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‘चाय-नाश्ता कराएंगे लेकिन मुसलमान और यादवों का काम नहीं करेंगे', ये क्या बोल गए नीतीश के MP देवेश चंद्र ठाकुर - JDU MP Devesh Chandra Thakur - JDU MP DEVESH CHANDRA THAKUR

JDU MP Devesh Chandra Thakur: नीतीश कुमार के सांसद देवेश चंद्र ठाकुर ने सीतामढ़ी में विवादित बयान देते हुए अपनी नाराजगी और दुख प्रकट किया है. कम वोट मार्जिन से जीत का ठीकरा उन्होंने यादव और मुस्लिम समाज पर फोड़ा है. ऐसे में उन्होंने बड़ा बयान देते हुए कहा कि अगर यादव और मुसलमान मेरे पास अपना काम लेकर आएंगे तो मैं उनको चाय नाश्ता कराऊंगा लेकिन उनका काम नहीं करूंगा.

JDU MP Devesh Chandra Thakur
सांसद देवेश चंद्र ठाकुर (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jun 17, 2024, 2:16 PM IST

ये क्या बोल गए जेडीयू सांसद देवेश चंद्र ठाकुर (ETV Bharat)

सीतामढ़ी: बिहार के सीतामढ़ी लोकसभा सीट से नवनिर्वाचित सांसद देवेश चंद्र ठाकुर ने 515719 वोट लाकर जीत दर्ज की. उनकी जीत का मार्जिन 51356 ही रहा. सांसद इसके पीछे का कारण यादव और मुस्लिम वोट का नहीं मिलना मानते हैं. सीतामढ़ी में एक पार्टी के एक कार्यक्रम में देवेश चंद्र ठाकुर ने इसको लेकर बयान दिया और यादव और मुसलमानों को लेकर बड़ी बात कह दी.

'यादव और मुसलमान का काम नहीं करूंगा': सांसद देवेश चंद्र ठाकुर ने कहा कि मैं पिछले 22 साल से राजनीति में सक्रिय हूं. इस दौरान मैंने मुसलमानों और यादवों के लिए सबसे अधिक काम किया है, लेकिन अब मैं स्पष्ट रूप से बताता हूं कि इनके लिए काम नहीं करूंगा. अगर इस समाज के लोग मेरे पास अपना काम करवाने के लिए गुहार लेकर आते हैं तो जरूर आएं. मैं उनको चाय नाश्ता कराऊंगा. चाय नाश्ता करके वे वापस चले जाएं, मैं उनका काम नहीं करूंगा.

"मेरे पास एक मुस्लिम व्यक्ति अपना काम करवाने आए थे, भले व्यक्ति थे. मैंने उनसे पूछा अभी-अभी जो इलेक्शन हुआ उसमें आपने लालटेन को ही वोट दिया होगा. उन्होंने कहा जी सर लालटेन को ही दिए हैं. हमने कहा फिर भी आप हिम्मत करके मेरे पास आए हैं. मैंने पूछा आप किस विचार से आए हैं. मैंने कहा आपके लिए चाय मिठाई मंगवाता हूं. उसके बाद आपको मैं दुआ सलाम करके वापस भेज दूंगा लेकिन आपका काम नहीं करूंगा."- देवेश चंद्र ठाकुर, सीतामढ़ी सांसद

'पीएम मोदी का चेहरा ना दिखे इसलिए लालटेन..': देवेश चंद्र ठाकुर ने आगे कहा कि जब यादव और मुसलमान वोट डालते हैं तो तीर का अगर बटन दबाएंगे तो पीएम मोदी का चेहरा दिखता है, इसलिए उनलोगों ने लालटेन दबाया. तो यही बाात है तो काम करते समय मैं आपके चेहरे पर लालू जी का और लालटेन का चेहरा क्यों ना देखूं? कैसे मैं उनका काम करूं. मैं नहीं कर सकता हूं. मैं पहली बार ऐसा कर रहा हूं. 70 साल की उम्र में पहली बार कर रहा हूं और आगे भी करूंगा. हरेक मेरे यादव मुस्लिम भाई जरूर आइये, चाय पीजिए, आपका स्वागत है. लेकिन काम के बारे में मत बोलिए, मैं आपका काम नहीं करूंगा.

RJD ने की निंदा: वहीं इस बयान को लेकर विपक्ष का हमला जारी है. आरजेडी ने अपने सोशल मीडिया एक्स के आधिकारिक अकाउंट से ट्वीट करते हुए लिखा है कि जदयू सांसद ये महाशय नीतीश कुमार के चेहते नए-नवेले सांसद हैं. सबसे कम आबादी से संबंध रखने वाला यह सांसद बिहार की 32 फ़ीसदी आबादी को ठेंगा दिखा रहा है. कल को दूसरे वर्ग वोट नहीं करेंगे तो उनके प्रति भी इसका यही दुर्भाव रहेगा?

'ऐसे लोग ही नीतीश कुमार की किचन कैबिनेट के अहम सदस्य': विधान परिषद चुनाव में चंद हजार वोट पाकर स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से जीते थे तो वही गुमान अभी भी है. इनका यह बयान संविधान और पद के प्रति इनकी शपथ की धज्जियां उड़ा रहा है. समाज में विभाजन पैदा कर राज करना ही प्रदेश की तीसरे नंबर की पार्टी जदयू का असल चरित्र है और ऐसे लोग ही नीतीश कुमार की किचन कैबिनेट के अहम सदस्य हैं. इन लोगों को पता होना चाहिए बिहार विधानसभा चुनाव बेईमानी से जीते थे वो भी महज़ 12 हजार वोट से. इसका अर्थ यह हुआ कि प्रदेश की 70 फ़ीसदी आबादी को ये संकीर्ण मानसिकता वाले जातिवादी लोग हमेशा घृणा की दृष्टि से देखते हैं.

