जयपुर. शहर में 13 मई, 2008 को हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के दौरान चांदपोल हनुमान मंदिर के बाहर मिले जिंदा बम मामले में नाबालिग आरोपी को फिलहाल सुप्रीम कोर्ट से जमानत नहीं मिल पाई है. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई एक सप्ताह टालते हुए इस बिन्दु पर बहस के लिए रखा है कि आरोपी को जमानत दी जाए या ट्रायल पूरी की जाए.
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता शिवमंगल शर्मा ने कहा कि आरोपी बमों को लगाने वाला मुख्य व्यक्ति था और वह भारतीय मुजाहिदीन नामक प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन का सक्रिय सदस्य रहा है. आरोपी को छोड़ना ना केवल समाज के लिए गंभीर खतरा पैदा करेगा, जिससे आतंकवादी गतिविधियों में उसकी वापसी संभव हो सकती है और इससे समाज में भी गलत संदेश जाएगा.
इसलिए मामले की गंभीरता को देखते हुए आरोपी को जमानत नहीं दी जा सकती. वहीं, किशोर न्याय बोर्ड में जज की जल्द नियुक्ति के लिए राज्य सरकार, हाईकोर्ट प्रशासन से आग्रह करेगी, जिस पर अदालत ने आरोपी की जमानत अर्जी पर सुनवाई एक सप्ताह टाल दी.
गौरतलब है कि गत 9 फरवरी को हुई सुनवाई पर अदालत ने राज्य सरकार को मामले की ट्रायल 15 मई तक पूरी करने का निर्देश दिया था. मामले की सुनवाई के दौरान आरोपी की ओर से कहा कि मामले की सुनवाई कर रहे किशोर न्याय बोर्ड-2 में जज नहीं हैं और ऐसे में केस की ट्रायल पूरी होने की संभावना नहीं है. इसलिए उसे जमानत दी जाए. जमानत अर्जी में आरोपी ने कहा कि उसे जयपुर बम ब्लास्ट केस में दोषमुक्त कर दिया है और जिंदा बम मामले की ट्रायल में समय लगेगा. इसलिए उसे जमानत पर रिहा किया जाए.