शिमला: हिमाचल विधानसभा के मानसून सेशन में हमीरपुर के विधायक आशीष शर्मा ने सदन में नियम-130 के तहत प्रदेश की वित्तीय स्थिति पर चर्चा के दौरान सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू पर कई गंभीर आरोप लगाए थे. हाउस की प्रोसीडिंग्स के रिकॉर्ड से इन आरोपों को हटा दिया गया था.
आशीष शर्मा के आरोपों का जवाब देते हुए कैबिनेट मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा था कि, 'विधायक आशीष शर्मा ने विधानसभा में एक पंजीकृत बैनामे (जमीन खरीद) का उल्लेख किया था. विधायक ने अपने कथन में यह उल्लेख किया है कि यह बैनामा वर्तमान में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के ओएसडी अनिल मनकोटिया द्वारा पंजीकृत किया गया है. ये कथन पूर्णतः झूठे तथ्यों एवं सदन को गुमराह करने वाला था, जिसके लिए माननीय विधायक को सदन में झूठ बोलने एवं सदन को गुमराह करने के लिए माफी मांगनी चाहिए. तहसील नदौन के कार्यालय अभिलेखों की छानबीन करने पर यह पाया गया कि तथाकथित बैनामा तत्कालीन नायब तहसीलदार द्वारा पंजीकृत किया गया है न कि अनिल मनकोटिया द्वारा पंजीकृत किया गया है.'
जगत सिंह नेगी ने कहा कि, 'यह बैनामा तत्कालीन नायब तहसीलदार ने भारतीय पंजीकरण अधिनियम के अनुसार पंजीकृत किया है, जिस पर पंजीकरण के समय सरकार द्वारा निर्धारित उचित मूल्य की स्टाम्प ड्यूटी प्राप्त की गई है. विधायक को इस तथ्य की जानकारी होनी चाहिए कि भूमि का विक्रय मूल्य भूमि विक्रेता की ओर से निर्धारित किया जाता है. भूमि विक्रेता चाहे तो भूमि का दान अभिलेख भी लिखवा सकता है. उप-पंजीकार भूमि विक्रेता को अपनी भूमि को कम या अधिक मूल्य पर बेचने के लिए बाध्य नहीं कर सकता.'
उप पंजीकार का यह कर्तव्य है कि, 'वह पंजीकरण के समय सरकार द्वारा निर्धारित उचित मूल्य कि स्टाम्प ड्यूटी सरकार के हित में सरकारी कोष में जमा करवाएं जो कि इस पंजीकरण के समय प्राप्त की गई है. इसके अतिरिक्त इस भूमि का अधिग्रहण हिमाचल प्रदेश राज्य पथ परिवहन निगम द्वारा जमीन अधिग्रहण कानून द्वारा निर्धारित अधिग्रहण राशि से कम मूल्य में निगम द्वारा बातचीत के माध्यम से किया गया है. इस बैनामा एवं अधिग्रहण में मुख्यमंत्री, उनके परिवार के किसी सदस्य या अन्य किसी रिशतेदार का कोई लेना देना नहीं है. इसलिए सदन में झूठे तथ्य रखने, छूठे आरोप लगाने और इस सदन को गुमराह करने के लिए विधायक को इस सदन से माफी मांगनी चाहिए.'