इसे भी पढ़ें- NDA को क्यों हुआ बिहार में नुकसान, पार्टी में हो रही इन 4 कारणों पर सबसे ज्यादा चर्चा - Bihar Lok Sabha election 2024

ये क्या बोल गए जेडीयू सांसद देवेश चंद्र ठाकुर (ETV Bharat)

सीतामढ़ी: बिहार के सीतामढ़ी लोकसभा सीट से नवनिर्वाचित सांसद देवेश चंद्र ठाकुर ने 515719 वोट लाकर जीत दर्ज की. उनकी जीत का मार्जिन 51356 ही रहा. सांसद इसके पीछे का कारण यादव और मुस्लिम वोट का नहीं मिलना मानते हैं. सीतामढ़ी में एक पार्टी के एक कार्यक्रम में देवेश चंद्र ठाकुर ने इसको लेकर बयान दिया और यादव और मुसलमानों को लेकर बड़ी बात कह दी.

'यादव और मुसलमान का काम नहीं करूंगा': सांसद देवेश चंद्र ठाकुर ने कहा कि मैं पिछले 22 साल से राजनीति में सक्रिय हूं. इस दौरान मैंने मुसलमानों और यादवों के लिए सबसे अधिक काम किया है, लेकिन अब मैं स्पष्ट रूप से बताता हूं कि इनके लिए काम नहीं करूंगा. अगर इस समाज के लोग मेरे पास अपना काम करवाने के लिए गुहार लेकर आते हैं तो जरूर आएं. मैं उनको चाय नाश्ता कराऊंगा. चाय नाश्ता करके वे वापस चले जाएं, मैं उनका काम नहीं करूंगा.

"मेरे पास एक मुस्लिम व्यक्ति अपना काम करवाने आए थे, भले व्यक्ति थे. मैंने उनसे पूछा अभी-अभी जो इलेक्शन हुआ उसमें आपने लालटेन को ही वोट दिया होगा. उन्होंने कहा जी सर लालटेन को ही दिए हैं. हमने कहा फिर भी आप हिम्मत करके मेरे पास आए हैं. मैंने पूछा आप किस विचार से आए हैं. मैंने कहा आपके लिए चाय मिठाई मंगवाता हूं. उसके बाद आपको मैं दुआ सलाम करके वापस भेज दूंगा लेकिन आपका काम नहीं करूंगा."- देवेश चंद्र ठाकुर, सीतामढ़ी सांसद

'पीएम मोदी का चेहरा ना दिखे इसलिए लालटेन..': देवेश चंद्र ठाकुर ने आगे कहा कि जब यादव और मुसलमान वोट डालते हैं तो तीर का अगर बटन दबाएंगे तो पीएम मोदी का चेहरा दिखता है, इसलिए उनलोगों ने लालटेन दबाया. तो यही बाात है तो काम करते समय मैं आपके चेहरे पर लालू जी का और लालटेन का चेहरा क्यों ना देखूं? कैसे मैं उनका काम करूं. मैं नहीं कर सकता हूं. मैं पहली बार ऐसा कर रहा हूं. 70 साल की उम्र में पहली बार कर रहा हूं और आगे भी करूंगा. हरेक मेरे यादव मुस्लिम भाई जरूर आइये, चाय पीजिए, आपका स्वागत है. लेकिन काम के बारे में मत बोलिए, मैं आपका काम नहीं करूंगा.

RJD ने की निंदा: वहीं इस बयान को लेकर विपक्ष का हमला जारी है. आरजेडी ने अपने सोशल मीडिया एक्स के आधिकारिक अकाउंट से ट्वीट करते हुए लिखा है कि जदयू सांसद ये महाशय नीतीश कुमार के चेहते नए-नवेले सांसद हैं. सबसे कम आबादी से संबंध रखने वाला यह सांसद बिहार की 32 फ़ीसदी आबादी को ठेंगा दिखा रहा है. कल को दूसरे वर्ग वोट नहीं करेंगे तो उनके प्रति भी इसका यही दुर्भाव रहेगा?

'ऐसे लोग ही नीतीश कुमार की किचन कैबिनेट के अहम सदस्य': विधान परिषद चुनाव में चंद हजार वोट पाकर स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से जीते थे तो वही गुमान अभी भी है. इनका यह बयान संविधान और पद के प्रति इनकी शपथ की धज्जियां उड़ा रहा है. समाज में विभाजन पैदा कर राज करना ही प्रदेश की तीसरे नंबर की पार्टी जदयू का असल चरित्र है और ऐसे लोग ही नीतीश कुमार की किचन कैबिनेट के अहम सदस्य हैं. इन लोगों को पता होना चाहिए बिहार विधानसभा चुनाव बेईमानी से जीते थे वो भी महज़ 12 हजार वोट से. इसका अर्थ यह हुआ कि प्रदेश की 70 फ़ीसदी आबादी को ये संकीर्ण मानसिकता वाले जातिवादी लोग हमेशा घृणा की दृष्टि से देखते हैं.

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