं पहुंचने से सरकार के दावों की पोल जरूर खुल जाती है.

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जनपद सीईओ का दावा

बड़वाह जनपद के सीईओ का कहना है कि मीडिया के माध्यम से मुझे इस बात की जानकारी हुई है. उनका कहना है कि "इस आबादी को मुख्य धारा से जोड़ने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं. जल्द ही मदारी टोला में रहने वाले परिवारों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ा जाएगा."

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