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कांकेर में ग्रामीणों ने चिनार नदी पर बना डाला जुगाड़ वाला पुल, तीन गांवों के लोगों को हो रहा फायदा - Kanker Villagers built Jugad bridge

कांकेर के ग्राम पंचायत बांस कुंड के आश्रित तीन गांव के लोगों ने बांस और बल्ली से जुगाड़ का पुल बनाया है. पुल बन जाने से इन गांवों के 400 से अधिक ग्रामीणों को आवागमन में राहत मिली है. इसके साथ ही इस गांव के लोगों ने जिला प्रशासन के सामने यह उदाहरण पेश किया किया अगर इच्छा शक्ति मजबूत हो तो कोई भी काम किया जा सकता है. Chinar River

Jugaad bridge in Kanker
कांकेर में जुगाड़ का पुल (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Aug 23, 2024, 5:19 PM IST

Updated : Aug 25, 2024, 6:21 PM IST

कांकेर में ग्रामीणों ने बना डाला जुगाड़ वाला पुल (ETV Bharat)

कांकेर: कहते हैं कि "आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है." यानी अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए इंसान किसी भी तरह से अपना काम निकाल ही लेता है. ताजा मामला कांकेर से सामने आया है. यहां के ग्रामीणों ने जुगाड़ से बांस का पुल बना डाला है. इस जुगाड़ के पुल के बन जाने से तकरीबन 400 लोगों को राहत मिली है.

तीन गांवों के लोगों ने बनाया जुगाड़ का पुल: कांकेर से 40 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत बांस कुंड है. ग्राम पंचायत बांस कुंड के आश्रित तीन गांव ऊपर तोनका, नीचे तोनका और चलाचूर हैं. यहां के ग्रामीणों को पुल की जरूरत थी. इसीलिए ग्रामीणों ने जुगाड़ का पुल तैयार कर लिया. गांववालों ने श्रम दान से दो दिन में बांस बल्ली का पुल बना डाला. गांववालों की मानें तो आजादी के 70 साल से अधिक समय बीतने के बाद भी इन तीन गांव के लोगों के लिए पुल नहीं बन पाया था. 2 साल पहले 4 किमी सड़क तो बना दिया गया, लेकिन चिनार नदी पर पुल नहीं बनाया गया.

"नदी उफान पर होने से स्कूल में पढ़ाने बारिश में शिक्षक नहीं आ पाते थे. हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों को नदी पार कर जाने में परेशानी होती थी.'' -ग्रामीण

400 लोगों का आवागमन हुआ सुलभ: ग्रामीणों ने शासन प्रशासन और नेताओं से लगातार पुल निर्माण की मांग की थी. मांग करते करते ये थक गए, हालांकि पुल नहीं बन पाया. हार कर गांव के लोगों ने इस नदी में खुद बांस बल्ली से जुगाड़ वाला पुल बनाया, ताकि तीन गांव के 400 लोगों का आवागमन सुलभ हो सके. ग्रामीणों की मानें तो चिनार नदी पर 10 साल पहले स्टॉपडैम बनाया गया था, जिसमें गेट नहीं होने से पानी नहीं रूकता था. परेशान ग्रामीणों ने जुगाड़ से अनुपयोगी स्टॉपडैम पर बारिश के पहले बांस बल्ली से कच्चा पुल बनाया. इसी कच्चे पुल से जब तक नदी में पानी रहता है, ये ग्रामीण आना जाना करते हैं.

''पहले राशन लेने जाने में दिक्कत होती थी. अब ठीक है.'' ग्रामीण

''आपात स्थिति में मरीजों को अस्पताल ले जाना संभव नहीं हो पाता था. कच्चा पुल बन जाने से अब छात्रों, शिक्षकों और ग्रामीणों को सुविधा हो रही है."-ग्रामीण

जुगाड़ का पुल बना ग्रामीणों का सहारा: ग्राम पंचायत बांस कुंड के आश्रित ग्राम ऊपर तोनका, नीचे तोनका और चलाचूर ऐसे गांव हैं, जो बारिश के 4 माह में टापू बन जाते हैं. यहां कोई वैकल्पिक मार्ग नहीं होने से ग्रामीणों को परेशानी होती थी. शासन प्रशासन से ग्रामीणों ने कई बार डिमांड की. हालांकि पुल नहीं बन पाया. अब ग्रामीणों ने बांस और लकड़ी से पुल का निर्माण किया है. इस जुगाड़ के पुल से तकरीबन तीन गांवों को लाभ मिल रहा है. अब इन तीनों गांव के ग्रामीण इसी जुगाड़ के पुल से आवाजाही कर रहे हैं.

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कांकेर: कहते हैं कि "आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है." यानी अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए इंसान किसी भी तरह से अपना काम निकाल ही लेता है. ताजा मामला कांकेर से सामने आया है. यहां के ग्रामीणों ने जुगाड़ से बांस का पुल बना डाला है. इस जुगाड़ के पुल के बन जाने से तकरीबन 400 लोगों को राहत मिली है.

तीन गांवों के लोगों ने बनाया जुगाड़ का पुल: कांकेर से 40 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत बांस कुंड है. ग्राम पंचायत बांस कुंड के आश्रित तीन गांव ऊपर तोनका, नीचे तोनका और चलाचूर हैं. यहां के ग्रामीणों को पुल की जरूरत थी. इसीलिए ग्रामीणों ने जुगाड़ का पुल तैयार कर लिया. गांववालों ने श्रम दान से दो दिन में बांस बल्ली का पुल बना डाला. गांववालों की मानें तो आजादी के 70 साल से अधिक समय बीतने के बाद भी इन तीन गांव के लोगों के लिए पुल नहीं बन पाया था. 2 साल पहले 4 किमी सड़क तो बना दिया गया, लेकिन चिनार नदी पर पुल नहीं बनाया गया.

"नदी उफान पर होने से स्कूल में पढ़ाने बारिश में शिक्षक नहीं आ पाते थे. हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों को नदी पार कर जाने में परेशानी होती थी.'' -ग्रामीण

400 लोगों का आवागमन हुआ सुलभ: ग्रामीणों ने शासन प्रशासन और नेताओं से लगातार पुल निर्माण की मांग की थी. मांग करते करते ये थक गए, हालांकि पुल नहीं बन पाया. हार कर गांव के लोगों ने इस नदी में खुद बांस बल्ली से जुगाड़ वाला पुल बनाया, ताकि तीन गांव के 400 लोगों का आवागमन सुलभ हो सके. ग्रामीणों की मानें तो चिनार नदी पर 10 साल पहले स्टॉपडैम बनाया गया था, जिसमें गेट नहीं होने से पानी नहीं रूकता था. परेशान ग्रामीणों ने जुगाड़ से अनुपयोगी स्टॉपडैम पर बारिश के पहले बांस बल्ली से कच्चा पुल बनाया. इसी कच्चे पुल से जब तक नदी में पानी रहता है, ये ग्रामीण आना जाना करते हैं.

''पहले राशन लेने जाने में दिक्कत होती थी. अब ठीक है.'' ग्रामीण

''आपात स्थिति में मरीजों को अस्पताल ले जाना संभव नहीं हो पाता था. कच्चा पुल बन जाने से अब छात्रों, शिक्षकों और ग्रामीणों को सुविधा हो रही है."-ग्रामीण

जुगाड़ का पुल बना ग्रामीणों का सहारा: ग्राम पंचायत बांस कुंड के आश्रित ग्राम ऊपर तोनका, नीचे तोनका और चलाचूर ऐसे गांव हैं, जो बारिश के 4 माह में टापू बन जाते हैं. यहां कोई वैकल्पिक मार्ग नहीं होने से ग्रामीणों को परेशानी होती थी. शासन प्रशासन से ग्रामीणों ने कई बार डिमांड की. हालांकि पुल नहीं बन पाया. अब ग्रामीणों ने बांस और लकड़ी से पुल का निर्माण किया है. इस जुगाड़ के पुल से तकरीबन तीन गांवों को लाभ मिल रहा है. अब इन तीनों गांव के ग्रामीण इसी जुगाड़ के पुल से आवाजाही कर रहे हैं.

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Last Updated : Aug 25, 2024, 6:21 PM IST
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